Tuesday, 24 December 2024

भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस नहीं, ज़ीरो कंट्रोल बोलिए

उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का ज़ीरो-टॉलरेंस है। ऐसा यूपी सरकार कहती है। विशाल खर्चों पर हो रहे विशाल विज्ञापनों के जरिए ऐसा ही कहा जा रहा है। इसी कहने और ढोल पीटने के नियोजित शोर में समानान्तर सच जानना भी जरूरी है। आज आपके सामने राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन यानी नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) में व्याप्त अराजकता और भ्रष्टाचार के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहा हूं। इससे आपको अहसास होगा कि शासन का भ्रष्टाचार पर कितना नियंत्रण है या असलियत में कितनी मिलीभगत है। यह वही एनएचएम है, जिसकी ग्रामीण शाखा अर्थात राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का अरबों का घोटाला लोगों को आज तक याद है। घोटाले में हुई सिलसिलेवार हत्याएं याद हैं... और उन हत्याओं पर किस तरह पर्दा डाला गया, यह भी लोगों को याद है। बाद के दौर में ग्रामीण और शहरी दोनों एनएचएम में मिश्रित हो गए और एनएचएम मिश्रित भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया। धन के लिए एनएचएम किसी भी स्तर पर गिरने के लिए तैयार है। धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और गैर कानूनी निर्णय भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस पर भद्दे मजाक की तरह चस्पा हो रहा है। नेशनल हेल्थ मिशन के बजाय यह नीति हीन मिशन हो गया है। उसे आप देखें और भ्रष्टाचार पर सरकार ज़ीरो टॉलरेंस की असलियत समझें...


Saturday, 7 September 2024

भेड़ियों का भेड़ियों में खिंच गया है म्यान..!


अभी यूपी के बहराइच में भेड़िये का बड़ा हंगामा चल रहा है। भेड़ियों ने कई बच्चे मार डाले हैं। लोग गुस्से में हैं। नेता, अफसर और कारिंदे सब ऑपरेशन भेड़िया में लगे हैं। भेड़ियों को गोली मार देने का फरमान जारी हो चुका है। पुलिस वाले, जंगल वाले, गांव वाले सब बंदूकें लिए घूम रहे हैं। लेकिन बंदूक वाले यह सोचने-समझने की शक्ति खो चुके हैं कि वन्य जीव आखिर क्यों इतने नाराज हैं? कोई यह विचार ही नहीं कर रहा कि हम जंगल का अतिक्रमण क्यों कर रहे हैं? हम यह सोच ही नहीं रहे कि हम जंगल में घुसे तो वन्य जीव कहां रहेंगे, क्या खाएंगे और उनके बच्चे कैसे पलेंगे, कैसे जिंदा रहेंगे? हमें केवल अपनी चिंता है, अपने बच्चों की चिंता है। उनके बारे में या उनकी तरफ से कोई सोचने के लिए तैयार ही नहीं... न लोग, न नेता, न अफसर। तो कैसे रहेगा प्रकृति का संतुलन? इसी व्यथा और वेदना पर है यह कार्यक्रम... छोटा सा है, इसे जरूर देखें...

Monday, 12 August 2024

साजिशों से सावधान रहें मोदी जी..!

साथियो,

आप देख और सुन रहे हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चल रहे अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय षडयंत्र के धागे उधेड़ने वाली सिलसिलेवार तथ्यपूर्ण कहानियां। नरेंद्र मोदी को न केवल भारत के अंदर बल्कि चारों तरफ से कमजोर करने की साजिशें चल रही हैं। श्रीलंका और मालदीव के जरिए भी साजिशों को आजमाया गया। नेपाल को भी भारत विरोधी बनाने की साजिशें जारी हैं। इन्हीं साजिशों को बांग्लादेश पर भी आजमाया गया। बांग्लादेश के नेता और नागरिक नासमझ, कट्टरांध और भ्रष्टाचारी निकले इसलिए बांग्लादेश उस भीषण चक्रव्यूह में फंस गया। ...और धराशाई हो गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने भारतीय मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन साजिशों के बारे में पहले ही बता दिया था। उन्होंने मोदी से मदद भी मांगी थी। लेकिन मोदी की तरफ से कोई मदद नहीं मिली। भारत के समर्थक पड़ोसी देशों का बड़ा भाई होने का भरोसा भारत ने खो दिया। भारत के इस रवैये से 1971 का दौर याद आ गया, जब भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को तोड़ कर, पाकिस्तानी सेना को घुटनों के बल बिठाने की हद तक जाकर बांग्लादेशियों की मदद थी। भारत ने मालदीव में सेना उतार कर वहां तख्तापलट की साजिशों को पलट दिया था। ऐसे कई उदाहरण हैं हमारे सामने, लेकिन हमने एक और ऐसा ऐतिहासिक उदाहरण बनने का अवसर खो दिया।

भारत खुद उन षडयंत्रों से घिरा है। बाहरी और भीतरी षडयंत्रकारियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुद्धि, विवेक और दृढ़ता से निपटना होगा। यह कोई व्यक्तिगत मसला नहीं, यह सम्पूर्ण देश की अस्मिता और उसके अस्तित्व की सुरक्षा का मसला है। इन षडयंत्रों का ध्वस्त होना देश के लिए जरूरी है। देश के बारे में चिंता करने वाले नागरिकों का दायित्व है देश के खिलाफ होने वाले षडयंत्रों को समझना और उससे देश को बचाने का जतन करना...


Tuesday, 30 July 2024

बन कर मुसलमानों का सगा, जम कर मुसलमानों को ठगा


प्रिय साथियो,
2024 का लोकसभा चुनाव हो गया और अब उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव की प्रतीक्षा है। लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की अप्रत्याशित जीत का कारण मुसलमानों का निर्णायक वोट रहा है। राहुल गांधी के पिछलग्गू की हैसियत में आए अखिलेश यादव की संसद में हो रही हरकतें, मुस्लिम तुष्टिकरण की बातें और दलितों पिछड़ों को लेकर दिखाई जा रही फर्जी संजीदगी से मुझे राष्ट्रीय साप्ताहिक अखबार चौथी दुनिया में तब की गई एक स्टोरी का बरबस ध्यान आ गया। तब समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश में सरकार थी। समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा तब मुसलमानों के लिए गए वादे और उसके कार्यान्वयन को लेकर मैंने गहराई से जांच-पड़ताल की थी। नतीजा अत्यंत निराशाजनक, धोखाधड़ी से भरा और हास्यास्पद निकला। चौथी दुनिया में वह कवर स्टोरी बनी थी। समाजवादी पार्टी ने उस खबर का खंडन करने की हिम्मत नहीं की। यानी, समाजवादी पार्टी ने चुप्पी साध कर यह स्वीकार कर लिया कि प्रकाशित खबर प्रामाणिक थी। उसके बाद मैंने अपनी उस स्टोरी को आधार बना कर एक वीडियो कार्यक्रम भी बनाया... सपा की चुप्पी तब भी सधी रही। सपा और उसके नेता अखिलेश यादव ने वही पुराना धोखा-फार्मूला इस बार भी लोकसभा चुनाव में अपनाया... और आगे भी विधानसभा चुनाव में अपनाएंगे। ऐसे में उस समय का मेरा प्रोग्राम आज फिर मौजू हो गया है। आप सब देखें और सियासतदानों के मौलिक चरित्र का अंदाजा लगाएं...

Saturday, 27 July 2024

मोदी के पीछे पड़ी खूबसूरत चुड़ैल..!


मोदी के पीछे पड़ी खूबसूरत चुड़ैल..!
नरेंद्र मोदी के खिलाफ हुए और हो रहे देसी विदेशी और घरेलू षड्यंत्रों को खंगालने के क्रम में यह तीसरी कड़ी आपके समक्ष प्रस्तुत है। इन षडयंत्रों को चीन और अमेरिका मिल कर क्यों हवा पानी दे रहा है, इसे समझना जरूरी है। जो ऊपर ऊपर दिखता है उसके भीतर भीतर जाकर देखना जरूरी होता है। ...और जब आप भीतर का दृश्य देखेंगे तो आपको ऊपर के ठीक विपरीत और बदला हुआ कथानक दिखेगा। नरेंद्र मोदी के खिलाफ चले षडयंत्रों को समझने के लिए भीतर के धागे उधेड़ना बेहद जरूरी है। तो आइये, हम इस कथानक में घुसें, घूमें और जानें... ताकि उसके आगे की कड़ी खोलने के पहले हमारे दिमाग में देश विरोधी षडयंत्र को लेकर जो भी धुंध रहा हो, वह साफ हो जाए।

Thursday, 18 July 2024

मोसादेग के बाद मोदी..?


साजिशों में घिरा राष्ट्रभक्त... भारत की बढ़ती शक्ति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रभक्ति ने भारत को पंगु बना कर रखने की मानसिकता वाले विदेशी तत्वों और उनके देसी दलालों को परेशान कर रखा है। देश और देशभक्त दोनों को धराशाई करने की साजिशें परवान पर हैं। भारत को गुलाम बना कर रखने के आदती देशों और उनकी भारत में पलती-बढ़ती नस्लों को भारत का प्रधानमंत्री उसी तरह नहीं सोहा रहा, जैसे ईरान के स्वाभिमानी प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसादेग उन्हें नहीं सोहाते थे। गोरी नस्ल वालों का काला कुचक्र और ईरान की जूठनखोर जमातों के कुकृत्य से ईरान के राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री मोसादेग तो हार गए, लेकिन क्या ऐसा ही भारत के साथ भी होगा? यह सवाल देश के उन लोगों के सामने विकराल काया में खड़ा है, जिनके हृदय में देशप्रेम पलता है और जिनके आगे सोने के अनैतिक सिक्के का भी कोई मोल नहीं... वैसे ही रीढ़वान, नैतिक और देशभक्त साथी यह कार्यक्रम देखें और आगे की तैयारी करें... नरेंद्र मोदी के खिलाफ चले और चल रहे षड्यंत्रों का 'प्री-क्लाइमेक्स' देखेंगे अगले एपिसोड में। उसके बाद देखेंगे 'क्लाइमेक्स'...

Monday, 15 July 2024

लोकतंत्र हारा: पैसा, शराब, फरेब और झूठ जीता


विदेशों से आए धन पर खूब नाचे नेता, पत्रकार और वोटर
साजिश में विपक्षी और सत्तापक्षी दोनों बराबर थे शामिल
भाजपा नेताओं ने अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों को हराया
नरेंद्र मोदी को पराजित कर वे खुद बनना चाहते थे पीएम
लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार की समीक्षा के नाम पर भाजपा में शीर्ष से लेकर नीर्ष तक तमाम नौटंकियां अब भी जारी हैं... लेकिन कोई भी शीर्ष नेता समीक्षा बैठकों में आईना लेकर नहीं बैठ रहा। उसने भाजपा की दुर्गत करने में अपनी खुद की भूमिका क्या निभाई, वह देख नहीं रहा और न कोई दिखाने का साहस कर पा रहा है। इस बार के चुनाव में खास तौर पर बाहरी शैतानी शक्तियों और पश्चिम के विध्वंसक पूंजीपशुओं ने खुल कर खेला, अपने सारे हथकंडे इस्तेमाल किए। लेकिन इसे रोकने में अमित शाह का मंत्रालय पूरी तरह फेल रहा। मोदी के खिलाफ धन, दारू, झूठ और अफवाहों का बोलबाला रहा। वोटों की खुलेआम खरीद-बिक्री हुई। भाजपा के कुछ शीर्ष नेताओं ने नरेंद्र मोदी को हराने के लिए बाकी की कसर पूरी की। अन्य दलों का सहयोग लेकर नरेंद्र मोदी के बजाय खुद प्रधानमंत्री बनने के लिए बिसात बिछा दी गई थी। लेकिन संसद को अधर में डाल कर अपनी गोटी लाल करने की बिसात काम नहीं आई और भाजपा को इतनी सीटें आ गईं कि नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने में दिक्कत नहीं आई। केंद्रीय मंत्री रहे कौशल किशोर लखनऊ संसदीय क्षेत्र से सटे मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र से लगातार जीतते रहे हैं। कौशल किशोर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पड़ोसी सांसद रहे हैं। चुनाव से जुड़े तमाम प्रसंगों पर कौशल किशोर से विस्तार से बातचीत हुई। बातचीत लंबी जरूर है, लेकिन उसे सुनें तो कई ऐसे तथ्य मिलेंगे जो आपको भाजपा की खास तौर पर यूपी में हुई दुर्दशा की दशा दिखाएंगे...

Tuesday, 28 May 2024

आज़ादी के टुकड़े खाने की भेड़ियाई भूख... जारी है


आज़ादी के टुकड़े खाने की भेड़ियाई भूख... जारी है
लोकसभा चुनाव अब अपने आखिरी चरण में है। एक जून को वह भी पूरा हो जाएगा। जैसे ही चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई थी, उसके साथ ही बेमानी बुदबुदाहाटें भी शुरू हो गई थीं... वह क्रमशः शोर में तब्दील होती गईं, जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता गया और मतदान की प्रक्रिया में प्रवेश करता गया, वातावरण को प्रदूषित करने के स्तर तक शोर बढ़ता गया। इस दरम्यान देश और लोकतंत्र को लेकर कहीं भी आपने कोई मौलिक चिंता देखी या सुनी? न बड़े स्वनामधन्य नेताओं के मुंह से सुनी, न बड़े आत्मरति ग्रस्त मीडियाई अभिनेताओं के मुंह से सुनी।
आपने अपने देश और अपने लोकतंत्र के भूत वर्तमान भविष्य के बारे में जरूर सोचा होगा, लेकिन आम आदमी के पास अभिव्यक्ति का माध्यम ही क्या है? आधुनिक काल में सोशल मीडिया का मंच है, पर उसका प्रपंच आम आदमी जानता नहीं, इसलिए उस मंच पर निम्न कोटि के प्रायोजित प्रहसन उच्च संख्या-कोटि के प्रायोजित दर्शक और श्रोता बटोरते हैं। ...और जनता का मुख-पत्र बनने के मूल उद्देश्य से स्थापित हुए अखबारों और चैनेलों तक आम आदमी की पहुंच कितनी है, इसे हम आप अच्छी तरह जानते हैं। मीडिया प्रतिष्ठान भी राजनीतिक पार्टी की तरह आम आदमी को बेचते हैं, सत्य और इमानदारी का बिक्री-बट्टा करते हैं, नेताओं और सामर्थ्यवानों की दलाली करते हैं और मेरी कमीज तेरी समीज करते रहते हैं। विचारवान देश की यह दुर्गति है। कोई कुछ भी बोल रहा है। कोई परहेज नहीं, कोई वर्जना नहीं। कोई विदूषक की तरह आरोप पर आरोप का हास्य सृजित कर रहा है। अनर्गल प्रलाप कर रहा है। भ्रष्टाचार में पगा कोई नेता भ्रष्टाचार रोकने के जुगत बता रहा है। कोई घर में नारी को पीट रहा है और सड़क पर नारी को पूजने का तमाशा रच रहा है। कोई देश की पीढ़ियों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर होने के बजाय उसे आरक्षण देकर आत्मपंगु बनाने की घोषणाएं कर रहा है। देश के आत्मनिर्भर होने और पीढ़ियों के आत्मपंगु होने का अजीबोगरीब विरोधाभास परोस रहा है। चारा हजम करने वाला चारागर बना ताल ठोक रहा है, तो कोई उसी निकृष्ट विरासत पर अघा रहा है। अपने बुजुर्गों को अपमानित कर पद छीनने वाला आचार और नैतिकता पर गाल बजा रहा है। कोई भद्र महिला पूरे देश की सुन्नत कराने की अभद्रता पर आमादा है। कोई धर्म के आधार पर केवल मुसलमानों में आरक्षण बांट दे रहा है। नौकरी है नहीं, आरक्षण बंट रहा है। जातिवाद समाज का नासूर है का उपदेश देने वाले जाति पर वोट मांग रहे हैं। ठीक वैसे ही जैसे शराब पीना बुरी आदत है, कह कर सरकारें बेपनाह शराब बेचती हैं। भारत विरोधी विदेशी शक्तियों से धन लेकर कोई देश के खिलाफ जहर उगलकर भी शरमा नहीं रहा। कोई धर्मनिरपेक्षता, प्रगतिशीलता, बुद्धिजीविता का कोठा खोले बैठा है तो कोई मोहब्बत की दुकान से षडयंत्र का ड्रग्स बेच रहा है। कोई गिनती में ही लगा पड़ा है। कभी इधर की संख्या बढ़ा देता है तो कभी उधर की। मीडिया के विचार-कोष में केवल संख्या ही अंटती है, वह सिक्कों की संख्या हो या सीटों की। ...तो यह है देश के वैचारिक परिदृश्य का संक्षिप्त शब्द-कोलाज़...
दृश्य दो... कृपया वीडियो देखें