Friday 4 November 2022

यूपी का 'सौर' भ्रष्टाचार के 'ठौर'...


 
सियासत की दुकानों पर मुफ्त में बिजली बांटने से लेकर बिजली बचाने, बिजली की किल्लत और बिजली के विकल्प के परस्पर विरोधाभासी जुमले खूब चल रहे हैं। जुमलेबाजी की इसी सियासी-प्रतियोगिता के दौर में हम आपको उत्तर प्रदेश में बिजली-राजनीति का एक दृश्य दिखाते हैं। यूपी में 'हर शहर रौशन, हर गांव रौशन और हर घर रौशन'... जैसे सियासी जुमले खूब सुने गए। कान पक गए। हर 'गांव रौशन और हर घर रौशन' का ढिंढोरा जब आम जन सुनता है तो ढिंढोरचियों को दौड़ा लेने का उसका मन होता है। अब तो उत्तर प्रदेश सरकार नयी सौर ऊर्जा नीति लाने का भी ढिंढोरा बजवा रही है। 2017 में बनी सौर ऊर्जा नीति के तहत क्या काम हुआ इसकी समीक्षा किए बगैर नयी सौर ऊर्जा नीति लाने और उसका प्रचार-प्रसार करने की तैयारियां चल रही हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव भी आने वाला है इसलिए ढिंढोरा जरूरी है। इसी 'जुमलाधापी' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के धर्म-क्षेत्र गोरखपुर में एक भी सौर ऊर्जा प्लांट नहीं लग पाया। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा परियोजनाओं को अपना 'ड्रीम प्रोजेक्ट' बताते रहे हैं... लोगों को क्या पता था कि वह उनका दिवा-स्वप्न (डे-ड्रीम) था। अब नयी ऊर्जा नीति बनकर आने ही वाली है। क्या आपको लगता है कि सरकार आपको यह बताएगी कि 2017 की ऊर्जा नीति फेल हो गई..!
हम बताते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार की वर्ष 2017 की सौर ऊर्जा नीति कैसे फेल हुई और प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री का 'ड्रीम-प्रोजेक्ट' वाला 'सौर' किस तरह भ्रष्टाचार के 'ठौर' लग गया... थोड़ा समय निकालें, खबर देखें और धन्यवाद स्वीकार करें...