Wednesday 22 January 2014

हम भी चलें अधर्मियों का धर्म बनाएं...

प्रभात रंजन दीन
आप टूटते जाएं, वो आपको अल्पसंख्यक का दर्जा देते जाएंगे। आप इस गलतफहमी में न रहें कि वोट पाने के प्रलोभन में वे ऐसा कर रहे हैं। भूल न करें और भूल से भी ऐसा न समझें। जो ऐसा कर रहे हैं वे समाज को इसी तरह छोटा दर छोटा करते चले जाएंगे। हम जितने छोटे होंगे, वे उतने ही खुश होंगे। हमारा पूरा समाज छोटा-छोटा हिस्सा, छोटे-छोटे स्वार्थ और छोटी-छोटी हरकतों में सिमट जाएगा और उनका वर्चस्व बना रहेगा। छोटी सी खबर पर आप सबका ध्यान गया ही होगा। अब केंद्र सरकार ने जैनियों को भी अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया है। कुछ अखबारों में यह भी छपा कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए जैनियों का वोट प्राप्त करने के प्रलोभन में कांग्रेस सरकार ने ऐसा किया। यह जो सरकार केंद्र में बैठी है, यह जिस पार्टी की है, उसे अल्पसंख्यक के नाम पर केवल मुसलमान दिखता है, वह भी इसलिए कि वह संख्या है, और वह संख्या बड़ी है, जिसे बहका कर फुसला कर वोट की गिनती में तब्दील किया जा सकता है। कांग्रेस पार्टी को दूसरे अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय की चिंता है, क्योंकि कांग्रेस की सत्ता सूत्रधारिणी ईसाई हैं। इसीलिए केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में ढेर सारे ईसाई हैं। बाकी अल्पसंख्यकों की कांग्रेस को कोई चिंता नहीं। सिख भी अल्पसंख्यक हैं, उनकी चिंता 1984 से लेकर अब तक जाहिर ही हो रही है। सिखों का नरसंहार दंगा नहीं है इस देश में। क्योंकि सिखों की इतनी संख्या नहीं है इस देश में जो कांग्रेसियों या अल्पसंख्यक राग अलापने वाले दूसरे राजनीतिक दलों को सत्ता की दहलीज तक पहुंचा सके। ...तो जैनियों की क्या औकात है? 50 लाख की आबादी में वोट की संख्या कितनी होगी इसकी कल्पना की जा सकती है। लिहाजा, यह संख्या किसी भी पार्टी को सत्ता नहीं दिलवा सकती। लेकिन समाज को छोटी-छोटी इकाइयों में तोडऩे का काम तो हो गया। यह साजिश हिंदू धर्म को हाशिए पर पहुंचा देने की है। आप कुछ लोग एकत्र हो जाएं और अलग धर्म का ऐलान कर के देखें। देश को कमजोर करने में लगे राजनीतिक दल सब एक साथ लग जाएंगे, एक और अल्पसंख्यक समुदाय को तैयार करने में। अल्पसंख्यक हित की बात करने वाले नेताओं ने सिखों को क्या दिया? बौद्धों को क्या दिया? पारसियों को क्या दिया? अब जैनियों को क्या दे देंगे? देंगे कुछ नहीं। बस लोभ-लालच भर देंगे। धागे में बंधी हुई जलेबी दिखाएंगे और बेवकूफ बनाएंगे, जैसे वे अर्से से मुसलमानों को बनाते आ रहे हैं। बहरहाल, खबर का संज्ञान लेते चलें। केंद्र सरकार ने पिछले कई दिनों से चल रही कवायद की सोमवार को पूर्णाहुति कर दी और जैन समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया। देश के मेधावी राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने देश तोड़क प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी। खूबी यह है कि केंद्र सरकार के इस फैसले का जैन समाज के धर्मगुरुओं, जैन समाज के प्रतिनिधियों तथा सभी जैनियों ने स्वागत किया और उम्मीद जताई कि इससे समाज न केवल अपने अधिकारों का प्रभावी इस्तेमाल कर सकेगा बल्कि उन्हें संवैधानिक संरक्षण भी मिल सकेगा। आपने देखा न कि केंद्र सरकार का फैसला आते ही आकांक्षाएं किस तरह परवान चढऩे लगीं। जैन समुदाय को दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत 14 राज्यों में पहले से ही अल्पसंख्यक का दर्जा मिला हुआ था। लेकिन आप ही बताएं कि उन्हें उन राज्यों में कौन सी लॉटरी लग गई थी! खैर, मंत्रिमंडल का फैसला आने के बाद अब अल्पसंख्यक आयोग इस समुदाय को अपनी सूची में लाए जाने को लेकर अधिसूचना जारी करेगा और उसके बाद अपना-अपना अधिकार पाने की मारामारी में जैनी भी बाकायदा शरीक हो जाएंगे। देश के एक प्रभु सम्पन्न वर्ग को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा देकर उनमें छोटे-छोटे लोभ कैसे जगा दिए गए, देखा न आपने! कांग्रेस सरकार ने अपने साजिशी अभियान का कितना बड़ा काम कर दिया, इसका अंदाजा लगा सकते हैं आप। अब और भी लोग टूटने का जुगत भिड़ाएंगे, अपना अलग धर्म बनाएंगे। हम भी चलें अधर्मियों का धर्म बनाएं... 

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