Monday 25 January 2021

विदेशी वैक्सीन कार्टेल का 'स्वदेशी' एजेंडा

 
विदेशी वैक्सीन पर 'स्वदेशी' डांस

पूरे देश में कोरोना-वैक्सीन दिए जाने का सरकारी-उत्सव मनाया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारें सरकार-प्रायोजित महोत्सव की तरह वैक्सीनेशन का कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं। इस आयोजन में आपको कहीं भी चीन द्वारा मानवता के विरुद्ध की गई कोरोना-साजिश के प्रति अंतरराष्ट्रीय सांगठनिक प्रयास की क्या एक भी झलक कहीं दिख रही है..? किसी देश की सरकार ने विश्व के लोगों को गिनी-पिग बना डाला और कोई उसका प्रतिकार नहीं कर पाया..? दुष्ट चीन को सबक सिखाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांगठनिक एकता कायम कर भविष्य में ऐसी करतूत दोबारा न हो, इसका कारगर रास्ता निकालने की क्या कहीं कोई छद्मरहित पवित्र पहल दिखी आपको..? हां, इस आरोपित अप्राकृतिक महामारी के जरिए भी धन कैसे कमाया जाए, इस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपवित्र और स्वार्थी गठबंधन की कोशिशें रंग लाती जरूर प्रकट हुईं। कोरोना महामारी की शक्ल में चीन द्वारा थोपे गए कोविड-युद्ध का मुकाबला करने के लिए सारे उपाय शक्ति और समग्रता से किए जाने चाहिए थे, लेकिन वह उपाय केवल दवा (वैक्सीन) बेचने, खरीदने, कमीशन खाने, खिलाने, अलग-अलग वैक्सीन-गुट (गिरोह) बना कर धन समेटने, विकासशील देशों में कुत्सित एजेंडा चलाने वाले अंतरराष्ट्रीय पूंजी-प्रतिष्ठानों से देश की अस्मिता को गिरवी रख कर अकूत फंड बटोरने और नकली आभामंडल का एक विकराल गुब्बारा सामान्य-जन की आंखों के ऊपर उड़ाने और मनोविज्ञान में बसाने के कुत्सय में ही सिमट गया। महामारी से लड़ने के लिए दवा और वैक्सीन की जरूरत तो है ही। इसका इंतजाम भी सरकारों को ही करना है। इंतजाम किसके लिए..? जनता के लिए ही न..? फिर वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की फाइंडिंग्स, उसके जोखिम, उसकी मंजूरी, उसके असली नियोजक और प्रक्रिया में धन के इन्वॉल्वमेंट के बारे में जनता को पूरी पार्दर्शिता से क्यों नहीं बताया जाता..? इसे छुपाने की आखिर वजह क्या हो सकती है..? जनता क्या 'एनिमल-फार्म' के बाड़े में बंधा निरीह जानवर है कि व्यवस्था ने आदेश दिया, 'ठोक दो'... तो ठोक दिया..? कभी गोली, तो कभी वैक्सीन..? आइए उन्हीं वजहों को खंगालते हैं...