Sunday 20 February 2022

स्कूल की किताबों से महापुरुष गायब, संघ की प्रार्थना से सावरकर गायब



स्कूल की किताबों से महापुरुष गायब, संघ की प्रार्थना से सावरकर गायब..!
देश में अजीबोगरीब स्थिति है... भाजपा का राष्ट्रवाद केवल चुनाव लड़ने और जीतने तक ही सीमित रह गया है। पूर्ण बहुमत की ताकत के साथ भाजपा पिछले आठ साल से केंद्रीय सत्ता पर आसीन है। लेकिन इस दरम्यान देश की संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को पुनरस्थापित करने का कोई उल्लेखनीय, संग्रहणीय या दर्शनीय कार्य नहीं हुआ। खंडित आजादी के सत्तर वर्षों में स्कूल-कॉलेजों की किताबों से देश के महापुरुष और क्रांतिपुरुष क्रमशः गायब होते चले गए। नस्लदूषित विकृत चरित्र के इतिहासकारों ने देश के गौरवशाली इतिहास पर कालिख पोती और देश के वीरों, क्रांतिकारियों और महापुरुषों को महानायक के रूप में स्थापित करने के बजाय उन्हें खलनायक साबित किया। विदेशी लुटेरों, हमलावरों, गुंडों और अधर्मी अत्याचारियों को महान बताया और इतिहास में महिमामंडित किया। देश को यह उम्मीद थी कि सत्तर साल के इस महापाप को धोने का स्वच्छ, सार्थक और स्थायी समाधान किया जाएगा, लेकिन ऐसा होता हुआ दिख नहीं रहा। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर गुच्छेदार भाषण परोसने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अलमबरदार संघ की प्रार्थना में वीर सावरकर का नाम तक शामिल नहीं कर पाए, तो उनसे और क्या उम्मीद रखी जाए? इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण बात और क्या हो सकती है?

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