Monday 7 October 2013

सेना में माओवादियों और अर्ध सैनिक बलों में जालसाजों की हो रही है भर्ती


बीएसएफ-सीआरपीएफ में फर्जी प्रमाणपत्र पर हो रही भर्तियां
दलितों के कोटे पर पिछड़ों की मौज
प्रभात रंजन दीन
भारतीय सेना में नेपाल के माओवादियों की बेतहाशा हुई भर्ती का 'कैनविज टाइम्स' ने जब खुलासा किया तो सेना ने तीन अक्टूबर से कानपुर में प्रस्तावित भर्ती रैली स्थगित कर दी। सेना ने आधिकारिक बयान दिया कि मौसम खराब रहने की वजह से भर्ती स्थगित हुई। मामूली बारिश सेना के लिए कब से व्यवधान बनने लगी, यह खुद सेना के ही अधिकारियों को समझ में नहीं आया। मध्य कमान के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बारिश तो इसके पहले भी होती रही है और घोषित तारीख पर भर्तियां भी होती रही हैं। सामान्य बारिश से इस पर कोई असर नहीं पड़ता। प्रशासनिक या कानून व्यवस्था की दिक्कतों या किसी 'अन्य गम्भीर हालात' में ही भर्ती रैली के स्थगित होने का निर्णय होता है। हम यह मानते हैं कि भारतीय सेना में माओवादियों की भर्ती ऐसे ही 'गम्भीर हालात' की सनद है, जिसमें भर्ती रैली स्थगित की गई। बहरहाल, समाज और देशहित से जुड़े सराकारों पर 'कैनविज टाइम्स' की चौकसी जारी रहेगी। माओवादियों की भर्ती से जुड़े कई और पहलुओं को हम रौशनी में लाएंगे।
अभी हम खुलासा करने जा रहे हैं बीएसएफ और सीआरपीएफ जैसे महत्वपूर्ण अर्ध सैनिक बलों और बीएसएनएल जैसे केंद्र सरकार के प्रतिष्ठान में दलितों के कोटे पर पिछड़ी जाति के लोगों की भर्ती के बारे में। पिछड़ी जातियों के लोग अनुसूचित जाति और जनजाति का फर्जी प्रमाणपत्र हासिल कर हजारों की तादाद में बीएसएफ, सीआरपीएफ और बीएसएनएल में भर्ती हो रहे हैं। सैकड़ों नहीं, हजारों की तादाद में। ...और विचित्र यह है कि इन नियुक्तियों के पकड़ में आने के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इसमें प्रदेश सरकार से लेकर अर्ध सैनिक बल के अधिकारियों तक की मिलीभगत है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रशासनिक अधिकारी इसे सख्ती से ऊपर इसलिए नहीं बढ़ाते क्योंकि इसमें प्रशासन के ही अधिकारी फंसेंगे।
हमारे पास ऐसे कई मामले हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश शासन ने छानबीन की, फर्जी सर्टिफिकेट पर की गई नियुक्तियां पकड़ीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शासन-प्रशासन कहता है कि सीआरपीएफ और बीएसएफ के महानिदेशकों को इस बारे में लिख दिया गया है। लेकिन ऐसा कोई तथ्य नहीं दिखता कि शासन की तरफ से लिखा गया पत्र बीएसएफ या सीआरपीएफ के महानिदेशकों या बीएसएनएल के शीर्ष प्रबंधन को भेजा भी गया कि नहीं। इन संस्थाओं में फर्जी लोग बाकायदा नौकरी कर रहे हैं। इसका मतलब ही है कि सब मिले हुए हैं। उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से इस बारे में केंद्र सरकार को, गृह मंत्रालय को, कार्मिक मंत्रालय और संचार मंत्रालय को पत्र क्यों नहीं लिखा गया, यह संदेह का विषय है। केवल दो ही मामले ऐसे मिले जो सीधे बीएसएफ और सीआरपीएफ के पास पहुंचे और उनमें सीधी कार्रवाई हुई। एक मामला बीएसएफ का है जिसने फर्जी प्रमाणपत्र पर भर्ती हुए अशोक को नौकरी से बर्खास्त किया और दूसरा सीआरपीएफ का है जिसने अमर सिंह को न केवल नौकरी से निकाला बल्कि जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार भी किया। लेकिन अन्य मामलों में कुछ भी नहीं हुआ और दलितों के कोटे पर पिछड़े आराम से नौकरी कर रहे हैं।
हमें सैकड़ों ऐसे लोगों नाम मिले हैं जो अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाणपत्र लेकर बीएसएफ और सीआरपीएफ में भर्ती हो गए हैं। 31 लोगों के बारे में तो शासन द्वारा की गई छानबीन की रिपोर्ट भी 'कैनविज टाइम्स' के पास है। इन 31 लोगों में से 19 लोग यादव व अहीर जाति के हैं और अनुसूचित जाति के नाम पर बीएसएफ और सीआरपीएफ में भर्ती हैं। बाकी के 12 लोग भी पिछड़ा वर्ग या अन्य पिछड़ा वर्ग के ही हैं। इनमें से दो लोग बीएसएनएल में भर्ती हैं। यानी, शासन की जांच में इन 31 लोगों के बारे में आधिकारिक तौर पर यह पुष्टि हुई कि पिछड़ा वर्ग से आने वाले इन लोगों ने तहसील से अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाणपत्र प्राप्त किया और इस आधार पर अर्ध सैन्य बलों में नौकरी पा ली। जिन लोगों के नाम पर फर्जीवाड़े की आधिकारिक मुहर लग चुकी है, हम उनके नाम भी छाप रहे हैं। सरकारी जांच में यह पाया गया कि अलीगंज और एटा की तहसील से फर्जी प्रमाणपत्र जारी हुए थे। लेकिन प्रदेश प्रशासन के स्तर पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।  प्रशासन कहता है कि बीएसएफ और सीआरपीएफ के महानिदेशकों को इस बारे में इत्तिला कर दी गई है। लेकिन पुष्ट सूचना है कि वे सभी नौकरी कर रहे हैं। बीएसएनएल में हुई नियुक्तियों के बारे में तो कोई कुछ बोल भी नहीं रहा।
दलितों के कोटे पर नौकरी कर रहे यादव-अहीर
1. शिवनंदन पुत्र कश्मीर सिंह, कठिंगरा             अहीर  सीआरपीएफ
2. मुकेश पुत्र कृपाल सिंह, टिकाथर                 यादव    बीएसएफ
3. अशोक पुत्र बृजराज सिंह, जालिम मधुमरी अहीर  निष्कासित
4. कृष्णवीर सिंह पुत्र चंद्रपाल सिंह, मुकटीखेड़ा        अहीर  बीएसएफ
5 पुष्पेंद्र कुमार पुत्र पंत सिंह, शेखपुरा             यादव  सीआरपीएफ
6. नरेंद्र सिंह पुत्र  रामनिवास, जैथरा              अहीर  सीआरपीएफ
7. सुशील कुमार पुत्र बदन सिंह, परौली सुहागपुर      अहीर  बीएसएफ
8. रवींद्र सिंह पुत्र ताराचंद, परौली सुहागपुर          अहीर  सीआरपीएफ
9. यदुवीर सिंह पुत्र अच्छेलाल, कठिंगरा            अहीर  सीआरपीएफ  
10. जसवीर सिंह पुत्र चंद्रपाल, तरंगवा             अहीर  बीएसएफ    
11. अशोक कुमार पुत्र अमर सिंह, तरंगवा           अहीर  बीएसएफ
12. ध्यान सिंह पुत्र रामचंद्र, तरंगवा         अहीर  बीएसएफ
13. अशोक पुत्र अनार सिंह, तरंगवा                अहीर     बीएसएफ
14. सुभाषचंद्र पुत्र सूरजपाल सिंह, भाऊपुर         अहीर   बीएसएफ
15. नीरज कुमार पुत्र हाकिम सिंह, लाडमपुर कटारा   अहीर   सीआरपीएफ
16. देशराज पुत्र हाकिम सिंह, भलौल             अहीर   सीआरपीएफ
17. अमर सिंह पुत्र हरनारायण सिंह, एटा          अहीर   सीआरपीएफ
18. यतेंद्र सिंह पुत्र शेषपाल सिंह, एटा            अहीर   सीआरपीएफ
19. रामवृक्ष पुत्र राजवीर सिंह यादव, एटा          यादव   सीआरपीएफ

दलितों के कोटे पर नौकरी कर रहे अन्य पिछड़े
1. महेशपाल पुत्र रघुनाथ सिंह, फगनौल    गड़रिया सीआरपीएफ
2. सतीशचंद्र पुत्र दफेदार, परौली सुहागपुर   गड़रिया सीआरपीएफ
3. रामकरन पुत्र रामऔतार, फगनौल       गड़रिया सीआरपीएफ
4. यशपाल पुत्र सूरजपाल, फगनौल         गड़रिया    सीआरपीएफ
5. वीरपाल पुत्र खेतपाल, फगनौल         गड़रिया सीआरपीएफ
6. सतीशचंद्र पुत्र रामलड़ैते, फगनौल       गड़रिया सीआरपीएफ
7. गिरीशचंद्र पुत्र रामलडै़ते, फगनौल       गड़रिया सीआरपीएफ
8. उमेशचंद्र पुत्र रामऔतार, फगनौल       गड़रिया सीआरपीएफ
9. प्रवेश कुमार पुत्र बलराम, फगनौल      गड़रिया सीआरपीएफ
10. सुशील कुमार पुत्र धर्मपाल, भदुडयामठ  गड़रिया बीएसएनएल
11. संग्राम सिंह पुत्र सौदान सिंह, उमेद     शाक्य   बीएसएनएल

12. देवेंद्र सिंह पुत्र रामरक्षपाल, रामनगर    नाई    सीआरपीएफ

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