Wednesday 30 October 2013

देश की देह पर द्रोह का दीमक!

प्रभात रंजन दीन
जानते बहुत सारे लोग हैं। लेकिन लिखने में संकोच करते हैं। सच लिखने में या बोलने में भी लोगों को डर लगता है कि उन्हें खेमों में उलझा दिया जाएगा। उनकी प्रगतिशीलता संकट में खड़ी कर दी जाएगी और उनकी धर्मनिरपेक्षता पर उंगली उठने लगेगी। दरअसल, उंगली उठाने वाले लोगों का एक मुकम्मल गिरोह है जो सुनियोजित तरीके से उंगलियां उठाता है और प्रगतिशीलता और धर्मनिरपेक्षता को अपनी बपौती समझता है। ये ही लोग असलियत में धर्मांध हैं और दूसरों को अंधा बताने की साजिश करते रहते हैं। हम यह सब समझते हैं फिर भी सच कहने से चुप रहते हैं। देश की अंदरूनी गतिविधियों पर निगाह रखने वाली केंद्रीय खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात हो रही थी तो उन्होंने कुछ ऐसी बातें बताईं जिनके बारे में पत्रकारीय दृष्टि के कारण पहले से संदेह तो था, लेकिन उनकी बातों से वह संदेह आधिकारिक तौर पर पुष्ट हो गया। देश-समाज को इस बारे में जानना समझना और उसके प्रति सचेत रहना बेहद जरूरी है। समाज सेवा की आड़ में समाज में गहरी पैठ बना रहे गैर सरकारी संगठनों में से कई एनजीओ राष्ट्र विरोधी, समाज विरोधी, संस्कृति विरोधी और विघटनकारी शक्तियों के रूप में बड़ी चुप्पी से काम कर रहे हैं। देश को तबाह करने के लिए देश की पहचान और उसके सांस्कृतिक-पारम्परिक तानेबाने को ध्वस्त करने का काम हो रहा है। केवल विध्वंसक गतिविधियों में ही आईएसआई मुब्तिला नहीं है। आईएसआई के 'साइलेंट मॉड्यूल' केवल बम लगाने या तोडफ़ोड़ की कार्रवाइयों तक ही सीमित नहीं, बल्कि ये तत्व भारतवर्ष की संस्कृति को तोडऩे, पारिवारिक प्रेम को छिन्न-भिन्न करने, परिवारों में कलह का बीज बोने और खास तौर पर लड़कियों को बहकाने-फुसलाने, अपने ही सगे-सम्बन्धियों पर चारित्रिक लांछन लगाने के लिए उकसाने और 'ब्रेन-वॉश' करने से लेकर उन्हें दूसरे धर्म के लड़कों से प्रेम में फंसा कर उनका धर्म परिवर्तन कराने के काम में अधिक तेजी से सक्रिय हैं। इन 'साइलेंट मॉड्यूल्स' को आईएसआई द्वारा विभिन्न फंडिंग एजेंसियों के माध्यम से अनाप-शनाप धन मुहैया कराया जा रहा है। ये अलग-अलग आकर्षक नामों से एनजीओ के बतौर काम कर रहे हैं। ये अपने ही देश के दीमक हैं, जो विदेश से पैसा लेकर देश को खोखला कर रहे हैं। ऐसे राष्ट्र विरोधी एनजीओ के मकड़-जाले और उनमें बसने वाली मकडिय़ों को आप आराम से पहचान सकते हैं। इसके लिए अधिक मशक्कत की जरूरत नहीं। इन्हें आप देशभक्ति के काम में आगे नहीं पाएंगे। देश के खिलाफ जो भी गतिविधियां होंगी, उसमें इन्हें आप अत्यधिक सक्रिय पाएंगे। अपने देश-समाज की इन्हें फिक्र नहीं लेकिन बांग्लादेशियों के लिए सड़कों पर आंसू बहाते ये नजर आ जाएंगे। पाकिस्तानियों के लिए अमन की आशा और भारतवर्ष के लिए विष-वमन की भाषा, इनके मुंह से सुनें। अपराधियों-आतंकियों के लिए इनके हृदय में मानवाधिकार की लहरें ठाठें मारती हैं। लेकिन किसी शहीद के लिए होने वाली सम्मान सभाओं से ये बिल्कुल ही नदारद मिलेंगे। आतंकी हादसों की ये निन्दा नहीं करते और न ऐसे हादसों में मरने वाले लोगों के लिए शोक ही जताते हैं।

अब आपको कुछ खास दस्तावेजी बात बताएं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ऐसे 77 गैर सरकारी संगठनों की शिनाख्त की है जो विदेशों से धन लेकर अलग-अलग तरीके से भारतवर्ष को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इन संगठनों की फंडिंग कैसे हो और किस रास्ते से हो, इसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई तय करती है और 'कोऑर्डिनेट' करती है। आईएसआई इनके लिए खाड़ी देशों के माध्यम से धन की सप्लाई करा रही है। भारतवर्ष को किस तरह अलग-अलग आयामों से खोखला किया जाए इस पर आईएसआई का 'थिंक टैंक' बाकायदा शोध करता है और सिक्कों की हड्डी फेंक कर भारतीयों से ही भारत का सत्यानाश करा रहा है। अभी तो मात्र 77 ऐसे एनजीओ की ही पहचान हुई है। इन पर पाबंदी लगाने का फैसला वोट की हड्डी  के लोलुप नेताओं के कारण सम्भव नहीं हो पा रहा है। आप सोचिए कितनी अराजक स्थिति है कि देश में करीब 70 हजार पंजीकृत एनजीओ ऐसे हैं जो विदेशी धन पर पलते और चलते हैं, लेकिन इनकी गतिविधियों पर नजर रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। इस पर अब नागरिकों को ही नजर रखनी होगी और उनका धंधा बंद कराना होगा। इनके खिलाफ समाज एकजुट हुआ तो ये दुम दबा कर भागते नजर आएंगे। इन तत्वों की मीडिया में भी घुसपैठ है। मीडिया में साफ-साफ तौर पर तीन किस्म के लोग काम करते हैं। एक किस्म तटस्थ लोगों का है, जो मृतप्राय हैं। दूसरा किस्म निहायत बेवकूफों का है, जिनमें कोई समझदारी नहीं है, जो एनजीओ-आधुनिकता के फैशन में मूर्खतापूर्ण काम करता है। और तीसरा किस्म शातिरों का है जो महामूर्धन्यों के कंधे पर बंदूक रख कर अपने हित साधता है, अखबार में खबरें छपवाता है, टीवी चैनेलों पर खबरें दिखवाता है और समाज को वीभत्स बनाता जा रहा है। इनके खिलाफ समवेत प्रतिरोध की जरूरत है... 

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