Friday 24 February 2012

सीबीआई के होठ सिले हुए हैं... सब मिले हुए हैं

 ‘कैनविज टाइम्स’ ने कल एक सवाल सामने रखा था कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले के तार दिल्ली से जुड़े हैं तो सीबीआई उन दिल्लीवासी हस्तियों के नाम उजागर करने से क्यों हिचक रही है? सीबीआई ने अरबों रुपए चुरा कर विदेशी बैंकों में जमा किए जाने की बात आज आधिकारिक तौर पर कबूल की... देश का धन लूट कर बाहर पहुंचाने वाले वही नेता नौकरशाह और दलाल हैं जो कभी एनआरएचएम जैसी योजनाओं का पैसा लूटते हैं तो कभी देश के संसाधनों का धन चुरा कर विदेशी बैंकों में जमा कराते हैं। जाहिर है कि विदेशों में पैसा भी चोर रास्ते से ही जाता है। सीबीआई को ऐसे चोरों का नाम भी प्रकाश में लाना होगा। उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित एनआरएचएम घोटाले में कई मध्यम दर्जे के नेताओं के नाम आए लेकिन उच्च दर्जे के नेताओं का नाम उजागर होना बाकी है। मध्यम दर्जे के नौकरशाहों और दलालों के नाम आए, पर शीर्ष नौकरशाहों में प्रदीप शुक्ला को छोड़ कर अन्य बाबू अभी पर्दे के पीछे हैं। प्रदीप शुक्ला को बचाने में सियासत किस तरह बेचैन है, वह आपने देख ही लिया कि प्रधानमंत्री दफ्तर तक छाता लिए खड़ा है। सीबीआई प्रदीप शुक्ला का क्या करेगी, यह चुनाव परिणाम आने के बाद ‘ऊंट की करवट’ से ही पता चलेगा। लेकिन एनआरएचएम घोटाले की परतों के अंदर जाएं तो कई और घपले जुड़े हुए मिलेंगे। एनआरएचएम घोटाले में जो अरबों रुपए चुराए गए, वे विदेशी बैंकों में भी जमा किए गए होंगे। हम एक नाम और आपके समक्ष लेते हैं। यह नाम है केंद्र सरकार में खनन मंत्रालय के सचिव विश्वपति त्रिवेदी का। मध्यप्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस विश्वपति त्रिवेदी इसके पहले एयर इंडिया के संयुक्त प्रबंध निदेशक थे
और बाद में दोनों एयरलाइनों के विलय के बाद बने नेशनल एविएशन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड के भी संयुक्त प्रबंध निदेशक थे। विश्वपति त्रिवेदी यूपी के वरिष्ठ आईएएस एवं एनआरएचएम घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक प्रदीप शुक्ला के सगे साले हैं। दिल्ली से प्रदीप शुक्ला को मिल रहे संरक्षण की एक और वजह आपके सामने है।
‘कैनविज टाइम्स’ ने घोटाले या घोटालेबाजों के संरक्षण में केंद्र की कांग्रेस सरकार और यूपी की बसपा सरकार के बीच ‘आपसी समझ’ के बारे में संकेत दिया था। इस सिलसिले में प्रधानमंत्री दफ्तर के तहत कैबिनेट सेक्रेटेरियट में बैठने वाले वरिष्ठ सलाहकार प्रजापति त्रिवेदी का जिक्र आया था। अब विश्वपति त्रिवेदी का जिक्र आया। विश्वपति त्रिवेदी और प्रजापति त्रिवेदी, दोनों सगे भाई हैं और प्रदीप शुक्ल के सगे साले हैं। त्रिवेदी बंधुओं के कांग्रेस से गहरे सम्बन्ध हैं। मध्यप्रदेश में भी और उत्तर प्रदेश में भी। मध्यप्रदेश में विद्याचरण शुक्ल और उत्तर प्रदेश में राजेंद्र कुमारी वाजपेयी। सनद रहे, सीबीआई ने पिछले दिनों वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेंद्र कुमारी वाजपेयी के बेटे अशोक वाजपेयी के माल एवेन्यु और लॉरेन्स टिरेस के ठिकानों पर छापामारी की थी। सीबीआई का कहना है कि छापे में कुछ नहीं मिला। लेकिन छापे की कोई वजह तो रही ही होगी। इस सिलसिले में सीबीआई को प्रदीप शुक्ला के एक बटलर की तलाश है। कभी प्रदीप शुक्ला के इस्तेमाल में आने वाली फिएट गाड़ी (यूएचएफ-2) विश्वपति त्रिवेदी के नाम पर है और वह गाड़ी बटलर पैलेस में प्रदीप शुक्ला के सरकारी आवास पर न होकर एक अन्य आईएएस के गैरज में खड़ी है। यही गाड़ी कुछ अर्सा पहले कैंट में थिमैया रोड स्थित एक आलीशान कोठी में खड़ी थी। यह कोठी बसपा सरकार के एक कद्दावर मंत्री ने अपनी पत्नी के नाम पर खरीद रखी है। अब आप सिरा तलाशते रहें कि कहां कौन मिला हुआ है।
जब विश्वपति त्रिवेदी एयर इंडिया में थे तो उन्होंने 16 महीने में एक्जेक्यूटिव क्लास के 116 कम्प्लिमेंट्री टिकट अपने रिश्तेदारों में बांट दिए थे। इन कम्प्लिमेंट्री टिकटों के जरिए देश-विदेश की खूब यात्राएं हुईं। सीबीआई को पता यह लगाना है कि कम्प्लिमेंट्री टिकटों पर हुई विदेश यात्राओं के जरिए घपले-घोटालों के धन विदेश तो नहीं पहुंचाए गए? एक्जेक्यूटिव क्लास के जो 116 कम्प्लिमेंट्री टिकट रिश्तेदारों में बांटे गए थे, वे सब के सब जाने-आने दोनों के थे। चलिए हम इन कम्प्लिमेंट्री टिकटों का ब्यौरा भी दे देते हैं। श्री त्रिवेदी ने अपनी बहन आराधना शुक्ला को 11 टिकट दिए। पिता इन्कम टैक्स के पूर्व कमिश्नर धरनीधर त्रिवेदी को 14 टिकट दिए। पत्नी मोना त्रिवेदी को 24 टिकट दिए। बेटा एवी त्रिवेदी को 25 टिकट दिए। बिटिया ईशान तिवारी को 7 टिकट दिए। बिटिया ईरा तिवारी को 17 टिकट दिए। बिटिया अंजनी त्रिवेदी को छह टिकट दिए। दामाद विकास तिवारी को 3 टिकट दिए। भाई प्रजापति त्रिवेदी को दो टिकट और मां क्रांति त्रिवेदी को 7 टिकट दिए। इन कम्प्लिमेंट्री टिकटों पर घरेलू उड़ानों के साथ दुबई, माले, सिंगापुर, बैंकाक, कुआलालम्पुर समेत कई देशों की यात्राएं की गईं। केवल दिल्ली-दुबई रिटर्न टिकट पर 19 खेप में यात्राएं की गईं। इसके अलावा दिल्ली-मुम्बई की 23 यात्राएं हुईं और लखनऊ से मुम्बई की 29 यात्राएं की गईं।
यह मामला बाकायदा केंद्र की जानकारी में था, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने श्री त्रिवेदी को खनन मंत्रालय का सचिव बना दिया। खनन के अकूत घोटाले सुर्खियों में हैं ही, अभी कनाडा की खुफिया एजेंसी ने सीबीआई से सम्पर्क कर तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल को कनाडा की एक फर्म की तरफ से सुरक्षा उपकरण लगाने का ठेका पाने के लिए करोड़ों रुपए की रिश्वत दिए जाने के मामले में कार्रवाई का औपचारिक आग्रह किया है। जिस समय प्रफुल्ल पटेल उड्डयन मंत्री थे, उस समय विश्वपति त्रिवेदी नेशनल एविएशन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक थे।

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