Friday 10 December 2021

 


एफएटीएफ के भारत आने के पहले खुफिया एजेंसियों ने तेज की छानबीन

हैदराबाद में बड़े पैमाने में हो रही है टेरर फंडिंग

तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में टेरर फंडिंग का मुख्य स्रोत है पीएफआई

पनामा पैराडाइज़ पेपर मामला भी देशविरोधी गतिविधियों और टेरर फंडिंग से लिंक्ड

मनी लॉन्ड्रिंग सरगना मोईन कुरैशी के हैदराबाद लिंक खंगालने में लगी खुफिया एजेंसियां

प्रभात रंजन दीन

मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए हैदराबाद और बंगलुरू में बड़ी तादाद में टेरर फिंडिंग हो रही है। टेरर फंडिंग रोकने की जद्दोजहद में लगी देश की खुफिया एजंसियों को यह सुराग मिला है कि तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद और कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू टेरर फंडिंग का सक्रिय केंद्र बनती जा रही है। टेरर फंडिंग में हैदराबाद और बंगलुरू के व्यापारिक प्रतिष्ठान, हवाला कारोबारी और करंसी काला-सफेद करने वाले माफिया सरगना लिप्त हैं। इन्हें कुछ राजनीतिक हस्तियां और प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी संरक्षण दे रहे हैं, जिन्हें खुफिया एजेंसियों की सतर्क निगरानी में रखा जा रहा है। हैदराबाद और बंगलुरू समेत देश के कुछ अन्य शहरों में इस नेटवर्क को खंगालने और फंडिंग-ट्रेल का पता लगाने की कवायद तेज गति से जारी है। टेरर फंडिंग को रोकने के लिए किए जा रहे उपायों और उपलब्धियों की समीक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था फिनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के विशेषज्ञों के भारत आने के पहले खुफिया एजेंसियों ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। एफएटीएफ की टीम कोरोना महामारी के कारण भारत नहीं आ पाई थी। एफएटीएफ सितम्बर 2022 में भारत सरकार की कार्रवाइयों की समीक्षा करेगा और फरवरी 2023 में एफएटीएफ की टीम भारत आएगी। हालांकि, एफएटीएफ ने भारत सरकार की अब तक की कार्रवाइयों पर संतोष जताया है।

खुफिया एजेंसी के अधिकारी पनामा पैराडाइज़ पेपर लीक प्रकरण को भी टेरर फंडिंग से लिंक्ड बताते हैं। उनका कहना है कि 930 संस्थाओं के जरिए 20 हजार 353 करोड़ रुपये का धंधा हुआ, जिसका बड़ा हिस्सा टेरर फंडिंग में इस्तेमाल किया गया। पनामा पैराडाइज़ प्रकरण में भी हैदराबाद के कई व्यापारी लिप्त पाए गए हैं। टेरर फंडिंग की जांच में केंद्रीय खुफिया एजेंसी सीबीआई, एनआईए के साथ-साथ इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट, इन्कम टैक्स, राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), फिनैंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू), सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलिजेंस ब्यूरो (सीईआईबी), कस्टम विभाग, सेबी और रिजर्व बैंक समेत 22 एजेंसियां लगी हुई हैं। खुफिया एजेंसियों ने पाया है कि टेरर फंडिंग की गतिविधियों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया सबसे अधिक सक्रिय है। इसकी सक्रियता तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में सर्वाधिक है। हैदराबाद लिंक से मिले सुराग के आधार पर ही इन्फोर्समेंट निदेशालय (ईडी) ने कुछ अर्सा पहले आंध्र प्रदेश के कुरनूल, नंदयाल, येम्मिगनूर और अय्यालुरु में छापामारी की थी और बड़ी मात्रा में आतंकी गतिविधियों से लेकर आतंकी फंडिंग तक के प्रमाण हासिल किए थे। ईडी के एक आला अधिकारी ने कहा कि कुरनूल शहर, नांदयाल, वेलुगोड, आत्माकुर, अदोनी, येम्मिगनूर, नेल्लोर शहर, कवाली और विजयवाड़ा शहर आंध्र प्रदेश के वे प्रमुख केंद्र हैं जहां पीएफआई अत्यधिक सक्रिय है। पीएफआई की आंध्र प्रदेश शाखा का मुख्यालय कुरनूल शहर में है। खुफिया एजेंसियों को मोहम्मद अली जिन्ना, मुफ्ती अब्दुल सुभान, हबीबुल्ला, रफीक मौलाना, अब्दुल्ला खान, शाहुल्ला अमीर और राशिद से कई महत्वपूर्ण सुराग हासिल हुए थे जिस पर ठोस तरीके से जांच आगे बढ़ी। ईडी ने पीएफआई की छात्र शाखा को भी उजागर किया जो कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के नाम से देश विरोधी गतिविधियों में सक्रिय है। ईडी के उक्त अधिकारी ने बताया कि कुछ ही समय के अंतराल में पीएफआई के खाते में सौ करोड़ रुपये की धनराशि जमा हुई। अधिकाधिक ट्रांजैक्शन कैश में हुआ और उसका इस्तेमाल टेरर फंडिंग से लेकर शाहीनबाग षडयंत्र और दिल्ली के दंगों में किया गया। पीएफआई को तुर्की से भी फंडिंग हो रही है, इसके ठोस सुराग ईडी को हाथ लगे हैं।

खुफिया एजेंसियों ने एक कोऑपरेटिव बैंक को भी अपनी सतर्क निगरानी में रखा है, जो पीएफआई के साथ मिल कर मुंबई से हैदराबाद, कर्नाटक और केरल तक मनी लॉन्ड्रिंग के काम में सक्रिय है और काना धन टेरर फंडिग में जा रहा है। इस बैंक को केंद्र सरकार के एक मंत्री का भी संरक्षण प्राप्त है। एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग धंधे के सरगना मोईन कुरैशी के हैदराबाद लिंक की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है। हैदराबाद के प्रमुख व्यापारी सतीश बाबू सना के अतिरिक्त कई और शख्स ऐसे हैं, जो मोईन से जुड़े रहे हैं और काला धन सफेद करने का धंधा करते हैं। मोईन कुरैशी से सम्बन्धों के कारण ही सतीश बाबू सना को गिरफ्तार किया जा चुका है। मोईन कुरैशी के दो खास लोगों सैयद मगफरत अली और मोहम्मद राजू के हैदराबाद लिंक पर खुफिया एजेंसी तेजी से काम कर रही है।

मोईन कुरैशी के नजदीकी सम्बन्धों के कारण सीबीआई के दो-दो निदेशकों एपी सिंह और रणजीत सिन्हा बर्खास्त हो चुके हैं। एपी सिंह की तो संदेहास्पद मौत भी हो गई। बताया गया कि उन्होंने आत्महत्या की, लेकिन जानकार लोग उनकी मौत को संदेहास्पद मानते हैं। कुरैशी की 25 कंपनियां खुफिया एजेंसियों के नेट पर हैं, इनमें से कुछ कंपनियां हैदराबाद और बंगलुरू में हैं। इनमें से कुछ कंपनियां दक्षिण भारतीय फिल्मों और फैशन से जुड़ी हैं, जिनके जरिए काला धन सफेद करने का धंधा चल रहा है। कुरैशी की बेटी परनिया कुरैशी जानिसार फिल्म में हिरोइन थी, जिसमें मोईन कुरैशी का पैसा लगा था। इसी फिल्म में गाने के लिए पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान को काले धन का 56 लाख रुपया दिया गया था, जिसे राजस्व खुफिया निदेशालय ने एयरपोर्ट पर ही पकड़ लिया था। मोईन कुरैशी के सीधे लिंक कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अहमद पटेल (अब मरहूम) से रहे हैं। अहमद पटेल और मोईन कुरैशी के बीच हुए कई लेनदेन पकड़े जा चुके हैं।

Monday 22 November 2021

देश तोड़ने वाले कुलीन लोग निकृष्ट थे, पवित्र और पूजनीय थीं तवायफें...

 

 

फिल्म अभिनेत्री कंगना राणावत के बयान और उस पर मची चिल्लपों पर पिछले दिनों मैंने जो कार्यक्रम बनाया, उस पर कुछ मित्रों ने अपनी असहमति दर्ज कराई। अफसोस यह है कि उन असहमतियों में विचार और जानकारियां कम, नाराजगी अधिक थी। नाराजगी इस बात पर कि कंगना को वीरांगना क्यों कह दिया..! इस नाराजगी में उन्होंने कंगना को वारांगना तक कह दिया। वारांगना तवायफ को कहते हैं। मेरा कार्यक्रम देख कर कुछ सज्जन राजनीतिक लाइन पकड़ने लगे तो कुछ धार्मिक लाइन पर जाकर प्रतिक्रिया देने लगे। ऐसे सज्जनों का दुर्जन भाव उनका स्तर ज्ञापित करता है, इसलिए वे अकादमिक जवाब डिज़र्व नहीं करते। लेकिन जो मित्र सचमुच तथ्यात्मक जानकारियां प्राप्त करने के इच्छुक रहते हैं, उनके लिए यह कार्यक्रम कुछ रोचक और प्रेरक जानकारियां देगा। आप भी देखें... और जानकारीशुदा प्रतिक्रया या सलाह जरूर दें। वीर कोई भी हो सकता है। वीरांगना कोई भी हो सकती है। वीरता पर किसी का जातिगत या कर्मगत एकाधिकार नहीं होता... यह बात हम सब को अपने अवचेतन में बिठा लेनी चाहिए। वारांगनाएं किस ऊंचे स्तर की वीरांगनाएं हो सकती हैं... इसे जानने के लिए आप इस कार्यक्रम को एक बार जरूर देखें।

Saturday 20 November 2021

कंगना पर गुर्राने वालों, खंडित आज़ादी पर इतराना छोड़ो...

 

खंडित आजादी स्वीकार कर मुस्लिम लीग और कांग्रेस ने सम्पूर्ण स्वतंत्रता आंदोलन पर कालिख पोत दी। मुस्लिम लीग और कांग्रेस के नेतृत्वकारी कुलीन चेहरों की काली करतूतें भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश के तीन दरके हुए चेहरों के रूप में पीढ़ियों दर पीढ़ियों को डराती रहेंगी। विभाजन के पाप को कोई सामने रख दे तो पापियों की नस्लों और उनके प्रतिउत्पादों को गुस्सा आने लगता है। यह देश तो सहिष्णुताधारी कायरों का है... इस देश में पौरुष जब-जब नाकारा साबित हुआ है, वीरांगनाएं जागी हैं... कंगना राणावत जैसी महिलाओं में पौरुष जागता है। खंडित शापित आजादी के चौहत्तर साल बाद भी इस देश में मर्दानगी नहीं जाग रही... तो फिर वीरांगनाएं जागेंगी ही। एक बार और झलक ले लीजिए देश को काट कर ली गई अपने-अपने हिस्से की आजादी के काले किस्से की... और एक बार फिर से देख लीजिए देश के इतिहास और देश की संस्कृति पर गंदगी फैलाने वाले नस्लदूषित नेताओं के बदनुमा चेहरे...

Friday 6 August 2021

15 अगस्त को यूपी पर हमला... योगी को खालिस्तानी आतंकवादी की धमकी

यूपी के सारे महत्वपूर्ण पावर प्लांट्स कर दिए जाएंगे ठप्प...
सहारनपुर से रामपुर तक होगा खालिस्तानियों का कब्जा...
पाकिस्तान पोषित आतंकी संस्था 'सिख फॉर जस्टिस' ने 15 अगस्त को उत्तर प्रदेश पर खालिस्तानियों के हमले की धमकी दी है। घोषित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अपना ऑडियो संदेश जारी कर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनौती दी है कि वह उन्हें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराने देगा। पतवंत ने धमकी दी है कि 15 अगस्त को यूपी के सारे पावर प्लांट्स ठप्प कर दिए जाएंगे और सहारनपुर से लेकर रामपुर तक का क्षेत्र खालिस्तानियों द्वारा कब्जे में ले लिया जाएगा। इसी प्रतिबंधित संस्था ने जुलाई में यूपी और उत्तराखंड के गुरुद्वारों में खालिस्तान के लिए वोटर पंजीकरण का अभियान चलाया था। आइये सुनते हैं आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू का वह खतरनाक संदेश और समझते हैं इसके पीछे का कुचक्र...

Thursday 22 July 2021

उसकी मौत का दोषी कौन..? पूरा सिस्टम मौन...

वारदात को अंजाम देने वाला दोषी होता है या वारदात को उजागर करने वाला..? यह एक साधारण सवाल है। इसका जवाब भी उतना ही साधारण और स्वाभाविक है कि वारदात करने कराने वाला ही दोषी होता है। किसी वारदात की जांच घटना के दोषी को कानून की गिरफ्त में लेने के लिए होती है। जांच इसलिए नहीं होती कि घटना को उजागर करने वाले को ही कस दिया जाए और मुजरिम को उन्मुक्त छोड़ दिया जाए। लखनऊ के एक कोविड अस्पताल में लहूलुहान हालत में पाए गए रोगी की लाश कोविड-डेथ बताकर फुंकवा दी गई। रक्तरंजित अवस्था में हुई संदेहास्पद मौत की वजह जाने बगैर उसे कैसे फुंकवा दिया गया..? अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी..? मृत्यु की वजह जानने के लिए लाश का पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं कराया..? घटना को लेकर संदेह के घेरे में आए अस्पताल के अधिकारियों और डॉक्टरों को कानूनी सवालों में कसने के बजाय घटना को प्रकाश में लाने वाले पत्रकार से ही उल्टा क्यों पूछा जाने लगा कि साक्ष्य कैसे मिले, कहां से मिले..? क्या किसी वारदात की जांच ऐसे होती है..? क्या कोई नया कानून आया है, जिसमें वारदात की जांच करने के बजाय वारदात उजागर करने वाले पर ही जांच केंद्रित करने का प्रावधान हो..? इन सवालों को समझने के लिए आइए चलते हैं कहानी के विस्तार में...

Wednesday 14 July 2021

यूपी / उत्तराखंड के गुरुद्वारों में खालिस्तान के लिए वोटर-रजिस्ट्रेशन..!

 

 यूपी / उत्तराखंड के गुरुद्वारों में खालिस्तान के लिए वोटर-रजिस्ट्रेशन..!

आतंकी संस्था 'सिख फॉर जस्टिस' की तरफ से हो रही है सिखों से अपील
खुफिया एजेंसियां कहती हैं उन्हें पता है, पर जमीन पर कार्रवाई लापता है
यूपी / उत्तराखंड के गुरुद्वारों की तरफ से भी अबतक कोई खंडन जारी नहीं
विधानसभा चुनाव के पहले दोनों राज्यों को अराजकता में धकेलने का कुचक्र
शाहीनबाग के षडयंत्रकारी अब सिख नागरिकों के कंधे पर हथियार रख कर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को अस्थिर करने का कुचक्र कर रहे हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से पोषित आतंकी संस्था 'सिख फॉर जस्टिस' ने पंजाब को भारत से आजाद कराने के लिए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सिख परिवारों से खालिस्तान के समर्थन में वोटर रजिस्ट्रेशन कराने की अपील की है। इसी 18 जुलाई 2021 से दोनों प्रदेशों के तमाम गुरुद्वारों में खालिस्तान के लिए वोटर रजिस्ट्रेशन अभियान शुरू करने की बात कही गई है। कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन से संचालित हो रही संस्था 'सिख फॉर जस्टिस' को भारत सरकार ने बैन कर रखा है और इसके सरगना गुरुपतवंत सिंह पन्नू समेत आठ पदाधिकारी आतंकवादी घोषित हैं। इसके बावजूद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की सरपरस्ती और फंडिंग से इस संस्था की भारत विरोधी गतिविधियां जारी हैं।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सिख नागरिकों के लिए खास तौर पर जारी यह टेलीफोनिक संदेश सुनें तो आपको हैरत होगी कि बात किस हद तक पहुंच चुकी है। इस टेलीफोनिक कॉल में यूपी और उत्तराखंड के गुरुद्वारों में 18 जुलाई से खालिस्तान के समर्थन में वोटर रजिस्ट्रेशन कराने की अपील की गई है... लेकिन अब तक एक भी गुरुद्वारे की तरफ से इस कॉल का खंडन सामने नहीं आया है। आईबी और एटीएस जैसी देश और प्रदेश की दो शीर्ष खुफिया एजेंसियां कहती हैं कि यह मामला उनके भी संज्ञान में आया है और इसकी जांच चल रही है... लेकिन इस संज्ञान और जांच का कोई नतीजा सामने नहीं आया है, जबकि आज 15 जुलाई हो चुकी है और तीन दिन बाद ही दोनों प्रदेशों के गुरुद्वारों में खालिस्तान के समर्थन में वोटर रजिस्ट्रेशन होना है।
खास तौर पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अचानक यह खालिस्तान का प्रकरण क्यों उभरा..? दोनों राज्यों में सात-आठ महीने के अंदर चुनाव होने हैं... कौन हैं वे तत्व जो अपने पैंतरे बदल-बदल कर पूरे देश को अराजकता और अस्थिरता की दिशा में ले जाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं..? कौन हैं वे लोग जो विधानसभा चुनाव के पहले इन दोनों संवेदनशील प्रदेशों को अस्थिरता, अराजकता और हिंसा की आग में झोंकना चाहते हैं..? षडयंत्रकारी यह जानते हैं कि उत्तर प्रदेश अस्थिर होगा तो पूरे देश की राजनीति अस्थिर होगी। देश को विचित्र स्थिति में फंसाने की तैयारी है। यह छोटा सा कार्यक्रम देखें... अपने इर्द-गिर्द पसरे देश विरोधी तत्वों को पहचानें... उनसे आगाह रहें और उन्हें पनपने न दें।

Wednesday 16 June 2021

उफ्फ... यूपी के मेधावी सपूत को किस बेरहमी से मारा..!

  

नृशंसता से मिटा डाली गौरवशाली सैन्य परम्परा की इकलौती निशानी...
सैनिक सम्मान पर कालिख पोती, भाजपा सरकार ने चुप्पी साध ली...
फर्जी अस्पताल, फर्जी इलाज, फर्जी शासनादेश और फर्जी बयानों का प्रदेश...
वह लखनऊ का नायाब परिवार था। पिता भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद से रिटायर हुए थे। राष्ट्रपति से सम्मानित हुए थे। दादा भी भारतीय सेना में कैप्टेन थे। ऐसे गौरवशाली परिवार की वह इकलौती निशानी था। उस परिवार का वह इकलौता बेटा अपने देश और अपने उत्तर प्रदेश का भी लाल था। उसने इंजीनियर और वैज्ञानिक के रूप में इतनी कम उम्र में ही अपनी मेधा का परचम लहराया था। वह इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) के वैज्ञानिकों की उस टीम में शामिल था जिसने Indian Regional Navigation Satellite System और भारतीय रेलवे के लिए जी-सैट एप्लिकेशन तैयार किया था। 26 साल के ऐसे मेधावी बच्चे को लखनऊ के एक फर्जी अस्पताल और उस अस्पताल के डॉक्टर मालिक ने बड़ी बेदर्दी से मार डाला। बच्चे को कोविड का संक्रमण नहीं था, फिर भी जबरन कोविड के इलाज के नाम पर उसके शरीर को दुष्प्रयोगों का 'सब्जेक्ट' बना डाला गया। जबकि अस्पताल भी कोविड-अस्पताल नहीं था और वहां कोविड रोगियों का इलाज प्रतिबंधित था। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सत्ताधीश और सत्तातंत्र के आसन के नीचे गैर-कानूनी, गैर-मानवीय धंधा जारी था, जारी है और जारी रहेगा। अस्पताल ने यूपी की मेधा, यूपी के गौरव और यूपी के सम्मान पर कालिख पोत दी। लेकिन योगी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा। अस्पताल ने धीरे धीरे उस मेधावी युवक को मौत की तरफ धकेला और उसी क्रम से अभिभावकों का धन भी लूटता रहा। जब देखा कि धन का स्रोत सूख रहा है तो युवक के मरने के पहले ही डेथ सर्टिफिकेट तैयार कर लिया। दवाइयां बंद कर दीं और ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी। उसे मृत घोषित किया और लाश सड़क पर डाल दी। इस अस्पताल का यही धंधा है, लेकिन सरकार कुछ नहीं करती, नौकरशाहों को हिस्सा पहुंच जाता है। ऐसे आपराधिक अस्पतालों की लखनऊ में भारी भीड़ है।
अस्पताल के आपराधिक कुकृत्य से अपना इकलौता बेटा खो देने वाला एक फौजी जो कई युद्ध जीत चुका हो, वह बुरी तरह हार गया और हताश हो गया। एक फौजी के साथ ऐसा बेजा, बेहूदा और बेरहम सलूक हो और सरकार चुप्पी साधे रहे, वह सरकार जो राष्ट्रवाद और सैनिक सम्मान का नारा दे देकर अघाती न हो... कितना शर्मनाक और विरोधाभासी चरित्र है यह..! आइये चलते हैं तकलीफदेह यातनाओं के उस भयानक सफर में... और शिद्दत से महसूस करते हैं उस सैनिक परिवार की अपार पीड़ा...
तीन एपिसोड की इस श्रृंखला की आखिरी कड़ी में आप देखेंगे वह दुखद घटना जिसमें लखनऊ के एक अस्पताल ने एक युवक को बंधक बना कर इसलिए मार डाला क्योंकि उसने अस्पताल में रोगियों की किडनी निकाले जाने का घृणित कर्म अपनी आंखों से देख लिया था...

Tuesday 1 June 2021

लखनऊ के अस्पताल में कोविड रोगी की नृशंस हत्या..! सनसनीखेज घटना का खुलासा...

 
अस्पताल प्रबंधन ने कोविड-डेथ बताकर लहूलुहान युवक की लाश फुंकवा दी।
न पुलिस को खबर की और न लाश का पोस्टमॉर्टम कराया।
कंट्रोल रूम संदेश देता रहा, ड्युटी डॉक्टर जख्मी युवक के मरने का इंतजार करता रहा।
दो शीर्ष नौकरशाहों को घटना की जानकारी 16 मई को दी थी और वर्जन मांगा था।
लेकिन शासन के शीर्ष पदों पर बैठे अफसरों ने सूचना दबा दी।
न सीएम को बताया न गृह विभाग के प्रमुख को जानकारी दी।
स्वास्थ्य विभाग बेमानी शासनादेश जारी कर लीपापोती की कोशिशें कर रहा है।
अस्पताल प्रबंधन ने दस्तावेजों में भारी गड़बड़ी की है।
मेडिको-लीगल केस के साथ आपराधिक छेड़छाड़ की गई है।
आइये चलते हैं इस सनसनीखेज किन्तु मार्मिक खबर के विस्तार में...
आखिर में अगले हफ्ते की सनसनीखेज कहानी की भूमिका जरूर सुनिये और सनद रखिये...

Monday 24 May 2021

भ्रमित किसानों का 'कोरोना-दिवस'... कलुषित सियासत का 'काला-दिवस'

देशभर में व्याप्त कोरोना विपदा और मौत के तांडव के बीच विपक्षी दलों ने 26 मई को काला दिवस मनाने के लिए किसानों को उकसाने का काम किया है। किसान आंदोलन और काला दिवस के नाम पर जुटने के लिए बुलाई जा रही भीड़ किस तरह कोरोना वापस लेकर लौटेगी और उसका क्या घातक परिणाम सामने आएगा, इसकी कल्पना की जा सकती है, क्योंकि कोरोना त्रासदी को लोग देख रहे हैं और भुगत रहे हैं। भ्रमित किसानों को समझ में नहीं आ रहा कि राजनीतिक दल उनका क्या हश्र करने वाले हैं। किसान आंदोलन के नाम पर जिस तरह अवसरवादी लेफ्टिस्ट, अतिवादी रैडिकलिस्ट, नस्लदूषित प्रोग्रेसिविस्ट और अधर्मी सेकुलरिस्ट देश में अराजकता का सृजन करने में लगे हैं, उस पर समय रहते अंकुश नहीं लगा तो देश में कोरोना की तरह का ही दूसरा एक भयानक मानव-जनित केऑस का सृजन होने वाला है। ये तत्व अभी किसानों के कंधे पर हथियार रख कर आगे बढ़ रहे हैं। आगे इसे जातीय, धार्मिक और अतरराज्यीय हिंसा में बदले जाने की तैयारी है। किसानों को काला दिवस का काला संकेत समझना चाहिए...

Friday 21 May 2021

यूपी में 'बाबू-राज' है या 'साधु-राज'..!

 
संन्यास के छूटे पथ पर क्या वापस लौटेंगे योगी आदित्यनाथ..!
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साधु हैं या नेता..?
यूपी में कोरोना के विकराल स्वरूप अख्तियार करने का दोषी कौन है..?
लोगों की बेतहाशा हुई मौतों के लिए सरकार जिम्मेदार है या आम लोग..?
बेवकूफ व्यक्ति अधिक दोषी होता है या चालाक व्यक्ति..?
यूपी के गांवों में कोरोना फैलने और ग्रामीणों की धड़ाधड़ हो रही मौतों की वजह क्या है..?
यूपी के गांव-गांव में कोरोना पसरने की वजह पंचायत चुनाव है या दैवीय कोप..?
मौत के आंकड़े कम दिखाने की हरकत साधुता है या शैतानियत..?
किसकी लापरवाही से नौकरशाह अराजक होकर शासन पर हावी हो जाता है..?
साधु के लिए प्राथमिक पद होता है या कद..?
योगी में संन्यास के छूटे हुए पथ पर वापस लौटने का क्या आत्मबोध जग सकता है..?
इन सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश है इस विशेष समीक्षा में... आप इसे जरूर देखिए और इन सवालों पर अपनी राय जरूर भेजिए।

Tuesday 11 May 2021

जेल में बंद हत्यारों को बड़े बड़े अस्पताल कर रहे भर्ती...

 
 
हम भारतीय विचित्र लोग हैं... शास्त्रों में पढ़ा और बुजुर्गों से सुना कि विपदा में समाज एक हो जाता है। लेकिन भारतवर्ष में इसका ठीक उल्टा होता है। कोरोना आपदा ने, हम असलियत में क्या हैं, इसका छद्म हटा दिया। हम विपदा में दवाएं ब्लैक करते हैं, हम ऑक्सीजन ब्लैक में बेचते हैं, दवाओं के लिए छटपटा रहे लोगों को हम नकली दवाएं बेचते हैं, हम अस्पतालों में लोगों के मरने तक पैसा चूसते हैं, हम पीड़ा झेल रहे रोगियों से बर्बर सलूक करते हैं, महामारी के नाम पर हम तमाम किस्म के भ्रष्टाचार के रास्ते आविष्कार करते हैं और नीचता पर उतरने के सारे पैमाने तोड़ कर स्खलित होते चले जाते हैं। सत्ता सियासतदान, विपक्ष में बैठे नेता, सत्ता के विभिन्न पदों पर आसीन नौकरशाह, वरिष्ठ ओहदे पर बैठे तमाम डॉक्टर और समाज निर्माण के सारे पुरोधा... सब गिरे हुए हैं। जो लोग पाप और पुण्य का नैतिक फर्क समझते हैं और अपने आचरण में उतारते हैं... बस वही निरीह बचे हैं और वे मरने के लिए लाइन में खड़े हैं। आज की कहानी ऐसे ही एक विचित्र नैतिक स्खलन की कहानी है। कोरोना आपदा का बहाना बना कर नेता, नौकरशाह और डॉक्टरों का सिंडिकेट, नरसंहार करने वाले अपराधियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए क्या-क्या तिकड़म करता है, आज की लघु-सत्य-कथा इसी तिकड़म को उजागर करने की छोटी सी कोशिश है। तिकड़म में शामिल सीनियर डॉक्टर को सत्ता किस तरह पुचकारती है... यह वीभत्सता भी देखिए और सोचिए कि हम लोगों ने किस तरह का देश, किस तरह का नेता और किस तरह का तंत्र गढ़ा है...
- प्रभात रंजन दीन

Friday 30 April 2021

चुनाव ड्युटी पर गए आठ सौ शिक्षक कोरोना से मर गए, फिर भी योगी चुप हैं..!

 चुनाव ड्युटी पर गए आठ सौ शिक्षक कोरोना से मर गए, फिर भी योगी चुप हैं..!
यूपी के पंचायत चुनाव की ड्युटी में झोंके गए आठ सौ शिक्षकों की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। इनमें बड़ी संख्या में महिला शिक्षक भी हैं। 10 हजार से अधिक शिक्षक कोरोना से भीषण रूप से आक्रांत हैं। अभी कई और शिक्षक जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहे हैं। आठ सौ शिक्षकों की दुखद मौत पर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पूरी उत्तर प्रदेश सरकार चुप है। एक नेता या अफसर की मौत पर तीव्र गति से जारी होने वाला मुख्यमंत्री का शोक संदेश, शिक्षकों की मौत पर जारी नहीं हुआ। पंचायत चुनाव कराने के सत्ताई हठ पर सैकड़ों शिक्षक कुर्बान हो गए और उनका घर संसार उजड़ गया, इसके बावजूद सत्ता की उपेक्षा शर्मनाक है। अखबारों ने भी यह खबर अंदर के पन्नों पर छापी। जबकि यह खबर सारे अखबारों की समवेत-स्वीकार्य लीड यानी Unanimous Lead खबर होना चाहिए थी। यह कम शर्मनाक नहीं है। किसी भी अखबार ने आठ सौ शिक्षकों की मौत को केंद्रित करते हुए हेडिंग भी नहीं बनाई... सारे अखबारों ने शिक्षकों की मौत की खबर को अंडर-प्ले करने वाली हेडिंग्स लगाई। अमानवीयता की यह इंतिहा है... इसके आगे कुछ लिखना नहीं, आप खुद ही देखिए और महसूस करिए भारतीय लोकतंत्र के नियंताओं की संवेदनहीनता का चरम...

Sunday 25 April 2021

PM और CM को ऑक्सीजन चाहिए... हालत नाजुक

 
PM और CM को ऑक्सीजन चाहिए... हालत नाजुक
घर का अभिभावक घर के सारे दायित्वों को अपने सिर लेता है, उसे own करता है... देश का प्रधानमंत्री और राज्य का मुख्यमंत्री क्रमशः देश और राज्य का अभिभावक होता है... उसे देश राज्य के सारे दायित्व अपने सिर लेने ही होंगे, नहीं तो अभिभावकत्व से मुक्त हो जाना ही एकमात्र नैतिक विकल्प है। अभी देश राज्य की जो हालत है, उसे संभालने में हमारे अभिभावक फेल हैं, लेकिन वे अभिभावकत्व से मुक्त होने का नैतिक विकल्प स्वीकार करने को तैयार नहीं। देश के आम नागरिक को भौतिक ऑक्सीजन की जरूरत है तो नेताओं को नैतिक ऑक्सीजन की नितांत आवश्यकता है... भौतिक ऑक्सीजन के अभाव में हम मर रहे हैं और नैतिक ऑक्सीजन की किल्लत के कारण नेता मर रहे हैं। एक फिल्मी गाना बड़ा प्रचलित था... जाने कहां मेरा जिगर गया जी, अभी अभी इधर था, किधर गया जी... ऑक्सीजन की आकस्मिक गुमशुदगी पर यह फिल्मी गाना बिल्कुल फिट बैठता है। अभी अभी इधर था, किधर गया जी... देश के सत्ता अलमबरदारों से यही सवाल पूछा जा रहा है तो तमाम किस्म के बहाने और नौटंकियां परोसी जा रही हैं। बहाने और नौटंकियां सूंघ कर लोगों की सांसें चल सकतीं तो सारे सत्ताधारी नेता आज अस्पताल में रोगियों के साथ प्लास्टिक की नाल से नथे होते... शासन और प्रशासन को ऑक्सीजन की नियोजित-प्रायोजित गुमशुदगी के बारे में सब कुछ पता है। ऑक्सीजन के सिलिंडर्स नेताओं, नौकरशाहों, जजों, धनपशुओं और दलालों के घरों में भंडारित (stock-piled) हैं तो वहां से कौन निकाले... और कौन बताए..! मरना तो आम जनता को ही है... जनता का मरना महज कुछ नंबर का कम होना है... बस, लोगों को झांसे में रखने वाला प्रहसन और वोट चूसने वाला उपक्रम जारी रहना चाहिए।
बाजार से ऑक्सीजन गायब है और अस्पतालों से बिस्तर गायब हैं। सरकार के सियासी या प्रशासनिक नुमाइंदे जो बयान देते हैं और जो विज्ञप्तियां छपवाते हैं, उनकी बातों का भरोसा मत करिए। आप किसी श्मशान या कब्रगाह के पास खड़े हो जाएं और सत्ताधारी नेता और नौकरशाह के दावों को चिता पर फुंकता हुआ और कब्र में दफ्न होता हुआ देखें... आप अस्पतालों के सामने खड़े हो जाएं और मरने वालों का तांता लगा हुआ देखें। आप देखें अस्पतालों के आगे दलाल किस तरह सक्रिय हैं, आपको भर्ती कराने के एवज में आपको किस तरह लूट रहे हैं। भर्ती हो गए तो अंदर शैतानों का तांडव देखिये। आपकी जेब से पैसा खत्म तो आप भी खत्म... आपको फौरन अस्पताल से बाहर खदेड़ दिया जाता है और आप घर तक पहुंच भी नहीं पाते कि आपके अपने दम तोड़ चुके होते हैं। इसके अनगिनत ठोस प्रमाण सड़कों पर बिखरे पड़े हैं। अस्पतालों के अंदर रोगियों के साथ अमानुषिक आपराधिक अत्याचार किया जा रहा है। रोगी को देखने वाला कोई नहीं होता। एक बार खाना दिया तो दूसरी बार गायब। सुबह की दवा रात तक अगर मिल गई तो गनीमत समझिए। आपके सिरहाने रखा मोबाइल इसलिए गायब कर दिया जाता है कि आप अंदर की कोई खबर बाहर न भेज दें। किसी बात पर आपने दो बार किसी को पुकारा तो तीसरी बार आपके साथ हाथापाई निश्चित होगी। अस्पतालों से बाहर निकलने वाली लाशों का अगर हाल देखने का मौका मिले तो देखिए उनकी लहूलुहान हालत। इसीलिए अस्पतालों के वार्डों में सीसी टीवी कैमरे नहीं लगते। ...नेता नौकरशाह बड़ी बड़ी बातें करते हैं, खुद को कड़ियल दिखाते हैं, लेकिन होते बड़े सड़ियल हैं। रोगी के साथ अमानुषिक आपराधिक हरकतों की पोल न खुल जाए, इसलिए संक्रमण का डर दिखा कर और WHO का झूठा हवाला देकर लाशों का पोस्टमॉर्टम नहीं कराते।
आइये, बाजार और अस्पतालों से ऑक्सीजन के अपहरण, अस्पताल में सीसी टीवी कैमरे नहीं लगाने की चालबाज हरकतें और कोरोना रोगियों का पोस्टमॉर्टम नहीं कराने के शातिराना षडयंत्र की तथ्यात्मक पड़ताल करें...

Saturday 17 April 2021

योगी सरकार जवाब दे...

हम सब लोग विचित्र संकट के दौर से गुज़र रहे हैं। कोरोना या कोविड वायरस का प्रकृति से कोई लेना देना नहीं है। हम शैतान मनुष्यों द्वारा निर्मित घातक वायरस की चपेट में हैं। शैतान शक्तियां, पूंजी शक्तियां और सियासी शक्तियां सब हाथ मिला चुकी हैं। मौत की वजह बांट कर दवा और वैक्सीन का धंधा चलाने का गोरखधंधा हमारी समझ में अब तक तो आ ही जाना चाहिए। हमारी नासमझी, हमारी लापरवाही और सरकारों की नियोजित उपेक्षा (प्री-प्लांड नेग्लिजेंस) के कारण चारों तरफ मौत का तांडव है। गवर्नेंस फेल है। प्रशासन फेल है। चिकित्सा व्यवस्था फेल है। देह के अंतिम संस्कार के इंतजाम फेल हैं... सरकारों की प्राथमिकता मौत रोकने के बजाय मौत कम दिखाने की है। मरघटों को टीन-टप्परों से ढंकने के कुत्सित काम हो रहे हैं। मैंने अपने हृदय से निकले कुछ शब्दों के जरिए महामारी और मौत का खौफनाक दृश्य दिखाने की कल कोशिश की थी... हर सिर पर लटका मौत का फंदा, यह काला धंधा किसका है... यह कोई काल्पनिक काव्य अभिव्यक्ति नहीं है, यह पंक्तियां कठोर यथार्थ हैं, बिल्कुल एलएमजी की गोली की तरह कलेजे में सुराख बनाने वाली...  

खैर, मैं बाद में आऊंगा, कुछ खास खोजी खबरें लेकर... अभी जल्दी जल्दी आपके समक्ष आज की कुछ बातें रख देता हूं... यह आपके विचार के लिए हैं और लोकतांत्रिक अधिकार की मांग को प्रगाढ़ करने के लिए हैं। अभी आपने देखा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक राज्यादेश जारी किया। जिसके मुंह पर मास्क नहीं होगा उससे एक हजार रुपए का जुर्माना वसूला जाएगा। जो दूसरी बार बिना मास्क के पकड़ा जाएगा, उससे 10 हजार रुपए का जुर्माना वसूला जाएगा। चलिए... लापरवाह लोगों को सीख देने के लिए यह आदेश स्वीकार्य है। लेकिन सरकार ने इस तरह का फरमान जारी करने के पहले क्या अपनी नैतिकताएं तय कीं..? अपने गिरेबान में झांका..? अपनी लापरवाहियों के बारे में कोई जुर्माना या सज़ा तय की..? सारा दायित्व आम आदमी निभाए... नेता, नौकरशाह, बड़े डॉक्टर, बड़े बड़े अस्पतालों के धनपशु मालिकों को क्या सारे दायित्वों और जिम्मेदारियों से छूट मिली हुई है..? क्या आपने कभी सुना कि सरकार ने इनकी लापरवाहियों के लिए कभी कोई जुर्माना तय किया हो..? योगी सरकार के इस जुर्माना फरमान के बरअक्स... उसके समानान्तर कुछ सवाल रखता हूं। इन सवालों का जवाब देने की सरकार में नैतिक ताकत बची हो तो वह जवाब के साथ सामने आए... आइये उन सवालों में झांकें और सरकार से जवाब मांगने की ओर पुख्ता कदम बढ़ाएं...