Sunday 27 September 2020

संघ के संरक्षण में फल-फूल रहा भाषा वि.वि. में भ्रष्टाचारवाद


लखनऊ के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों की नियुक्ति का घोटाला उजागर होते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात की और फिर त्वरित गति से कुछ कार्रवाइयां हुईं। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की भांजी डॉ. सुप्रिया अवस्थी का इस्तीफा हुआ और अम्मार रिजवी के बेटे डॉ. सुलेमान रिजवी और वीसी प्रो. माहरुख मिर्जा की साली अनम फातिमा की नियुक्ति निरस्त हुई। भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. माहरुख मिर्जा ने इस्तीफे और कुछ नियुक्तियों के निरस्त किए जाने की खबर सार्वजनिक नहीं की है। अभी भी वे मौके की तलाश में हैं कि कुछ जुगाड़ निकाला जा सके। सरकार के दबाव में एक दो नियुक्तियों पर कार्रवाई हो गई लेकिन बाकी अवैध नियुक्तियां बरकरार रह गईं। उप मुख्यमंत्री की भांजी ने इस्तीफा दिया तो दूसरे प्रोफेसर की भांजी को ज्वाइन करा दिया, जैसे विश्वविद्यालय नहीं,
माहरुख मिर्जा की खाला जी का घर हो..
! राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का सीधा संरक्षण मिलने से मदमाए वीसी ने इसी क्रम में कुछ अन्य अवैध नियुक्तियां भी कर डाली हैं। भाषा विश्वविद्यालय में संघ की अवांछित घुसपैठ की तरफ सरकार और राजभवन दोनों आंखें मूंदे है। संघ के वरिष्ठ नेता और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार के पैरवी-पुत्र लक्ष्मण सिंह की इतिहास विभाग में हुई नियुक्ति पर पूरे परिसर में आक्रोश है। आचरणिक शिकायतों के बावजूद वीसी माहरुख मिर्जा ने संघ नेता के दरबारी को नियुक्त कर लिया है। विश्वविद्यालय के छात्र, छात्राएं और शिक्षकवृंद सब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विरोधाभासी चारित्रिक प्राथमिकताओं पर सवाल उठा रहे हैं। वीसी माहरुख मिर्जा पूरी तरह इंद्रेश कुमार के शरणागत हैं। इंद्रेश कुमार को डॉक्टर ऑफ लेटर्स (डी.लिट.) की शीर्ष अकादमिक उपाधि से विभूषित भी कर चुके हैं। मिर्जा 26 अक्टूबर को भाषा विश्वविद्यालय के वीसी पद से रिटायर हो जाएंगे, लेकिन संघ उन्हें हैदराबाद के मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय का वीसी बनाने की जुगत में है। भाषा विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचारवाद को प्रश्रय देने वाले संघ के नेता इंद्रेश कुमार प्रो. माहरुख मिर्जा जैसे लोगों को साथ में लेकर कैसा राष्ट्रवाद लाना चाहते हैं, इसे लेकर शिक्षा जगत में तीखे कटाक्ष चल रहे हैं।