Tuesday 25 December 2018

सपा-बसपा के बंधन में कांग्रेस की 'गांठ'..!

प्रभात रंजन दीन
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की जीत ने फिर से महागठबंधन के गठन और उसके औचित्य पर बहस तेज कर दी। इन तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत के साथ जीत दर्ज कर प्रामाणिक तौर पर यह दिखा दिया कि बिना किसी तालमेल और गठबंधन किए भी मतदाताओं का विश्वास जीता जा सकता है। इससे महागठबंधन को आतुर कई प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं में बेचैनी बढ़ गई। सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को इससे सबसे अधिक झटका लगा। कांग्रेस ने तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में सपा और बसपा दोनों को तालमेल से बाहर झटक दिया। इस झटके का असर यह हुआ कि परिणाम आने के बाद तीनों राज्यों में बनी कांग्रेस की सरकार के शपथग्रहण समारोह में सपा और बसपा के नेता शरीक नहीं हुए। अब कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भी सपा-बसपा को झटकने की तैयारी में है। सपा-बसपा कांग्रेस को लेकर बेखौफ दिखने का उपक्रम जरूर करती है, लेकिन अंदर अंदर खौफ, आशंका और परेशानी घर कर रही है। यह डर सता रहा है कि अगर गठबंधन नहीं हुआ तो लोकसभा चुनाव में बेड़ा पार कैसे होगा।
सपा-बसपा की बेचैनी इस कदर बढ़ी कि सीटों को लेकर आपसी सहमति और इसमें राष्ट्रीय लोक दल और भाजपा के सहयोगी दल भारतीय समाज पार्टी (सुहेलदेव) को भी शरीक करने की खबर कुछ अखबारों में निरूपित (प्लांट) करा दी गई। खबर प्रकाशित-प्रसारित होने पर जब सरगर्मी फैली तब दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से इसका खंडन भी जारी हुआ। एक तरफ सपा नेता प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने इस खबर को गलत बताया तो दूसरी तरफ बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र ने सीटों को लेकर सपा-बसपा में ऐसी किसी भी सहमति की खबर का खंडन किया। खंडन-मंडन के बावजूद बहस तो चल निकली... गठबंधन की संभावनाओं और उसके तमाम पहलुओं पर विचार करने के लिए ‘इंडिया वाच’ न्यूज़ चैनल ने भी खास चर्चा आयोजित की। आप भी सुनें...

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