Thursday 31 January 2019

दुर्बुद्धों की याचिका पर मूढ़ों की पंचायत..!


प्रभात रंजन दीन
‘असतो मा सद्गमय... तमसो मा ज्योतिर्गमय... मृत्योर्मा अमृतम् गमय...’ इस प्रार्थना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है। इस प्रार्थना के गाने या न गाने पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संवैधानिक पीठ गठित कर दी। 29 जनवरी को आप सबने यह खबर दबी-कुचली हुई हालत में अखबारों में छपी देखी होगी। समाचार चैनेलों से तो यह खबर बिल्कुल ही गायब थी। जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका मंजूर की, वह दिन मनुष्यता और चेतनता के अंधकार में डूबने की तरफ उद्धत होने की सनद देने वाला काला दिन साबित हुआ। तमसो मा ज्योतिर्गमय... अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो, शायद इसी दिन को देख कर दूरद्रष्टाओं ने यह प्रार्थना रची होगी। अबौद्धिकता के अंधकार से निकाल कर ज्ञान के प्रकाश की तरफ ले चलने की प्रार्थना, याचिका दाखिल करने वाले से लेकर याचिका स्वीकृत करने वालों तक के लिए है... इस मसले पर अपनी चिंता साझा करने के लिए ‘इंडिया वाच’ पर विचार-गोष्ठी आयोजित की गई। समाचार चैनेलों पर ऐसे विषय विचार (डिबेट) के लिए नहीं चुने जाते, जिनका कोई सार्थक उद्देश्य हो। निरर्थक शोर-गुल, छीना-झपटी और आरोपों-प्रत्यारोपों का आयोजन पता नहीं किन प्रयोजनों से होता है, जिसे आम नागरिक भी पसंद नहीं करता... फिर भी वह टीवी चैनेलों पर चलता रहता है। खैर, हम सब मिल कर 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' की सामाजिक और मानवीय आवश्यकता पर विचार-विमर्श कर ही रहे थे कि डिबेट पर अचानक अंधकार छा गया। शॉर्ट-सर्किट के कारण डिबेट आधा ही चल पाया और युग की भेंट चढ़ गया। लेकिन विचार-गोष्ठी का आधा-अधूरा हिस्सा भी अपनी बात तो कह ही देता है... आप भी वह आधा सुनें और अपूर्ण को अपनी चेतना से पूर्ण कर लें... इसी प्रार्थना के साथ।

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