Friday 21 December 2018

उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने कहा आज़म खान पर एफआईआर हो...

प्रभात रंजन दीन
समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आजम अपनी फूहड़ बयानबाजी को लेकर कुख्यात हैं। सरकार में रहते हुए आजम खान ने प्रधानमंत्री से लेकर उनकी भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद के खिलाफ असंसदीय टिप्पणियां की थीं और अभद्र भाषा का प्रयोग करने के लिए उन्होंने अपने सरकारी लेटर हेड का इस्तेमाल किया था।
आजम खान की अभद्रता पर उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग की तीन सदस्यीय कमेटी ने अब जाकर संज्ञान लिया है। आयोग के सदस्य कुंअर सैयद इकबाल हैदर, रुमाना सिद्दीकी और सरदार परविंदर सिंह ने इस बात पर नाराजगी भी जाहिर की है कि तत्कालीन मंत्री आजम खान के खिलाफ की गई शिकायत पर लखनऊ पुलिस ने तत्काल प्रभाव से एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की थी। आयोग ने लखनऊ के एसएसपी से कहा है कि आजम खान के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कर मामले की तत्काल विवेचना कराई जाए और इस बारे में हफ्तेभर के अंदर आयोग को सूचित किया जाए।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने मौलाना कल्बे जव्वाद पर आरोप मढ़ने के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी पार्टी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर तीखी और अभद्र टिप्पणियां की थीं और उन्होंने धार्मिक आस्था से जुड़े केसरिया रंग को भी अमर्यादित तरीके से पेश किया। आजम खान ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को मुसलमानों का दुश्मन करार दिया था और मौलाना कल्बे जव्वाद पर आरोप लगाया था कि वे आरएसएस के साथ मिल कर उत्तर प्रदेश में गृह युद्ध कराने, यहूदी एजेंडा चलाने और मुसलमानों का कत्लेआम कराने की योजना बना रहे हैं। आजम खान केसरिया को मुसलमानों को शर्मसार करने वाला रंग मानते हैं और इसे आधिकारिक तौर पर अपने सरकारी लेटरहेड पर पुष्ट भी करते हैं। अपने सरकारी लेटर हेड पर आजम खान सरकारी आकाओं को खुश करने के नागपुरी फार्मूले का जिक्र करते हुए संघ मुख्यालय पर कटाक्ष करते हैं।
आजम खान की इन अभद्र टिप्पणियों के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अल्लामा जमीर नकवी ने लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से लेकर पुलिस महकमे के तमाम आला अधिकारियों और मुख्य सचिव व गृह विभाग के प्रमुख सचिव के समक्ष शिकायत पेश की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार उन्हें अल्पसंख्यक आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ा। आयोग ने इसे संज्ञान में लिया।
आजम खान की इस अभद्रता के संदर्भ में तमाम नेताओं और मंत्रियों की अमर्यादित बयानबाजियां प्रासंगिक हो उठीं और यह शिद्दत से महसूस हुआ कि नेताओं को सद्-व्यवहार सिखाने के लिए सख्त आचार संहिता का होना जरूरी है। इस मसले पर ‘इंडिया वाच’ समाचार चैनल ने चर्चा आयोजित की जिसमें शामिल हुई हस्तियों ने समवेत स्वर से नेताओं के मर्यादा में रहने की जरूरत महसूस की... 

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