Thursday 13 March 2014

सेना का धंधा बहुत ही गंदा

मध्य कमान क्षेत्र में चल रहा है कोठियों की खरीद-बिक्री का गैरकानूनी कारोबार
प्रभात रंजन दीन
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कैंट का आलीशान बंगला बेच डाला और रातो-रात ट्रकों का काफिला कोठी से सामान उठा कर चलता बना, लेकिन सेना की खुफिया शाखा, सेना पुलिस और सेना की अन्य निगरानी व्यवस्था को कानो-कान खबर नहीं लगी। यह सेना की लापरवाही है या मिलीभगत? मध्य कमान मुख्यालय इस लापरवाही या साठगांठ का फर्क तलाशने में लगा है। सेना के सूत्र इसे मिलीभगत का परिणाम बताते हैं। उनका कहना है कि छावनी में कोठी के सामान ट्रकों पर लादे जाते रहे, ट्रक रवाना होते रहे और इसका पता न चले यह नामुमकिन है। नियम है कि कोठी खाली होते वक्त भी सेना को इसकी सूचना होनी चाहिए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। सेना के कई आला अधिकारी इसे सैन्य परिसर की सुरक्षा में गम्भीर खामी बताते हैं।
उल्लेखनीय है कि 'वॉयस ऑफ मूवमेंट' ने बुधवार को यह खबर प्रकाशित की थी कि छावनी के नेहरू रोड स्थित दो नम्बर वाला बंगला मायावती ने गुपचुप तरीके से बेच डाला और रातो-रात उसे खाली भी कर दिया। देर रात ट्रकों का काफिला आया, आनन-फानन सारे सामान लदे और पूरा बंगला कुछ ही देर में खाली हो गया। यहां तक कि मायावती की नेमप्लेट तक उखाड़ ली गई। कोठी बेचने में अत्यधिक गोपनीयता बरती गई लेकिन दिलचस्प यह है कि इस संदेहास्पद खरीद-बिक्री में मध्य कमान छावनी परिषद की तरफ से 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' भी जारी हो गया।
मुद्दा यह नहीं कि किसने बंगला बेचा और किसने खरीदा। मसला यह है कि सेना के संवेदनशील क्षेत्र में बाहरी लोगों को बिना किसी छानबीन के कोठियां कैसे मिल रही हैं? कौन बेच रहा है? सेना कैसे अनापत्ति प्रमाण पत्र दिए चली जा रही है? या बिना 'एनओसी' प्राप्त किए बाहरी लोग छावनी की कोठियों पर कैसे काबिज हैं? सैन्य क्षेत्र में घुसपैठ के कारण कोई गम्भीर हादसा हो तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? सेना की ही रिपोर्ट बताती है कि सेना की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है और जासूसी हो रही है। सेना क्षेत्र बाहरी अवांछित तत्वों का 'दलदल' बन गया है, जो चाहे आए और 'धंस' जाए। सेना के लोगों ने ही बाहरी तत्वों को बसाने का धंधा चला रखा है। इन लोगों ने मध्य कमान की अचल सम्पत्ति का कबाड़ा कर दिया है। मध्य कमान मुख्यालय के पास 13 कैम्पिंग ग्राउंड थे। अब केवल सात कैम्पिंग ग्राउंड रह गए हैं। बाकी के छह कैम्पिंग ग्राउंड लापता हो गए! मध्य कमान मुख्यालय क्षेत्र में मायावती हों या बसपा नेता डॉ. अखिलेश दास, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी, उनके समधी बृजेश मिश्र, एनएचआरएम घोटाले के अभियुक्त आईएएस स्वनामधन्य प्रदीप शुक्ला, उनकी पत्नी आराधना शुक्ला, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया, कभी बसपा में तो कभी कांग्रेस में तो कभी भाजपा में फिरने वाले नेता एवं व्यापारी सुधीर हलवासिया समेत कई अन्य नेताओं, नौकरशाहों और दलालों को कैंट की बड़ी-बड़ी कोठियां और कोठियों के साथ जमीन के भव्य हिस्से कैसे मिल गए, इसका जवाब तो सेना को ही देना चाहिए। सेना के किस कानून के तहत बाहरी लोगों को सैन्य क्षेत्र की ओल्ड ग्रांट जमीन पर बनी आलीशान कोठियां हासिल हुईं? इसका जवाब न किसी के पास है और न कोई इसका जवाब देने की स्थिति में है। अब तो बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी तक ने सैन्य क्षेत्र की विवादास्पद कोठी पर कब्जा जमा लिया है। कैंट इलाके के थिमैया रोड पर 12 नम्बर की घोर विवादास्पद कोठी को औने-पौने भाव में खरीद कर नसीमुद्दीन सिद्दीकी उसमें फिट हो गए हैं। शालीमार बिल्डर्स के खालिद मसूद की थिमैया रोड पर ही और संजय सेठ की महात्मा गांधी रोड पर कोठियां हैं। लेकिन सेना के 'नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' के बगैर ही ये लोग कोठी पर काबिज हैं। सेना को यह देखने की फुर्सत नहीं है। पान मसाला बेचने वाली कम्पनी के मालिक की भी महात्मा गांधी रोड पर कोठी है। विवादास्पद है। छापामारी के बाद और भी विवादास्पद हो गई है। छापे के बाद से कोठी खाली पड़ी है, अंदर में सामान पड़े हैं। इस पर सेना का ध्यान तभी जाएगा जब कोई बड़ा हादसा होगा।
वैसे, आप जहां कहीं देखें, सेना की जमीन पर अवैध कब्जा दिखेगा। केवल लखनऊ ही नहीं, कानपुर, गोरखपुर, मेरठ, वाराणसी, फैजाबाद, इलाहाबाद सब तरफ सेना की जमीनों पर नेता, माफिया, दलाल और धनपशु काबिज है। सेना की जमीन पर बिल्डिंग्स, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स खड़े हैं। सेना के अंदरूनी क्षेत्र में कोठियों की लूट मची है। लखनऊ में सेना के पास ट्रांस गोमती राइफल रेंज में 195 एकड़, अमौसी सेना क्षेत्र में 185 एकड़, कुकरैल राइफल रेंज में सौ एकड़, बख्शी का तालाब में 40 एकड़ और मोहनलालगंज क्षेत्र में 22 एकड़ जमीन है, लेकिन यह आंकड़ा केवल सेना के दस्तावेजों तक ही सीमित है। जमीनी असलियत भयावह है। इनमें से अधिकांश जमीनों पर अवैध कब्जा है। सेना कहती है कि कब्जा है। जबकि यह सेना का भ्रष्टाचार है। लखनऊ में सुल्तानपुर रोड पर सेना की फायरिंग रेंज के बड़े हिस्से की प्लॉटिंग हो गई और जमीनें बिक गईं। आवास विकास परिषद ने गोसाईंगंज थाने में प्रॉपर्टी डीलरों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया था, लेकिन दुस्साहस यह है कि जमीन से आवास विकास परिषद के उस बोर्ड को उखाड़ फेंका गया, जिस पर लिखा था कि यह सेना की फायरिंग रेंज की जमीन है। ट्रांस गोमती राइफल रेंज की 90 एकड़ जमीन और अमौसी में पांच एकड़ जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा है। कुकरैल में तो सेना की 23 एकड़ जमीन पर बाकायदा बड़ी इमारतें और दुकानें बन चुकी हैं। छावनी से बाहर सेना की करीब छह सौ एकड़ जमीन प्रदेश सरकार से विवाद में फंसी हुई है। कहीं पर आवास विकास परिषद से लफड़ा है तो कहीं सीधे सरकार से कानूनी भिड़ंत चल रही है। कानपुर में सेना की जमीन पर अलग-अलग इलाकों में छह बस्तियां बसी हुई हैं। कानपुर शहर के वार्ड नम्बर एक में भज्जीपुरवा, लालकुर्ती, गोलाघाट, पचई का पुरवा जैसी कई बस्तियां बसी हैं। बंगला नम्बर 16 और बंगला नम्बर 17 की ओर जाने वाले दो इलाकों में अवैध बस्तियां बसी हुई हैं, लेकिन उन्हें हटाने की किसी को फुर्सत नहीं है। कानपुर छावनी क्षेत्र में बना आलीशान स्टेटस क्लब सैन्य सम्पत्ति की अनियमितताओं का गवाह है। स्टेटस क्लब का 'स्टेटस' भव्य होटल की तरह है। पंच सितारा सुविधाओं वाले दो दर्जन से अधिक कमरे, विशाल वातानुकूलित हॉल और क्लब के मालिक की इससे हो रही अंधाधुंध कमाई किसके बूते पर हो रही है? सैन्य क्षेत्र में यह क्लब कैसे अस्तित्व में आया और इस एवज में किसने क्या-क्या पाया, इसका जवाब कौन देगा? गोरखपुर में गगहा बाजार स्थित सेना के कैंपिंग ग्राउंड की 33 एकड़ जमीन में से करीब दस एकड़ जमीन पर कब्जा हो चुका है। गोरखपुर के ही सहजनवा, महराजगंज जिले के पास रनियापुर और नौतनवां में सेना की जमीनों पर अवैध कब्जे हैं। इलाहाबाद शहर में सेना के परेड ग्राउंड की करीब 50 एकड़ जमीन कब्जे में है। यहां अवैध बस्तियां आबाद हैं। 32 चैथम लाइंस, 6 चैथम लाइंस और न्यू कैंट में भी सेना की जमीन पर अवैध कब्जा है। मेरठ छावनी क्षेत्र तो मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स एवं सिविल कॉलोनी में तब्दील हो चुका है। सेना के मध्य कमान क्षेत्र की यह भयावह स्थिति आपने देखी। देश की सडिय़ल राजनीतिक-प्रशासनिक स्थिति का असर सेना पर भी है, लेकिन सेना सड़ी तो देश सड़ जाएगा...

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