जिस भी व्यक्ति में राष्ट्र के लिए जीने और मरने का जज्बा है, ऐसे सब लोग सावरकर हैं, चंद्रशेखर आजाद हैं, भगत सिंह हैं, सुभाषचंद्र बोस हैं, सुखदेव-राजगुरु हैं और ऐसे अनगिनत बलिदानी क्रांतिकारी हैं, जिन्हें याद करते हुए हम गौरव से भर उठते हैं और उन क्रांतिकारियों की आत्माएं हमारे आपके अंदर जी उठती हैं। सावरकर जैसे व्यक्तित्वों का नाम सुनते ही षडयंत्रकारी राजनीतिकों, अधोगामी प्रगतिशीलों, अधर्मी धर्मनिरपेक्षों और छद्मी बुद्धिजीवियों की आज भी नींद उचटने लगती है। तिहत्तर साल से षडयंत्र करते रहे, लेकिन सावरकर को मार नहीं पाए... सावरकर आज भी जिंदा हैं। सावरकर से उनकी एलर्जी का एक ही कारगर इलाज है, हम सब सावरकर हो जाएं... देश के लिए भी यही जरूरी है कि हम सब सावरकर हो जाएं। यही समय की मांग है...