Sunday 19 February 2012

कैसा अनुष्ठान? किनके लिए मतदान?

...ख्वाबों के खुले आसमान पर
उड़ते थे जो चाहत के अबाबील
बिंधे परिंदे के मानिंद गिरा तडफ़ड़ाया लगता है
जनपथ पर दिखते हैं
हर जगह जो खून के धब्बे
लोकतंत्र का हर खंभा
तेजाब में नहाया लगता है
ये उजले कपड़ों में लिपटा झुंड
जो यहां वहां हर तरफ नुमाया होता है
बाअदब बोलिए जंगल के इस राज का ये सरमाया लगता है
पत्थरों में सजता कोई और है
भट्ठियों में भुनता कोई और है
मरता है खेतों में बोकर वो पसीने की बूंदों के बीजख्वाबों के खुले आसमान पर, कूटता कोई और, लूटता कोई और, चुगता कोई और है...ये अजीब सा दौर है
बिंधे परिंदे के मानिंद गिरा तडफ़ड़ाया लगता है, हर शख्स भरमाया लगता है...

...मतदान को पवित्र कर्म बताने और ज्यादा से ज्यादा वोट डालने के आह्वान का जो लगातार अभियान चल रहा है, उससे सतर्क रहें। यह धोखेबाजी का प्रायोजित प्रहसन है। ज्यादा से ज्यादा मतदान वे करें जो महंगाई से टूट रहे हैं, जो नेताओं के घोटालों से त्रस्त हैं, जिनके पास सम्पत्ति की सुरक्षा का कोई औचित्य नहीं, जिनके पास जान की हिफाजत का कोई अधिकार नहीं, जो नेता से पुलिस से और गुंडों आक्रांत हैं! ज्यादा से ज्यादा मतदान करने के आह्वान वाला अभियान उन करोड़ों बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए भी है, जो इन्हीं नेताओं और व्यवस्थापकों की कृपा से भारत के पक्के नागरिक बने बैठे हैं, जितने पक्के हम आप भी नहीं। तो किनका मतदान? किनके लिए मतदान? आचार संहिता का डंडा भांजने वाले चुनाव आयोग के अधिकारियों से कभी पूछा आपने? मतदान के लिए अपील करने वाली फंडेडसंस्थाओं से कभी पूछा आपने? दरवाजे-दरवाजे वोट मांगने वाले नेताओं से कभी पूछा, कभी मांगा इसका जवाब? नेताओं को नागरिकों से मतलब नहीं
आपने कभी यह जानने की कोशिश की कि उन्हें केवल गिनती से मतलब है। आप इस मुगालते में न रहें कि आप नागरिक हैं... आप बस केवल एक संख्या हैं, अंग्रेजी में काउंट हैं। भारत की जनसंख्या को भोंदू भीड़ में तब्दील करने की साजिश है, जो एक फर्जी मशीन का बटन दबाएगी और सत्ता बनवाने का सुखद भ्रम लेकर अपनी बोझिल जिंदगी काट लेगी। वह हर बार बटन दबाएगी और हर बार घपले-घोटाले का रास्ता खोलेगी, हर बार चोरों के हाथों सरकारी खजाने की चाभियां देगी और हर बार चोर-हजरतों को हसरतों से देखेगी... फिर चुनाव आने तक। आप गिनिए कितने चुनाव आपने देख लिए, कितने चुनावों में आपने अपने पवित्र मताधिकार का प्रयोग किया और कितनी पवित्रता से नेताओं ने देश को, लोकतंत्र को, संसद को, विधानसभाओं को अपवित्र किया। आप मतदाता हैं तो कुछ बातों पर गंभीरता से सोचते हैं कि नहीं? क्या आप सोचने लायक रह गए हैं? जबसे देश में काले धन को वापस लाने की मांग ने देशव्यापी मानस बनाना शुरू किया और यह पूरे देश में सड़कों पर विद्रोह की शक्ल में दिखने लगा... वोट के बूते सत्ता में आने वाले परजीवियों को अपना भविष्य खतरे में दिखने लगा। मतदान और मताधिकार के औचित्य पर ही सवाल गहराने लगा तो साजिशें शुरू हो गईं। नेताओं के कुकृत्यों से वोट के प्रति सृजित हुए नफरत को मतदान-प्रेम में बदलने का प्रायोजन शुरू हो गया। चुनाव आयोग हो या नौकरशाही, सब देश की सडिय़ल सियासत का ही तो प्रतिउत्पाद हैं... सब एक साथ हुआं-हुआं में शामिल हो गए। क्योंकि इसी हुआं-हुआं से पूंजी सिडिकेटों का धंधा चलता है और उनके जूठन से नेताओं का पेट पलता है। पवित्र मतदानके पवित्र उपकरणइलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (इवीएम) को तकनीकी तौर पर धोखाधड़ी की मशीन साबित करने वाले मेधावी इंजीनियर हरिकृष्ण प्रसाद को गिरफ्तार क्यों किया गया था? वह आज किस हाल में है? जिंदा भी है कि नहीं? हैदराबाद के उस इंजीनियर ने अपने दो अन्य विदेशी इंजीनियरों की मदद से यह साबित कर दिया था कि इवीएम में मर्जी का परिणाम फीड किया जा सकता है। उसकी प्रोग्रामिंग में फेरबदल की जा सकती है। आप किसी भी बटन को दबाएं, प्रोग्रामिंग के मुताबिक निर्धारित प्रत्याशी के खाते में ही वोट जाएगा। यह भी साबित हुआ कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का कंट्रोल कहीं से हैक किया जा सकता है या रिमोट से संचालित किया जा सकता है। नौकरशाही और चुनाव आयोग के अधिकारियों ने मिल कर इंजीनियर हरिकृष्ण प्रसाद की गिरफ्तारी का कारण एक मशीन की चोरी बताया। लेकिन इंजीनियर ने जो खुलासा किया था, उस पर किसी की जुबान नहीं खुली... न नेता बोला, न नौकरशाह... विडंबना देखिए कि हैदराबाद के सॉफ्टवेयर इंजीनियर हरिकृष्ण प्रसाद ने अमेरिका के मिशीगन विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर साइंस विभाग के प्रोफेसर अलेक्स हाल्डरमैन और हॉलैंड के सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ रॉबर्ट वी. गौंगरिप के साथ मिल कर भारत की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की सार्थकता और सत्यता की तकनीकी जांच-परख की थी और उसे फर्जी साबित किया था। ऐसे इंजीनियर को चोर साबित कर दिया गया। आप समझ ही रहे हैं कि कौन चोर है। आप इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की फाइंडिंग रिपोर्ट पढ़ें तो हैरत करेंगे, आप समझेंगे कि वोट लूटने की बस पद्धति ही बदली है और यह अहसास भी होगा कि हम आप किस किस तरह और कितने कितने तरीके से बेवकूफ बनते रहे हैं...

2 comments:

  1. http://barabankivikasmanch.blogspot.in/2012/02/blog-post_11.html ई वी एम मशीनों में फेर बदल की आशंका

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  2. गज़ब की बातें बड़े ही बेबाक तरीके से आपने लोगों के सामने रखी हैं ....
    आपको प्रणाम इस प्रस्तुति के लिए....
    परन्तु क्या आपको नहीं लगता कि इस प्रस्तुति का व्यापक प्रचार -प्रसार होना चाहिए था.....

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