Friday 16 April 2021

हर सिर पर लटका मौत का फंदा...

कीटों से जो कहर बांटता, यह गोरखधंधा किसका है..?  

नस्लों में जो जहर खोंसता, यह खूनी पंजा किसका है..?

हर सिर पर लटका मौत का फंदा, यह काला धंधा किसका है..?

मृत्यु सरीखे पावन सच पर, पसराया गंदा किसका है..?

इंसान की कीमत मंदा है, कानून हमारा अंधा है,

सत्ता पर भारी चंदा है, यह भारी चंदा किसका है..?

हर सिर पर लटका मौत का फंदा, यह काला धंधा किसका है..?

शहर शहर शमशान का मंज़र, बेशर्म सियासत जारी है,

कोई देख न ले लाशों का ढेरा, मरघट पर पर्दादारी है,

हर तरफ मची है अफरातफरी, हर चिता पर मारामारी है।

पिता इधर, मां उधर गई,

भइया लो सांसें खींच रहे, बहना तो कब की गुज़र गई।

घर घर बंजर, चुभता खंजर, बच्चा बच्चा सिसका है।

शासन सत्ता, तंत्र वंत्र सब, जाने किस गर्त में खिसका है,

हर सिर पर लटका मौत का फंदा, यह काला धंधा किसका है..?

कोविड का रोना कोना कोना, यह शासन भासन किसका है..?

बीमार बना कर दवा बेचता, लाशें बिखरा कर धन समेटता,   

मौत बेच कर बल खाता वह पीलित कुल का कायर बच्चा किसका है..?

मुर्दा धन का जूठन खाता दूषित कुल का मुल्की बच्चा किसका है..?

यह कैसी कोख का जन्मा है..? यह कैसी मां का बंदा है..?

हर सिर पर लटका मौत का फंदा, यह काला धंधा किसका है..?

मालदार नेता अफसर का देश, यह लोकतंत्र फिर किसका है..?

                                      - प्रभात रंजन दीन

No comments:

Post a Comment