Saturday 19 April 2014

'दि इन्टेंशनल प्रेस कॉन्फ्रेंस फॉर एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' The Intentional Press Conference for Accidental Prime Minister

प्रभात रंजन दीन
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब ने कांग्रेस की रही सही कसर पूरी कर दी। बारू ने मनमोहन सिंह क्या, पूरी कांग्रेस को ही सत्ता-झंझटों से उबार दिया। सारा झंझट ही खत्म। पहले तो कांग्रेस ने बारू की किताब को आसानी से लिया था, लेकिन जब पूरे देश ने इसे गम्भीरता से ले लिया तब कांग्रेस होश में आई। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को लग गया कि संजय बारू की किताब ने तो काम लगा दिया। फिर इसकी 'रिपेयरिंग' के तरीके फार्मूले ईजाद किए जाने लगे। ऐसी किसी 'क्राइसिस' में पड़ी किसी ऊंची हस्ती या ऊंचे प्रतिष्ठान को मीडिया ही उबारता है। तो इस बार मनमोहन सिंह के मौजूदा मी
डिया सलाहकार पंकज पचौरी उन्हें उबारने के लिए सामने आ गए। सामने आए तो कई पत्रकार बिछ गए। रीढ़ को घर पर छोड़ कर प्रेस क्लब में पचौरी के साथ कंधे से कंधा मिला कर बैठ गए और लगे सफाई देने कि नहीं, नहीं, प्रधानमंत्री तो काम के आदमी हैं। बारू ने कैसे कह दिया कि नाकाबिल हैं! पंकज पचौरी क्षतिपूर्ति कर रहे थे और बाकी पत्रकार उनकी हां में हां और उनकी ना में ना मिला रहे थे। पचौरी ने कहा कि आर्थिक आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि पिछले दशक में देश का अभूतपूर्व विकास हुआ है। यह सुनते ही पूरा देश हंस पड़ा। यह अलग बात है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्टेनो-टाइपिस्ट बने पत्रकारों को हंसी नहीं आई। फिर पचौरी ने हास्य रस को और आगे बढ़ाते हुए कहा कि देश का यह विकास प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कमजोर होने पर असम्भव होता। पचौरी ने दूसरा चुटकुला भी छोड़ा कि लोगों को सरकार की उपलब्धियों के सभी पहलुओं की जानकारी नहीं हो रही है। इसके लिए उन्होंने उन्हीं मीडियाकर्मियों को कोसा जो वहीं उनके पास बैठे खीसें निपोर रहे थे। यह कहते हुए पंकज पचौरी को केंद्र सरकार का सूचना और प्रसारण मंत्रालय याद नहीं आया, जो दो-दो कौड़ी की सरकारी खबरों और उपलब्धियों का ढिंढोरा पिटवाता है लेकिन मनमोहन के विकास-कार्यों का प्रचार नहीं कर पाया। मीडिया का आदमी जब दलाली पर उतरता है तो उसका कोई सानी नहीं होता, उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। पंकज का पूरा आचरण एक सधे हुए मंजे हुए दलाल की तरह दिख रहा था। उसकी यह योग्यता देखिए कि उसने न केवल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बेहद योग्य कहा बल्कि यह भी कह डाला कि मनमोहन के प्रधानमंत्रित्व में देश ने अभूतपूर्व प्रगति की है। पचौरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस जैसे लाफ्टर चैलेंज शो का सोलो आयोजन था। इस पर तो तब और मजा आया जब पचौरी ने देश के विकास का आंकड़ा भी सामने रख दिया। यह आंकड़ा वैसे ही था जैसे मनमोहन के ज्ञानवान योजनाकारों को 32 और 25 रुपए की समृद्धि दिख रही थी और मनमोहन की पार्टी के लोगों को 15 और पांच रुपए में भरपेट भोजन दिख रहा था। संजय बारू की पुस्तक 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह' के जवाब में नई दिल्ली के प्रेस क्लब में शुक्रवार को आयोजित हुई 'इन्टेंशनल प्रेस कॉन्फ्रेंस फॉर द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह' में एनडीटीवी से जुड़े रहे वरिष्ठ पत्रकार पंकज पचौरी ने विजुअल मीडिया की खूब खिल्ली उड़ाई। पचौरी ने ही कहा कि विजुअल चैनल वालों की प्राथमिकता हल्की-फुल्की खबरें और मनोरंजन तलाशने में रहती है, लिहाजा उन्हें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की गम्भीरता में प्राथमिकता नजर नहीं आती। पंकज ने मनमोहन सिंह को उबारने की तो कोशिश की लेकिन कांग्रेस को नहीं उबार पाए। संजय बारू द्वारा उठाए गए सवाल वहीं के वहीं रह गए। उनमें से कुछ एक सवालों के जवाब भी संतोषजनक तरीके से पंकज पचौरी दे पाते तो शुक्रवार की उनकी 'इन्टेंशनल प्रेस कॉन्फ्रेंस फॉर दि एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' थोड़ी बहुत भी अपनी सार्थकता दर्ज कर पाती। मसलन, पीएमओ की फाइलें सोनिया गांधी क्यों देखती थीं और पास करती थीं और मनरेगा जैसी योजनाओं का श्रेय मनमोहन सिंह के बजाय राहुल गांधी को देने का दबाव क्यों बनाया जाता था, दस साल की चोरी-बटमारी पर रोक क्यों नहीं लगाई, चोरी की भरपाई के लिए जनता पर महंगाई क्यों लाद दी गई, और इन पर मनमोहन की चुप्पी क्यों सधी रह गई पूरे दस साल? लोकसभा चुनाव सामने है और सामने हैं ये ज्वलंत सवाल... 

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