भारत का लोकतंत्र अजब-गजब प्रकार का है। भारत में
सरकार किसी भी पार्टी की हो, चाल-चलन एक जैसा ही रहता है। सरकार आम नागरिक को महज
एक गिनती समझती है। वोट देने के अलावा आम आदमी की कोई औकात नहीं। जॉर्ज ऑरवेल का
प्रसिद्ध उपन्यास 'एनिमल फार्म' भारत की राजनीतिक-सामाजिक स्थितियों को देख कर ही
लिखा गया होगा। बिहार के मोतीहारी में पैदा हुए उस अंग्रेज लेखक पर भारतीय चाल-चरित्र
का कितना असर था, यह 'एनिमल फार्म' पढ़ कर समझ में आता है। ...अब आप 'एनिमल फार्म' को ध्यान में रख कर
यह छोटी सी खबर देखिए और सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की लोकतांत्रिक सरकार की लोकतांत्रिक-वास्तविकता
का अंदाजा लगाइये...
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