Wednesday 16 June 2021

उफ्फ... यूपी के मेधावी सपूत को किस बेरहमी से मारा..!

  

नृशंसता से मिटा डाली गौरवशाली सैन्य परम्परा की इकलौती निशानी...
सैनिक सम्मान पर कालिख पोती, भाजपा सरकार ने चुप्पी साध ली...
फर्जी अस्पताल, फर्जी इलाज, फर्जी शासनादेश और फर्जी बयानों का प्रदेश...
वह लखनऊ का नायाब परिवार था। पिता भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद से रिटायर हुए थे। राष्ट्रपति से सम्मानित हुए थे। दादा भी भारतीय सेना में कैप्टेन थे। ऐसे गौरवशाली परिवार की वह इकलौती निशानी था। उस परिवार का वह इकलौता बेटा अपने देश और अपने उत्तर प्रदेश का भी लाल था। उसने इंजीनियर और वैज्ञानिक के रूप में इतनी कम उम्र में ही अपनी मेधा का परचम लहराया था। वह इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) के वैज्ञानिकों की उस टीम में शामिल था जिसने Indian Regional Navigation Satellite System और भारतीय रेलवे के लिए जी-सैट एप्लिकेशन तैयार किया था। 26 साल के ऐसे मेधावी बच्चे को लखनऊ के एक फर्जी अस्पताल और उस अस्पताल के डॉक्टर मालिक ने बड़ी बेदर्दी से मार डाला। बच्चे को कोविड का संक्रमण नहीं था, फिर भी जबरन कोविड के इलाज के नाम पर उसके शरीर को दुष्प्रयोगों का 'सब्जेक्ट' बना डाला गया। जबकि अस्पताल भी कोविड-अस्पताल नहीं था और वहां कोविड रोगियों का इलाज प्रतिबंधित था। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सत्ताधीश और सत्तातंत्र के आसन के नीचे गैर-कानूनी, गैर-मानवीय धंधा जारी था, जारी है और जारी रहेगा। अस्पताल ने यूपी की मेधा, यूपी के गौरव और यूपी के सम्मान पर कालिख पोत दी। लेकिन योगी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा। अस्पताल ने धीरे धीरे उस मेधावी युवक को मौत की तरफ धकेला और उसी क्रम से अभिभावकों का धन भी लूटता रहा। जब देखा कि धन का स्रोत सूख रहा है तो युवक के मरने के पहले ही डेथ सर्टिफिकेट तैयार कर लिया। दवाइयां बंद कर दीं और ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी। उसे मृत घोषित किया और लाश सड़क पर डाल दी। इस अस्पताल का यही धंधा है, लेकिन सरकार कुछ नहीं करती, नौकरशाहों को हिस्सा पहुंच जाता है। ऐसे आपराधिक अस्पतालों की लखनऊ में भारी भीड़ है।
अस्पताल के आपराधिक कुकृत्य से अपना इकलौता बेटा खो देने वाला एक फौजी जो कई युद्ध जीत चुका हो, वह बुरी तरह हार गया और हताश हो गया। एक फौजी के साथ ऐसा बेजा, बेहूदा और बेरहम सलूक हो और सरकार चुप्पी साधे रहे, वह सरकार जो राष्ट्रवाद और सैनिक सम्मान का नारा दे देकर अघाती न हो... कितना शर्मनाक और विरोधाभासी चरित्र है यह..! आइये चलते हैं तकलीफदेह यातनाओं के उस भयानक सफर में... और शिद्दत से महसूस करते हैं उस सैनिक परिवार की अपार पीड़ा...
तीन एपिसोड की इस श्रृंखला की आखिरी कड़ी में आप देखेंगे वह दुखद घटना जिसमें लखनऊ के एक अस्पताल ने एक युवक को बंधक बना कर इसलिए मार डाला क्योंकि उसने अस्पताल में रोगियों की किडनी निकाले जाने का घृणित कर्म अपनी आंखों से देख लिया था...

Tuesday 1 June 2021

लखनऊ के अस्पताल में कोविड रोगी की नृशंस हत्या..! सनसनीखेज घटना का खुलासा...

 
अस्पताल प्रबंधन ने कोविड-डेथ बताकर लहूलुहान युवक की लाश फुंकवा दी।
न पुलिस को खबर की और न लाश का पोस्टमॉर्टम कराया।
कंट्रोल रूम संदेश देता रहा, ड्युटी डॉक्टर जख्मी युवक के मरने का इंतजार करता रहा।
दो शीर्ष नौकरशाहों को घटना की जानकारी 16 मई को दी थी और वर्जन मांगा था।
लेकिन शासन के शीर्ष पदों पर बैठे अफसरों ने सूचना दबा दी।
न सीएम को बताया न गृह विभाग के प्रमुख को जानकारी दी।
स्वास्थ्य विभाग बेमानी शासनादेश जारी कर लीपापोती की कोशिशें कर रहा है।
अस्पताल प्रबंधन ने दस्तावेजों में भारी गड़बड़ी की है।
मेडिको-लीगल केस के साथ आपराधिक छेड़छाड़ की गई है।
आइये चलते हैं इस सनसनीखेज किन्तु मार्मिक खबर के विस्तार में...
आखिर में अगले हफ्ते की सनसनीखेज कहानी की भूमिका जरूर सुनिये और सनद रखिये...