Sunday 24 February 2019

योगी का रुदन और मन की बात...

Yogi ka Rona... Debate with Prabhat Ranjan Deen-1

योगी का रुदन और मन की बात...

Yogi ka Rona... Debate with Prabhat Ranjan Deen-2

ईमानदार भाजपा का चारित्रिक उत्पाद



Mantri ke fraud par Yogi sarkar ka Maha-fraud-1...

सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा को केंद्रीय चुनाव आयुक्त बनाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी को कह कर ‘मनी-लॉन्ड्रिंग’ के बड़े घोटाले की जांच रुकवा दी। यह खबर आपने पिछले दिनों देखी... इस बार हम उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री के फ्रॉड को कानूनी जामा पहनाने के लिए योगी सरकार ने किस तरह ‘महाफ्रॉड’ किया, उसे उजागर कर रहे हैं। साथ ही एक भाजपा सांसद के फर्जीवाड़े को भी जन-दीर्घा के समक्ष रख रहे हैं... प्रभात रंजन दीन

ईमानदार भाजपा का चारित्रिक उत्पाद


Mantri ke fraud par Yogi sarkar ka Maha-fraud-2...
सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा को केंद्रीय चुनाव आयुक्त बनाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी को कह कर ‘मनी-लॉन्ड्रिंग’ के बड़े घोटाले की जांच रुकवा दी। यह खबर आपने पिछले दिनों देखी... इस बार हम उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री के फ्रॉड को कानूनी जामा पहनाने के लिए योगी सरकार ने किस तरह ‘महाफ्रॉड’ किया, उसे उजागर कर रहे हैं। साथ ही एक भाजपा सांसद के फर्जीवाड़े को भी जन-दीर्घा के समक्ष रख रहे हैं... प्रभात रंजन दीन

Wednesday 20 February 2019

Suspension of Jasveer Singh is suspension of democratic ethics...


Suspension of Jasveer Singh is suspension of democratic ethics... 
Prabhat Ranjan Deen
The suspension of a dedicated, committed and honest IPS officer Jasveer Singh of Uttar Pradesh cadre, is a clear sign of suspension of democratic ethics. To raise voice against the unruly ‘rule’ of governance, is maliciously interpreted today. To keep mum is consent to the misdeeds of the ruling politicians and the politicians who are fighting to rule. The suspension of an IPS officer was a serious subject of discussion today at ‘India Watch’. We are the journalists who always fight for the real democracy, not hypocrisy. Please see & listen the debate and be with those who are committed to give symbolic resistance to make our democracy alert, alive & lively…

जसवीर सिंह का निलंबन लोकतांत्रिक नैतिकता का निलंबित होना है...
प्रभात रंजन दीन
उत्तर प्रदेश कैडर के चरित्रवान, प्रतिबद्ध और कर्तव्यपरायण आईपीएस अधिकारी जसवीर सिंह का निलंबन लोकतांत्रिक नैतिकता के निलंबन का स्पष्ट संदेश है। अशासकीय ‘शासन’ के खिलाफ आवाज उठाने को आज शातिराना तरीके से व्याख्यायित किया जा रहा है। मुंह बंद रखना और चुप्पी साध लेना सत्ताधारी राजनीतिकों और सत्ता के लिए जूझ रहे राजनीतिकों के कुकृत्यों के प्रति हामी भरने जैसा है। आईपीएस अधिकारी जसवीर सिंह का निलंबन एक गंभीर प्रकरण है। इस विषय पर ‘इंडिया वाच’ ने विचार-विमर्श आयोजित किया। हमारा पत्रकारीय दायित्व है कि हम वास्तविक लोकतंत्र के लिए लड़ें, छद्म-लोकतंत्र और आडंबरवाद के लिए नहीं... कृपया आप भी इस विचार-गोष्ठी को सुनें, शरीक हों और उनके साथ खड़े हों जो लोकतंत्र को सतर्क, जीवित और जीवंत रखने के लिए हमेशा एक सांकेतिक प्रतिरोध खड़ा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

MLA wept in Assembly, state of rule in UP is exposed... Debate-1



MLA wept in Assembly, state of rule in UP is exposed...

MLA wept in Assembly, state of rule in UP is exposed... Debate-2


एफआईआर दर्ज कराने के लिए विधायक को सदन में रोना पड़े... तो आम नागरिक क्या करे..?

Sunday 17 February 2019

Meaningful debate on Pulwama Incident & Kashmir issue



कश्मीर मसले पर निरर्थक शोरगुल के बीच भारतीय सेना के पूर्व मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ से प्रभात रंजन दीन की सार्थक बातचीत...

नेताओ..! शहादत पर बकना बंद करो



No politics on Martyrs... Debate 1

नेताओ..! शहादत पर बकना बंद करो



No politics on Martyrs... Debate-2

Monday 11 February 2019

Why CM Yogi stopped the investigation of a big scam Part-2



‘आखिर किसका फोन आया कि मुख्यमंत्री योगी ने टेक दिए घुटने..!’ इस खबर का पहला हिस्सा आपने बीते शनिवार को देखा... कुछ तकनीकी वजहों से स्टोरी का दूसरा हिस्सा प्रसारित होने में बाधा पहुंची, लेकिन उसी समय मैंने आपसे सीधे-सीधे मुखातिब होकर उसके बारे में विस्तार से बताया, ताकि खबर अधूरी न रह जाए... साथ ही मैंने यह भी वादा किया था कि शेष हिस्सा भी आपके समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। थोड़ी पृष्ठ-भूमिका के साथ वह आधा हिस्सा आपके सामने है... इस मसले पर दो सम्माननीय व्यक्तित्वों के साथ हुए विचार-विमर्श का निचोड़ भी आपके समक्ष रख रहा हूं... आप देखें और अपनी भी राय दें, ताकि उसे हम अभियान का हिस्सा मानें और अपने कार्यक्रम में शामिल करें... प्रभात रंजन दीन

Sunday 10 February 2019

किसके फोन पर योगी ने टेक दिए घुटने..!



सच पर हावी झूठ का कोहरा बेधेगा फिर कौन..!

शातिर षडयंत्रों का घेरा तोड़ेगा फिर कौन..!

चुप्पी साधे बैठे सब हैं, बोलेगा फिर कौन..!
- प्रभात रंजन दीन


Thursday 7 February 2019

अब नेता तय कर रहे असली हिन्दू कौन..!



प्रभात रंजन दीन

उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीर्ष सदन कुम्भ में नहाने के तौर-तरीके पर बहस करता है... कोई सदस्य गंगा को स्विमिंग पूल बताता है तो कोई कुम्भ-स्नान को अठखेलियां, कोई जलक्रीड़ा तो कोई कुलांचे तो कोई कुछ और ऐसी ही फूहड़ टिप्पणी करता है। यह शीर्ष सदन की व्यावहारिक मर्यादा का स्तर है। फिर निम्न सदन में कितनी निम्नता होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश की विधान परिषद कुम्भ में नहाने के तौर-तरीके पर यह तय करती है कि कौन असली हिन्दू या कौन नकली हिन्दू। आस्था को सियासतदानों ने अपने धंधे का रास्ता बना लिया है। कुम्भ में मुख्यमंत्री योगी स्नान करते हैं तो कांग्रेस के नेता शशि थरूर ट्वीट करते हैं कि ‘संगम में सब नंगे हैं’... दरअसल थरूर अपनी तमाम नंगई का स्मरण रखते हुए ऐसे ट्वीट करते हैं। देश के राजनीतिकों ने सोशल मीडिया और ट्वीट का ऐसा इस्तेमाल किया है कि अब वह गंदे संडास जैसा दिखने लगा है। इस सड़ांध पर भी जन-पंचायत के नथुने नहीं फड़क रहे... निद्रा गहरी है, लेकिन अब भी नहीं जागे तो देर हो जाएगी...

Wednesday 6 February 2019

अंदरूनी बवालों से भी हार रही सीबीआई



प्रभात रंजन दीन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और देश के मुख्य सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी और सत्ताधारी भाजपा के खास नौकरशाह की करतूतें देख कर आपको हैरत होगी... ऐसा नौकरशाह जो एक तरफ तमिलनाडु के बहुचर्चित एडविन राज हत्याकांड के अभियुक्त भाजपा नेताओं को बचाने के लिए सारे हथकंडे अख्तियार करता है तो दूसरी तरफ गुटखा व्यापारी और दाऊद इब्राहीम के माफिया सिंडिकेट के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच की प्रक्रिया में बाधा डालता है। यह नौकरशाह केंद्रीय मंत्री के आदेश को खुलेआम ठेंगा दिखाने से भी नहीं हिचकता।

आप जानते हैं कि सीबीआई को लेकर पहले ही कितनी छीछालेदर हो चुकी है। लेकिन सरकार बाज नहीं आ रही। प्रधानमंत्री ने जिस अधिकारी को सीबीआई का कार्यकारी निदेशक बनाया, उस अधिकारी की हरकतों से सीबीआई की नेकनामी और फैल रही है, लेकिन केंद्र सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही। यहां तक कि सीबीआई के एक एसपी ने ही सीबीआई के कार्यकारी निदेशक एम नागेश्वर राव के भ्रष्टाचार और उनकी अराजकता के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना का प्रकरण सीबीआई में फिर दोहरा गया... अब नागेश्वर राव बनाम राजा बालाजी का बवाल सत्ता गलियारे में गूंज रहा है।

सीबीआई विवाद के प्रसंग में सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा था कि कार्यकारी निदेशक एम नागेश्वर राव कोई भी नीतिगत फैसला नहीं ले सकते। लेकिन राव अनाप-शनाप तबादले कर रहे हैं। तबादले प्रशासनिक दायरे में आते हैं, लेकिन इस बहाने नागेश्वर राव वे तबादले भी कर रहे हैं, जो सीबीआई की नीतियों पर असर डाल रहे हैं। इन नीतिगत तबादलों के खिलाफ सीबीआई के एसपी टी राजा बालाजी ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। बालाजी का विद्रोह तो अखबारों की सुर्खियां बना, लेकिन बालाजी ने जिन संवेदनशील मसलों को उठाने की कोशिश की, उन मसलों को बड़े शातिराना तरीके से दबा दिया गया। हम उन दबे हुए मसलों को आपके समक्ष रख रहे हैं।

सीबीआई मुख्यालय दिल्ली में एंटी करप्शन ब्रांच के एसपी टी राजा बालाजी ने सेट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल की प्रिंसिपल बेंच के समक्ष करीब 80 पेज का दस्तावेज पेश किया है। यह दस्तावेज सीबीआई के मौजूदा कार्यकारी निदेशक एम नागेश्वर राव के कारनामों का पुलिंदा है। एसपी राजा बालाजी ने अपने तबादले के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया है। बालाजी का कहना है कि कुछ महीने पहले ही उनका तबादला बंगलुरू से दिल्ली हुआ है। बालाजी की मां कैंसर पीड़ित हैं। उनके इलाज के लिए केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री ने खास तौर पर एम्स के नजदीक एक फ्लैट आवंटित करने का आदेश दिया था। लेकिन नागेश्वर राव ने एक नहीं सुनी। बालाजी का तबादला भी कर दिया और तत्काल प्रभाव से उन्हें उनके पद से रिलीव भी कर दिया। दिलचस्प यह है कि जब इस मामले ने तूल पकड़ा तब सीबीआई ने आधिकारिक तौर पर कहा कि राजा बालाजी को रिलीव नहीं किया गया। यह सीबीआई का सफेद झूठ था। राव ने कुछ अन्य स्थानान्तरित अफसरों का तबादला तो रोक दिया, पर बालाजी का स्थानान्तरण नहीं रोका। आप जरूर सोचेंगे कि यह बालाजी कौन हैं? राजा बालाजी दक्षिण भारतीय हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश से उनका गहरा कार्यकारी रिश्ता है। बहुचर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड को नतीजे तक पहुंचाने और तत्कालीन मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा दिलवाने वाले सीबीआई के अधिकारी राजा बालाजी ही हैं। सीबीआई के एसपी राजा बालाजी ने केंद्रीय प्रशासनिक पंचाट को जो 80 पेज का दस्तावेज सौंपा है, वह सीबीआई के कार्यकारी निदेशक एम नागेश्वर राव के कारनामों की कई परतें खोलता है। राव के भ्रष्टाचार के अध्याय तो हम अगले कुछ मिनटों में खोलेंगे, अभी हम आपको बताते हैं उनके ऐसे कारनामे जो अजीबोगरीब भी हैं और दुखद भी। सीबीआई जैसी शीर्ष खुफिया एजेंसी के मुखिया के पद पर ऐसे किसी अफसर को कैसे बिठाए रखा जा सकता है..!

तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में 26 अगस्त 2012 को ईसाई समुदाय के एडविन राज की हत्या हुई थी। भाजपा नेता सी धर्मराज एडविन हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त थे। हत्याकांड की जांच सीबीआई को दी गई थी। उस समय एम नागेश्वर राव सीबीआई के चेन्नई जोन के संयुक्त निदेशक थे। सीबीआई मुख्यालय ने एडविन राज हत्याकांड की जांच का जिम्मा एसपी राजा बालाजी को दिया था। लेकिन एम नागेश्वर राव ने हत्याकांड के भाजपाई अभियुक्तों को बचाने के लिए जांच का काम बालाजी से लेकर एडिशनल एसपी रैंक के अफसर को दे दिया। किसी सीनियर अधिकारी से जांच छीन कर जूनियर अधिकारी को दिए जाने के पीछे नागेश्वर राव की मंशा साफ थी। राव ने इसके लिए सीबीआई निदेशक से औपचारिक मंजूरी लेने की भी जरूरत नहीं समझी। पहले तो झूठ बोलते रहे कि उनकी सीबीआई निदेशक से बात हो चुकी है, लेकिन बाद में उनका झूठ पकड़ा गया। इसी तरह नागेश्वर राव ने गुटखा बैरन और माफिया सरगना दाऊद इब्राहीम नेक्सस की जांच में भी दखलंदाजी की। सीबीआई के एसपी राजा बालाजी ने राव की दखलंदाजी के बारे में ट्राइब्यूनल को विस्तार से जानकारी दी है। आप जानते ही हैं कि गुटखा किंग रसिकलाल धारीवाल और जगदीश जोशी के तार सीधे तौर पर दाऊद इब्राहीम से जुड़े पाए गए थे और गुटखा सिंडिकेट अपने गोरखधंधे के लिए दाऊद के भाई अनीस इब्राहीम से सीधे मदद लिया करता था। दाऊद और अनीस की मदद से ही धारीवाल और जोशी ने पाकिस्तान में गुटखे का कारखाना लगाया था और अपना धंधा चमकाया था। गुटखा के धंधे में धारीवाल और दाऊद, दोनों ने बेपनाह कमाई की। सीबीआई ने मामले की जांच अपने हाथ में ली और दाऊद समेत उसके तमाम रिश्तेदारों और गुर्गों, मसलन, अनीस इब्राहीम, अब्दुल हामिद अंतुले, सलीम मोहम्मद गौस समेत कई लोगों को अभियुक्त बनाया। विडंबना यह है कि पुलिस ने रसिकलाल धारीवाल और जगदीश जोशी को अभियुक्त ही नहीं बनाया था। इस पूरे मामले की ऐसी लीपापोती कर दी गई कि कोई नतीजा नहीं निकला। लीपापोती कैसे हुई और किन लोगों ने की, उसकी एक कड़ी एम नागेश्वर राव भी है।

वर्मा-अस्थाना भिड़ंत के कारण हुई फजीहत से बचने के नाम पर केंद्र सरकार ने ऐसे अधिकारी को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाया, जिसने केंद्र सरकार की और किरकिरी कर दी। मन्नम नागेश्वर राव काफी विवादित आईपीएस अफसर रहे हैं। भ्रष्टाचार-विधा में भी उनका काफी नाम है। उनकी खासियत यह है कि वे उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के खास और मुख्य सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी के भी खास हैं। ओड़ीशा कैडर के आईपीएस अधिकारी नागेश्वर राव जब सीबीआई के चेन्नई जोन के संयुक्त निदेशक थे तो उन्होंने क्या-क्या गुल खिलाए, इसकी एक झलक देखते चलें।

तमिलनाडु में हुए बहुचर्चित हिंदुस्तान टेलीप्रिंटर्स लिमिटेड एचटीएल जमीन बिक्री घोटाले की जांच सीबीआई कर रही थी। जमीन बिक्री घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता सरकार के मुख्य सचिव आर राममोहन राव, उनके सचिव निरंजन मार्डी और सिडको के तत्कालीन अध्यक्ष हंसराज वर्मा आईएएस समेत कई हस्तियां लिप्त थीं। एम नागेश्वर राव चेन्नई जोन के एंटी करप्शन ब्रांच के प्रमुख थे। राव ने इस मामले में सीबीआई की जांच आगे नहीं बढ़ने दी और घोटाले के सबूत गायब किए जाते रहे। सीबीआई ने वह दस्तावेज भी दबा दिया जिसमें विभिन्न नेताओं और अफसरों को घूस दिए जाने का ब्यौरा दर्ज था। इस घोटाले में सरकारी राजस्व को उस समय 115 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और स्टेट बैंक को करीब 54 करोड़ का झटका लगा। इस घोटाले में लिप्त एसबीआई के उप महाप्रबंधक लियोन थेरेटिल, चीफ मैनेजर एन रामदास, एचटीएल के सीओओ डीपी गुप्ता और वीजीएन डेवलपर्स के प्रबंध निदेशक डी प्रथीश का भी कुछ नहीं बिगड़ा। एचटीएल की जिस जमीन को खरीदने के लिए 298 करोड़ की बोली लग चुकी थी, उसे काफी कम कीमत पर बेच डाला गया। दिलचस्प यह है कि जिस दिन जमीन रजिस्ट्री हुई उसी दिन उस जमीन को एक ट्रस्ट के पास गिरवी रख कर वीजीएन डेवलपर्स ने 280 करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया। यह बड़ा जमीन घोटाला था। क्योंकि उसकी बोली 298 करोड़ की लगी थी और जिस दिन उसे औने-पौने दाम पर बेचा गया उस दिन उस जमीन की सरकारी कीमत 387 करोड़ रुपए थी। नागेश्वर राव के खिलाफ सीबीआई के निदेशक को कई लिखित शिकायतें भी मिलीं, लेकिन राव का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया। राव का दुस्साहस यह रहा कि वीजीएन जमीन घोटाले की जांच का मामला उन्होंने अपनी मर्जी से इंडियन बैंक के अधिकारी वेलायुथम को दे दिया। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्य सचिव समेत राम मोहन राव समेत सारे अभियुक्त आईएएस नागेश्वर राव के खास थे और राव को प्रभावित कर चुके थे, इसलिए इस मामले में राव ने जांच आगे नहीं बढ़ने दी।

बाल की खाल उधेड़ने के क्रम में हम आपको बता दें कि सीबीआई के जिस निदेशक आलोक कुमार वर्मा को बेजार करके निदेशक के पद से हटाया गया, उसके एक महत्वपूर्ण कारक नागेश्वर राव भी रहे हैं। आलोक वर्मा ने एम नागेश्वर राव के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों की गहन जांच का आदेश दिया था। जांच में नागेश्वर राव की करतूतों की आधिकारिक पुष्टि होने के बाद वर्मा ने नागेश्वर राव को न केवल ओड़ीशा कैडर में वापस भेजने का प्रस्ताव दिया था बल्कि राव के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई शुरू करने के लिए भी केंद्रीय सतर्कता आयोग को लिखा था। लेकिन केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की एक नहीं सुनी। विवश आलोक वर्मा ने सीबीआई के चेन्नई जोन के तहत चल रही जांच को बंगलुरू ट्रांसफर कर दिया। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी के करीबी होने के कारण ही सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा द्वारा राव को सीबीआई से हटाने की कोशिशें नाकाम साबित हुईं। आखिरकार आलोक वर्मा को ही सीबीआई से हटना पड़ा।

भ्रष्टाचार की जांच करने वाली केंद्रीय खुफिया एजेंसी सीबीआई का मुखिया खुद भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरा हो और उसे लगातार बनाए रखने की केंद्र सरकार हट में लगी रही हो तो चरित्र का बखान करने वाली सरकार पर संदेह होगा ही... तथ्य बताते हैं कि नागेश्वर राव की पत्नी मन्नम संध्या ने आंध्र प्रदेश के गुंटुर जिले में करीब 14 हजार वर्ग फीट जमीन खरीदी, जिसे कोलकाता की फर्म एंजेला मर्केंटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड से लोन लेकर खरीदा दिखाया गया। जबकि असलियत इसके ठीक विपरीत है। असलियत यह है कि एंजेला मर्केंटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड एक कागजी कंपनी है। कागज पर उक्त कंपनी का पता सी-ए/39, सेक्टर-1, सॉल्ट लेक सिटी, कोलकाता दर्ज है। छानबीन की गई तो पता चला कि नागेश्वर राव की पत्नी मन्नम संध्या ने ही उक्त कंपनी को ही 38,27,141 रुपए कर्ज दे रखा है। यह अलग बात है कि दस्तावेजों पर एम. संध्या ने पति का नाम दर्ज कराने के बजाय अपने पिता चिन्नम विष्णु नारायणा लिखवाया हुआ है। एम. संध्या एंजेला मर्केंटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड की शेयर होल्डर हैं। संध्या ने कंपनी में 60 लाख से भी अधिक का निवेश कर रखा है और जमीन खरीदने के लिए कागज पर 25 लाख रुपए का लोन ले लिया है। नागेश्वर राव पर ओड़ीशा में वन भूमि खरीदने का मामला भी लंबित है। सीबीआई के कार्यकारी निदेशक एम. नागेश्वर राव अपनी पत्नी द्वारा किए गए निवेश में अनियमितताओं को गलत बताते हैं और कहते हैं कि उनके या उनकी पत्नी मन्नम संध्या द्वारा किए गए निवेश का ब्यौरा सक्षम प्राधिकारी को दे दिया गया है।

Monday 4 February 2019

बंगाल में बवाल...लोकतंत्र पर सवाल



'इंडिया वाच' के प्राइम टाइम सेंट्रल डिबेट में पश्चिम बंगाल के ताजा प्रकरण पर चर्चा हुई। आप भी सुनें और लोकतंत्र की हिफाजत के राजनीतिक तौर-तरीकों पर अपनी राय जरूर दें...