न पुलिस को खबर की और न लाश का पोस्टमॉर्टम कराया।
कंट्रोल रूम संदेश देता रहा, ड्युटी डॉक्टर जख्मी युवक के मरने का इंतजार करता रहा।
दो शीर्ष नौकरशाहों को घटना की जानकारी 16 मई को दी थी और वर्जन मांगा था।
लेकिन शासन के शीर्ष पदों पर बैठे अफसरों ने सूचना दबा दी।
न सीएम को बताया न गृह विभाग के प्रमुख को जानकारी दी।
स्वास्थ्य विभाग बेमानी शासनादेश जारी कर लीपापोती की कोशिशें कर रहा है।
अस्पताल प्रबंधन ने दस्तावेजों में भारी गड़बड़ी की है।
मेडिको-लीगल केस के साथ आपराधिक छेड़छाड़ की गई है।
आइये चलते हैं इस सनसनीखेज किन्तु मार्मिक खबर के विस्तार में...
आखिर में अगले हफ्ते की सनसनीखेज कहानी की भूमिका जरूर सुनिये और सनद रखिये...
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