Monday 22 November 2021

देश तोड़ने वाले कुलीन लोग निकृष्ट थे, पवित्र और पूजनीय थीं तवायफें...

 

 

फिल्म अभिनेत्री कंगना राणावत के बयान और उस पर मची चिल्लपों पर पिछले दिनों मैंने जो कार्यक्रम बनाया, उस पर कुछ मित्रों ने अपनी असहमति दर्ज कराई। अफसोस यह है कि उन असहमतियों में विचार और जानकारियां कम, नाराजगी अधिक थी। नाराजगी इस बात पर कि कंगना को वीरांगना क्यों कह दिया..! इस नाराजगी में उन्होंने कंगना को वारांगना तक कह दिया। वारांगना तवायफ को कहते हैं। मेरा कार्यक्रम देख कर कुछ सज्जन राजनीतिक लाइन पकड़ने लगे तो कुछ धार्मिक लाइन पर जाकर प्रतिक्रिया देने लगे। ऐसे सज्जनों का दुर्जन भाव उनका स्तर ज्ञापित करता है, इसलिए वे अकादमिक जवाब डिज़र्व नहीं करते। लेकिन जो मित्र सचमुच तथ्यात्मक जानकारियां प्राप्त करने के इच्छुक रहते हैं, उनके लिए यह कार्यक्रम कुछ रोचक और प्रेरक जानकारियां देगा। आप भी देखें... और जानकारीशुदा प्रतिक्रया या सलाह जरूर दें। वीर कोई भी हो सकता है। वीरांगना कोई भी हो सकती है। वीरता पर किसी का जातिगत या कर्मगत एकाधिकार नहीं होता... यह बात हम सब को अपने अवचेतन में बिठा लेनी चाहिए। वारांगनाएं किस ऊंचे स्तर की वीरांगनाएं हो सकती हैं... इसे जानने के लिए आप इस कार्यक्रम को एक बार जरूर देखें।

No comments:

Post a Comment