Friday 10 December 2021

 


एफएटीएफ के भारत आने के पहले खुफिया एजेंसियों ने तेज की छानबीन

हैदराबाद में बड़े पैमाने में हो रही है टेरर फंडिंग

तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में टेरर फंडिंग का मुख्य स्रोत है पीएफआई

पनामा पैराडाइज़ पेपर मामला भी देशविरोधी गतिविधियों और टेरर फंडिंग से लिंक्ड

मनी लॉन्ड्रिंग सरगना मोईन कुरैशी के हैदराबाद लिंक खंगालने में लगी खुफिया एजेंसियां

प्रभात रंजन दीन

मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए हैदराबाद और बंगलुरू में बड़ी तादाद में टेरर फिंडिंग हो रही है। टेरर फंडिंग रोकने की जद्दोजहद में लगी देश की खुफिया एजंसियों को यह सुराग मिला है कि तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद और कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू टेरर फंडिंग का सक्रिय केंद्र बनती जा रही है। टेरर फंडिंग में हैदराबाद और बंगलुरू के व्यापारिक प्रतिष्ठान, हवाला कारोबारी और करंसी काला-सफेद करने वाले माफिया सरगना लिप्त हैं। इन्हें कुछ राजनीतिक हस्तियां और प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी संरक्षण दे रहे हैं, जिन्हें खुफिया एजेंसियों की सतर्क निगरानी में रखा जा रहा है। हैदराबाद और बंगलुरू समेत देश के कुछ अन्य शहरों में इस नेटवर्क को खंगालने और फंडिंग-ट्रेल का पता लगाने की कवायद तेज गति से जारी है। टेरर फंडिंग को रोकने के लिए किए जा रहे उपायों और उपलब्धियों की समीक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था फिनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के विशेषज्ञों के भारत आने के पहले खुफिया एजेंसियों ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। एफएटीएफ की टीम कोरोना महामारी के कारण भारत नहीं आ पाई थी। एफएटीएफ सितम्बर 2022 में भारत सरकार की कार्रवाइयों की समीक्षा करेगा और फरवरी 2023 में एफएटीएफ की टीम भारत आएगी। हालांकि, एफएटीएफ ने भारत सरकार की अब तक की कार्रवाइयों पर संतोष जताया है।

खुफिया एजेंसी के अधिकारी पनामा पैराडाइज़ पेपर लीक प्रकरण को भी टेरर फंडिंग से लिंक्ड बताते हैं। उनका कहना है कि 930 संस्थाओं के जरिए 20 हजार 353 करोड़ रुपये का धंधा हुआ, जिसका बड़ा हिस्सा टेरर फंडिंग में इस्तेमाल किया गया। पनामा पैराडाइज़ प्रकरण में भी हैदराबाद के कई व्यापारी लिप्त पाए गए हैं। टेरर फंडिंग की जांच में केंद्रीय खुफिया एजेंसी सीबीआई, एनआईए के साथ-साथ इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट, इन्कम टैक्स, राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), फिनैंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू), सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलिजेंस ब्यूरो (सीईआईबी), कस्टम विभाग, सेबी और रिजर्व बैंक समेत 22 एजेंसियां लगी हुई हैं। खुफिया एजेंसियों ने पाया है कि टेरर फंडिंग की गतिविधियों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया सबसे अधिक सक्रिय है। इसकी सक्रियता तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में सर्वाधिक है। हैदराबाद लिंक से मिले सुराग के आधार पर ही इन्फोर्समेंट निदेशालय (ईडी) ने कुछ अर्सा पहले आंध्र प्रदेश के कुरनूल, नंदयाल, येम्मिगनूर और अय्यालुरु में छापामारी की थी और बड़ी मात्रा में आतंकी गतिविधियों से लेकर आतंकी फंडिंग तक के प्रमाण हासिल किए थे। ईडी के एक आला अधिकारी ने कहा कि कुरनूल शहर, नांदयाल, वेलुगोड, आत्माकुर, अदोनी, येम्मिगनूर, नेल्लोर शहर, कवाली और विजयवाड़ा शहर आंध्र प्रदेश के वे प्रमुख केंद्र हैं जहां पीएफआई अत्यधिक सक्रिय है। पीएफआई की आंध्र प्रदेश शाखा का मुख्यालय कुरनूल शहर में है। खुफिया एजेंसियों को मोहम्मद अली जिन्ना, मुफ्ती अब्दुल सुभान, हबीबुल्ला, रफीक मौलाना, अब्दुल्ला खान, शाहुल्ला अमीर और राशिद से कई महत्वपूर्ण सुराग हासिल हुए थे जिस पर ठोस तरीके से जांच आगे बढ़ी। ईडी ने पीएफआई की छात्र शाखा को भी उजागर किया जो कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के नाम से देश विरोधी गतिविधियों में सक्रिय है। ईडी के उक्त अधिकारी ने बताया कि कुछ ही समय के अंतराल में पीएफआई के खाते में सौ करोड़ रुपये की धनराशि जमा हुई। अधिकाधिक ट्रांजैक्शन कैश में हुआ और उसका इस्तेमाल टेरर फंडिंग से लेकर शाहीनबाग षडयंत्र और दिल्ली के दंगों में किया गया। पीएफआई को तुर्की से भी फंडिंग हो रही है, इसके ठोस सुराग ईडी को हाथ लगे हैं।

खुफिया एजेंसियों ने एक कोऑपरेटिव बैंक को भी अपनी सतर्क निगरानी में रखा है, जो पीएफआई के साथ मिल कर मुंबई से हैदराबाद, कर्नाटक और केरल तक मनी लॉन्ड्रिंग के काम में सक्रिय है और काना धन टेरर फंडिग में जा रहा है। इस बैंक को केंद्र सरकार के एक मंत्री का भी संरक्षण प्राप्त है। एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग धंधे के सरगना मोईन कुरैशी के हैदराबाद लिंक की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है। हैदराबाद के प्रमुख व्यापारी सतीश बाबू सना के अतिरिक्त कई और शख्स ऐसे हैं, जो मोईन से जुड़े रहे हैं और काला धन सफेद करने का धंधा करते हैं। मोईन कुरैशी से सम्बन्धों के कारण ही सतीश बाबू सना को गिरफ्तार किया जा चुका है। मोईन कुरैशी के दो खास लोगों सैयद मगफरत अली और मोहम्मद राजू के हैदराबाद लिंक पर खुफिया एजेंसी तेजी से काम कर रही है।

मोईन कुरैशी के नजदीकी सम्बन्धों के कारण सीबीआई के दो-दो निदेशकों एपी सिंह और रणजीत सिन्हा बर्खास्त हो चुके हैं। एपी सिंह की तो संदेहास्पद मौत भी हो गई। बताया गया कि उन्होंने आत्महत्या की, लेकिन जानकार लोग उनकी मौत को संदेहास्पद मानते हैं। कुरैशी की 25 कंपनियां खुफिया एजेंसियों के नेट पर हैं, इनमें से कुछ कंपनियां हैदराबाद और बंगलुरू में हैं। इनमें से कुछ कंपनियां दक्षिण भारतीय फिल्मों और फैशन से जुड़ी हैं, जिनके जरिए काला धन सफेद करने का धंधा चल रहा है। कुरैशी की बेटी परनिया कुरैशी जानिसार फिल्म में हिरोइन थी, जिसमें मोईन कुरैशी का पैसा लगा था। इसी फिल्म में गाने के लिए पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान को काले धन का 56 लाख रुपया दिया गया था, जिसे राजस्व खुफिया निदेशालय ने एयरपोर्ट पर ही पकड़ लिया था। मोईन कुरैशी के सीधे लिंक कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अहमद पटेल (अब मरहूम) से रहे हैं। अहमद पटेल और मोईन कुरैशी के बीच हुए कई लेनदेन पकड़े जा चुके हैं।