Wednesday 23 February 2022

सरकारी खजाने से 7,000 करोड़ गायब..!


किस खजाने से देंगे मुफ्त की बिजली..?
वोट लेने के लिए तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त देने का प्रलोभन देने वाली समाजवादी पार्टी के स्वयंभू अध्यक्ष अखिलेश यादव को चुनाव के दरम्यान जन-अदालत के समक्ष यह बताना चाहिए था कि उनके शासनकाल में सरकारी खजाने से गायब हुए सात हजार करोड़ रुपये कहां गए..? सात हजार करोड़ रुपये का हिसाब आज तक नहीं मिला। जब अखिलेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब भी राष्ट्रीय साप्ताहिक अखबार 'चौथी दुनिया' के जरिए मैंने उनसे पूछा था कि सात हजार करोड़ रुपए कहां गए..? और आज जब अखिलेश देशभर के पत्रकारों को चरित्र प्रमाण-पत्र बांटते फिर रहे हैं, तब 'द फायर' के माध्यम से हम पूछ रहे हैं, अखिलेश जी सरकारी खजाने से गायब सात हजार करोड़ के बारे में जनता को बताइये...

Sunday 20 February 2022

स्कूल की किताबों से महापुरुष गायब, संघ की प्रार्थना से सावरकर गायब



स्कूल की किताबों से महापुरुष गायब, संघ की प्रार्थना से सावरकर गायब..!
देश में अजीबोगरीब स्थिति है... भाजपा का राष्ट्रवाद केवल चुनाव लड़ने और जीतने तक ही सीमित रह गया है। पूर्ण बहुमत की ताकत के साथ भाजपा पिछले आठ साल से केंद्रीय सत्ता पर आसीन है। लेकिन इस दरम्यान देश की संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को पुनरस्थापित करने का कोई उल्लेखनीय, संग्रहणीय या दर्शनीय कार्य नहीं हुआ। खंडित आजादी के सत्तर वर्षों में स्कूल-कॉलेजों की किताबों से देश के महापुरुष और क्रांतिपुरुष क्रमशः गायब होते चले गए। नस्लदूषित विकृत चरित्र के इतिहासकारों ने देश के गौरवशाली इतिहास पर कालिख पोती और देश के वीरों, क्रांतिकारियों और महापुरुषों को महानायक के रूप में स्थापित करने के बजाय उन्हें खलनायक साबित किया। विदेशी लुटेरों, हमलावरों, गुंडों और अधर्मी अत्याचारियों को महान बताया और इतिहास में महिमामंडित किया। देश को यह उम्मीद थी कि सत्तर साल के इस महापाप को धोने का स्वच्छ, सार्थक और स्थायी समाधान किया जाएगा, लेकिन ऐसा होता हुआ दिख नहीं रहा। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर गुच्छेदार भाषण परोसने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अलमबरदार संघ की प्रार्थना में वीर सावरकर का नाम तक शामिल नहीं कर पाए, तो उनसे और क्या उम्मीद रखी जाए? इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण बात और क्या हो सकती है?

Sunday 13 February 2022

मुसलमानों का सगा या मुसलमानों को ठगा


सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अल्पसंख्यकों के कल्याण की योजनाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया। जबकि समाजवादी पार्टी की राजनीति अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के बूते खड़ी है। अल्पसंख्यक समुदाय समाजवादी पार्टी पर भरोसा कर वोट डालता है, लेकिन उस समुदाय को यह भी पता चलना चाहिए कि समाजवादी पार्टी उनके लिए वाकई कुछ करती है या केवल राजनीतिक इस्तेमाल करती है। मीडिया को यह पड़ताल करनी चाहिए कि मुसलमानों का वोट लेकर सत्ता में आने वाली समाजवादी पार्टी सरकार में रहते हुए मुसलमानों के नैतिक-कल्याण के लिए क्या करती है।

Wednesday 2 February 2022

भाजपा बताए: अखिलेश के खिलाफ चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री ठाकुर हैं, ओबी...



भाजपा बताए: अखिलेश के खिलाफ चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री ठाकुर हैं, ओबीसी हैं या दलित हैं..?
भाजपा के ये नेता जब स्कूल में थे तब वे ठाकुर (क्षत्रिय) थे। कॉलेज में प्राध्यापक बनने के लिए वे ओबीसी हो गए और जब राजनीति में आए तब दलित बन गए... ये नेता कौन हैं..? तीन अलग अलग जातियों में इन्होंने छलांग कैसे लगाई, खास कर राजनीति में कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने के लिए इन्होंने दलित का संवैधानिक चोंगा कैसे पहन लिया... इसे आप भी देखें। चुनाव का समय है, जनता के समक्ष भाजपा नेतृत्व को यह स्पष्ट करना ही चाहिए कि जिस केंद्रीय मंत्री को भाजपा ने करहल विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है, वह ठाकुर है, ओबीसी है या दलित है..?