Friday 24 February 2012

अब मंत्री जी ही देंगे डील की तफसील!

राज्य के कद्दावर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की अकूत अनधिकृत सम्पत्ति की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश करने वाले लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा  को राजधानी लखनऊ के महंगे इलाके में हाल ही हुई दो-दो बड़ी डील के बारे में जानकारी है कि नहीं? इंडस्ट्रियल एरिया के विशाल भूखंडों को आनन-फानन रिहाइशी जमीन में तब्दील किए जाने और नौ सौ फ्लैटों वाले आलीशान अपार्टमेंट बनाने की मंजूरी दिए जाने की उन्हें जानकारी है कि नहीं? सैन्य क्षेत्र में आलीशान कोठी को गैरकानूनी तरीके से खरीदे जाने की उन्हें जानकारी है कि नहीं? तो उसकी विस्तृत जानकारी प्रस्तुत है।
नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पास अकूत सम्पत्ति है, इतनी ज्यादा कि जांच कराने में लोकायुक्त बेबस हैं। सम्पत्ति अर्जन में सिद्दीकी दम्पति दोनों बड़े मेधावी हैं। लोकायुक्त ने जैसे ही मामले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की, वैसे ही सिद्दीकी की सम्पत्ति का आधिकारिक ब्यौरा जो उन्होंने विधान परिषद चुनाव के दौरान 2009 में दाखिल किया था वह फिर से सामने आया और तमाम उन सम्पत्तियों का लेखा-जोखा लिया जाने लगा जिनका जिक्र उनके चुनावी शपथ पत्र में नहीं है। लेकिन यह बात सामने नहीं आई कि राजधानी लखनऊ के महंगे इलाके में दो-दो कारखानों के विशाल भूखंड किन ताकतवर लोगों ने खरीदे और किनके प्रभाव से वहां का भूमि-उपयोग (लैंड यूज़) रातो-रात बदल डाला गया और उनमें से एक विशाल भूखंड पर 900 घरों का आलीशान अपार्टमेंट किनका बनने जा रहा है? आनन-फानन नक्शा भी कैसे पास हो गया? करोड़ों के लेन-देन में दो-दो कारखानों के विशाल भूखंड पर बनी बृहद संरचनाओं को तेज गति से ढहा दिया गया। प्रसंग इतने प्रभावशाली लोगों का है कि मोहम्मद मतीन नामके ठेकेदार को केवल मलबा हटाने का ठेका 27 लाख रुपए का मिला।
लखनऊ के ऐशबाग इंडस्ट्रियल एरिया में ‘नसीमुद्दीन सिद्दीकी एंड टीम’ की अभी हाल ही दो बड़ी डील्स हुईं। पहली जोरदार डील हुई ऐशबाग के सिंघल पेंट्स परिसर के विशाल भूखंड की। ऐशबाग पुल पार करते ही बाएं हाथ पर काफी पुराना सिंघल पेंट्स का कारखाना और उसका विशाल परिसर है। पिछले दिनों बड़े ही गोपनीय तरीके से इसकी खरीद-बिक्री हो गई। ऐशबाग पुल से उतर कर थोड़ा और आगे बढ़ें तो हरियाणा ऑयल मिल से लगा एक बड़ा कैंपस है... वह कैंपस भी खरीद लिया गया और वहां भी अपार्टमेंट बनने की तैयारी है। बेहद महंगे इलाके में बेहद गोपनीय तरीके से हुई खरीद-बिक्री के बाद आनन-फानन सिंघल पेंट्स परिसर को ढहाने का काम शुरू हो गया। लोगों को समझ में ही नहीं आया कि रातो-रात क्या हो गया। हरियाणा ऑयल मिल से लगे कैंपस में भी तोड़ाई शुरू हो गई। तभी ‘कैनविज टाइम्स’ ने फोटो भी करा ली और खोजबीन में उस विशाल भूखंड का ‘लैंड-यूज़’ बदल कर रिहाइशी किए जाने और 900 घरों का अपार्टमेंट बनाने की तैयारी का पता भी लगा लिया। किनके नाम पर खरीदी दिखाई गई ये सम्पत्तियां? यह नसीमुद्दीन सिद्दीकी ही बताएंगे। या बताएंगे महानगर इलाके में मंदिर मार्ग पर रहने वाले सिंघल पेंट्स के स्वामी और हरियाणा ऑयल मिल्स के मालिक भसीन ब्रदर्स, जिन्होंने अपनी बेशकीमती सम्पत्तियां नसीमुद्दीन सिद्दीकी के हाथों बेचीं। जिस मतीन ठेकेदार को मलबे हटाने का ठेका मिला, उनके नसीमुद्दीन सिद्दीकी से पुराने सम्बन्ध हैं। लखनऊ से लेकर बांदा तक बेशकीमती लकडिय़ों की सप्लाई मतीन ने ही की हैं।
 बहरहाल, उस आलीशान कोठी के बारे में भी बात हो, जो लखनऊ छावनी के थिमैया रोड पर 12 नंबर कोठी या बिश्नोई कोठी के नाम से जानी जाती है। इस कोठी को नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी के नाम से खरीदा। कहते हैं कि किन्हीं मीरा चौहान ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को 50 लाख रुपए में कोठी बेच दी। मीरा चौहान जब उस कोठी की मालकीन ही नहीं हैं तो वे उसे बेच कैसे सकती हैं? ये मीरा चौहान सेना की मध्य कमान के जीओसी इन सी रहे लेफ्टिनेंट जनरल डीएस चौहान की पत्नी हैं। चौहान परिवार ने सेना के बल पर 12 थिमैया रोड की उस बिश्नोई कोठी पर जबरन कब्जा कर लिया था और पहली बार किसी सेना कमांडर की पत्नी और दो-दो ब्रिगेडियरों के खिलाफ डकैती करने और जबरन घर पर कब्जा करने का मुकदमा दर्ज हुआ था। बाद में अदालती हस्तक्षेप के बाद उस कोठी पर बिश्नोई परिवार को दोबारा कब्जा हासिल हुआ। फिर मीरा चौहान ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी या उनकी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी को वह कोठी कैसे और किस कानूनी अधिकार से बेच दी?
‘डिफेंस इस्टेट’ के आधिकारिक दस्तावेजों में कोठी की मालकीन के बतौर अब भी विमला बिश्नोई का नाम दर्ज है, जो स्वर्गवासी हैं। इस कोठी की ताजा फोटो देखिए... आपको साफ-साफ दिखेगा कि कोठी पर संदेह का साया है और भीतर कुछ चल रहा है...

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