Sunday 25 April 2021

PM और CM को ऑक्सीजन चाहिए... हालत नाजुक

 
PM और CM को ऑक्सीजन चाहिए... हालत नाजुक
घर का अभिभावक घर के सारे दायित्वों को अपने सिर लेता है, उसे own करता है... देश का प्रधानमंत्री और राज्य का मुख्यमंत्री क्रमशः देश और राज्य का अभिभावक होता है... उसे देश राज्य के सारे दायित्व अपने सिर लेने ही होंगे, नहीं तो अभिभावकत्व से मुक्त हो जाना ही एकमात्र नैतिक विकल्प है। अभी देश राज्य की जो हालत है, उसे संभालने में हमारे अभिभावक फेल हैं, लेकिन वे अभिभावकत्व से मुक्त होने का नैतिक विकल्प स्वीकार करने को तैयार नहीं। देश के आम नागरिक को भौतिक ऑक्सीजन की जरूरत है तो नेताओं को नैतिक ऑक्सीजन की नितांत आवश्यकता है... भौतिक ऑक्सीजन के अभाव में हम मर रहे हैं और नैतिक ऑक्सीजन की किल्लत के कारण नेता मर रहे हैं। एक फिल्मी गाना बड़ा प्रचलित था... जाने कहां मेरा जिगर गया जी, अभी अभी इधर था, किधर गया जी... ऑक्सीजन की आकस्मिक गुमशुदगी पर यह फिल्मी गाना बिल्कुल फिट बैठता है। अभी अभी इधर था, किधर गया जी... देश के सत्ता अलमबरदारों से यही सवाल पूछा जा रहा है तो तमाम किस्म के बहाने और नौटंकियां परोसी जा रही हैं। बहाने और नौटंकियां सूंघ कर लोगों की सांसें चल सकतीं तो सारे सत्ताधारी नेता आज अस्पताल में रोगियों के साथ प्लास्टिक की नाल से नथे होते... शासन और प्रशासन को ऑक्सीजन की नियोजित-प्रायोजित गुमशुदगी के बारे में सब कुछ पता है। ऑक्सीजन के सिलिंडर्स नेताओं, नौकरशाहों, जजों, धनपशुओं और दलालों के घरों में भंडारित (stock-piled) हैं तो वहां से कौन निकाले... और कौन बताए..! मरना तो आम जनता को ही है... जनता का मरना महज कुछ नंबर का कम होना है... बस, लोगों को झांसे में रखने वाला प्रहसन और वोट चूसने वाला उपक्रम जारी रहना चाहिए।
बाजार से ऑक्सीजन गायब है और अस्पतालों से बिस्तर गायब हैं। सरकार के सियासी या प्रशासनिक नुमाइंदे जो बयान देते हैं और जो विज्ञप्तियां छपवाते हैं, उनकी बातों का भरोसा मत करिए। आप किसी श्मशान या कब्रगाह के पास खड़े हो जाएं और सत्ताधारी नेता और नौकरशाह के दावों को चिता पर फुंकता हुआ और कब्र में दफ्न होता हुआ देखें... आप अस्पतालों के सामने खड़े हो जाएं और मरने वालों का तांता लगा हुआ देखें। आप देखें अस्पतालों के आगे दलाल किस तरह सक्रिय हैं, आपको भर्ती कराने के एवज में आपको किस तरह लूट रहे हैं। भर्ती हो गए तो अंदर शैतानों का तांडव देखिये। आपकी जेब से पैसा खत्म तो आप भी खत्म... आपको फौरन अस्पताल से बाहर खदेड़ दिया जाता है और आप घर तक पहुंच भी नहीं पाते कि आपके अपने दम तोड़ चुके होते हैं। इसके अनगिनत ठोस प्रमाण सड़कों पर बिखरे पड़े हैं। अस्पतालों के अंदर रोगियों के साथ अमानुषिक आपराधिक अत्याचार किया जा रहा है। रोगी को देखने वाला कोई नहीं होता। एक बार खाना दिया तो दूसरी बार गायब। सुबह की दवा रात तक अगर मिल गई तो गनीमत समझिए। आपके सिरहाने रखा मोबाइल इसलिए गायब कर दिया जाता है कि आप अंदर की कोई खबर बाहर न भेज दें। किसी बात पर आपने दो बार किसी को पुकारा तो तीसरी बार आपके साथ हाथापाई निश्चित होगी। अस्पतालों से बाहर निकलने वाली लाशों का अगर हाल देखने का मौका मिले तो देखिए उनकी लहूलुहान हालत। इसीलिए अस्पतालों के वार्डों में सीसी टीवी कैमरे नहीं लगते। ...नेता नौकरशाह बड़ी बड़ी बातें करते हैं, खुद को कड़ियल दिखाते हैं, लेकिन होते बड़े सड़ियल हैं। रोगी के साथ अमानुषिक आपराधिक हरकतों की पोल न खुल जाए, इसलिए संक्रमण का डर दिखा कर और WHO का झूठा हवाला देकर लाशों का पोस्टमॉर्टम नहीं कराते।
आइये, बाजार और अस्पतालों से ऑक्सीजन के अपहरण, अस्पताल में सीसी टीवी कैमरे नहीं लगाने की चालबाज हरकतें और कोरोना रोगियों का पोस्टमॉर्टम नहीं कराने के शातिराना षडयंत्र की तथ्यात्मक पड़ताल करें...

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