Sunday 11 March 2012

अखिलेश होंगे यूपी के मुख्यमंत्री

मुलायम परिवार में एक राय से फैसला, मुखिया ने लगाई मुहर, शाम तक सारी अड़चनें दूर
शनि नहीं शुक्र रहा निर्णायक, आजम और शिवपाल दोनों माने

राजनीति में कभी भी परिदृश्य बदल जाता है, लिहाजा निश्चित बात भी निश्चयपूर्वक कहने में लोग संकोच करते हैं। लेकिन हम यह निश्चयपूर्वक कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हो रहे हैं। अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने के बारे में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व फैसला ले चुका है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव फैसला ले चुके हैं। अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव यह फैसला ले चुके हैं। ...और मुलायम सिंह यादव के संयुक्त बृहत्तर परिवार में यह निर्णय हो चुका है कि उत्तर प्रदेश की सत्ता का सेहरा अखिलेश यादव के सिर पर ही बांधा जाए। विधानसभा चुनाव में अभिभूत करने वाली जीत का सेहरा अखिलेश के सिर बंध ही चुका है।
अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला पारिवारिक भी है और राजनीतिक भी। परिवार के सभी सदस्यों ने आपस में गहन विचार-विमर्श कर यह तय किया है कि अखिलेश को ही मुख्यमंत्री बनना चाहिए। इस पर पिता मुलायम सिंह यादव ने भी अपनी मुहर लगा दी। शनिवार को विधायक दल की बैठक में औपचारिक रूप से यह प्रस्ताव आएगा और अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने पर मुहर लग जाएगी। जनादेश से स्वीकृत अखिलेश की विजेता-छवि का समाजवादी पार्टी लाभ उठाना चाहती है और अभी मिले जनमत को संजोए रख कर 2014 के लोकसभा चुनाव में उतरना चाहती है। मुलायम का लक्ष्य अब दिल्ली है और पार्टी का भी। समाजवादी पार्टी का शीर्ष नेतृत्वकारी संसदीय बोर्ड अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने पर सहमत है और उस बारे में सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव संकेत दे भी चुके हैं। संसदीय बोर्ड के अधिकतर सदस्य अखिलेश के प्रदेश में और मुलायम के राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका पर हामी दे रहे हैं। सपा नेताओं का मानना है कि विधानसभा चुनाव में मिले जनादेश ने समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर उभर कर आने का सुनहरा अवसर दिया है, इसे चूकना नहीं चाहिए। 224 विधायकों की असरकारी ताकत और प्रभावकारी जूझारू छवि स्थापित करने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बूते लोकसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करने की तैयारियां शुरू करने का यह एक ठोस संकेत है।
शनिवार को विधायक दल की बैठक में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव उस नेता के जरिए पेश कराया जाएगा, जिसकी महत्वाकांक्षा के भविष्य में हिलोरे मारने की संभावना और आशंका दोनों है। और उन नेताओं को सम्माननीय पद देकर महत्वाकांक्षा का शमन किया जा सकता है। मसलन, आजम खान को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया जाए या उत्तर प्रदेश में गृह विभाग को केंद्र की तर्ज पर गृह मंत्रालय का स्वरूप देकर चाचा शिवपाल सिंह यादव को सौंप दिया जाए। आज देर शाम मुलायम सिंह यादव की शिवपाल सिंह यादव और आजम खान के साथ जो बैठक हुई, वह अहम है। इस बैठक में अखिलेश यादव भी शामिल थे। उनकी मौजूदगी शाम की बैठक की अखिलेश कोण से अहमियत बढ़ाती है।
लब्लोलुबाव यह है कि अब यह वक्त नहीं कि चुनाव परिणाम आने के बाद से अखिलेश को ही क्यों लगातार मीडिया के सामने प्रस्तुत किया जाता रहा और कानून व्यवस्था से लेकर राजनीतिक मसलों तक अखिलेश ही बयान देने के लिए क्यों आगे आते रहे और राज्यपाल से मिलने के लिए मुलायम अखिलेश को ही लेकर क्यों गए और ऐसा करके मुलायम क्या संदेश प्रसारित करना चाहते थे या विधायक दल की बैठक के एक दिन पहले शुक्रवार को प्रदेश के डीजीपी अतुल से मुलाकात कर निर्णायक तेवर के साथ अखिलेश ही मीडिया के समक्ष क्यों मुखातिब हुए...! इसकी समीक्षा की न अब जरूरत है और न समय। जन-जन तक यह संदेश प्रसारित करने में मुलायम कामयाब रहे कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हो रहे हैं...

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