Wednesday 19 December 2018

सिख दंगा: विलंबित न्याय... विखंडित न्याय...

                                                                  प्रभात रंजन दीन
1984 के सिख विरोधी दंगों के 34 साल बाद एक मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा हुई तो भारतीय न्याय प्रणाली की प्रशंसा के तमाम गीत गाए जाने लगे। जिस मां की आंखों के सामने उसके बेटे को पीट-पीट कर मार डाला गया, जिस पत्नी ने अपने पति को आग में झुलसते देखा, जिस बहन ने अपने भाई की पगड़ी के साथ-साथ उसकी जान का मर्दन होते देखा और जिस भाई ने अपनी आंखों के सामने अपनी बहन की प्रतिष्ठा का मर्दन होते देखा, उससे पूछिए कि 34 साल बाद ऐसे तुच्छ न्याय का उनकी नजर में क्या औचित्य है..! नृशंसता का चरम भोग चुके सिख परिवारों को अगर भारत की न्यायिक और कानूनी प्रक्रिया पर शर्म आती है तो इसमें गलत क्या है..? सिख दंगा प्रकरण में की गई कार्रवाई सत्ता-व्यवस्था के अलमबरदारों के प्रति गहरी घृणा का भाव भरती है। दुर्जन सज्जन कुमार के आजीवन कारावास का फैसला किसी भी कोण से उस घृणा के भाव को कम नहीं करता।
सड़क चलते किसी के मारे जाने पर सरकारें क्या मुआवजा देती हैं..! जिसकी जितनी औकात उतना मुआवजा मिलता है। 25 लाख और 50 लाख रुपए का मुआवजा तो आम बात हो गई है। लेकिन यह विचित्र विडंबना है कि दंगा पीड़ित अधिकांश सिख परिवारों को आज तक मुआवजा नहीं मिला। जिन्हें मिला भी उन्हें 50, सौ और पांच सौ रुपए थमा दिए गए। 1984 के बाद से आज तक जितनी भी सरकारें केंद्र में रहीं या प्रदेशों में रहीं, सबने सिखों को उनकी औकात का एहसास ही तो कराया है..! सिखों की औकात होती तो क्या उन्हें पचास रुपए और सौ रुपए मुआवजा मिलता..? दिल्ली तो दिल्ली ही है, ऊंचा सुनती है। उत्तर प्रदेश की सरकार जमीन की आवाज नहीं सुनती है! उत्तर प्रदेश सरकार ने सिख दंगा पीड़ितों को मुआवजा देने के मसले में केवल अध्यादेश और शासनादेश बदलने का काम किया और राजधानी लखनऊ तक दौड़ाते-दौड़ाते सिखों को मार डाला। सिख दंगे की सैकड़ों फाइलें गायब कर दी गईं। जिस सिख परिवार ने अपनी तहरीर गुरुमुखी लिपि में लिख कर दी, उसकी एफआईआर आज तक खोल कर देखी ही नहीं गई। फिर देश की न्याय प्रणाली और कानून प्रणाली किस स्तर की है..? इस पर खुशी जाहिर की जाए या गौरव जताया जाए?
‘इंडिया वाच’ न्यूज चैनल पर विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं और समाजसेवियों के साथ इसी प्रकरण पर चर्चा हुई, संवाद हुआ और कुछ सार्थक करने या होने को लेकर अपने-अपने नजरिए से उम्मीदें अभिव्यक्त की गईं...

1 comment:

  1. bharat ke sabsai ghrinit danga me aik per marmik bislasan

    ReplyDelete