Friday, 5 December 2025

दो विमान क्रैश, एक लापता...


लोक मर रहा है, तंत्र तर रहा है...

प्रस्तुत है भारत सरकार की लापरवाही और गैर जिम्मेदारी के तीन गंभीर एवं अक्षम्य उदाहरण। आप यह समाचार-प्रस्तुति देखेंगे तो आपको हैरत होगी कि क्या सरकार ऐसी लापरवाह और जन-विरोधी हरकतें भी कर सकती है! हां, भारत में ऐसा ही होता रहा है। गैरजिम्मेदार हादसे, लापरवाह नुकसान, बेमानी शहादतें और बेइलाज मौतें भारत के आम आदमी के खाते में रहती हैं... खास लोग इन सबसे अलग और सुरक्षित-संरक्षित रहते हैं। देश का निरीह आम नागरिक पस्त है और नेता-नौकरशाह-पूंजीशाह मस्त है। लोक मर रहा है और तंत्र तर रहा है... 


Sunday, 30 November 2025

SIR से बचने के लिए मुस्लिम घुसपैठिए अपना रहे हिंदू नाम


SIR से बचने के लिए मुस्लिम घुसपैठिए अपना रहे हिंदू नाम

मतदाता सूची में आवश्यक संशोधन जाग्रत लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त है। जो ताकतें लोकतंत्र को मलबा बनाए रख कर सत्ता साधती रही हैं, उन्हें जाग्रत देश मंजूर नहीं, उन्हें तो बस वोटों की गिनती चाहिए, चाहे वह दीमकों का हो या आस्तीन के सांपों का। बिहार चुनाव के बाद देश के 15 राज्यों में मतदाता सूची के संशोधन की प्रक्रिया आगे बढ़ी। पश्चिम बंगाल में इसकी सबसे अधिक छटपटाहट है। वोट के लिए इस राज्य में सबसे अधिक घुसपैठ कराई गई इसीलिए छटपटाहट भी यहां पर सबसे अधिक है। पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश के मुस्लिम घुसपैठियों को भारी तादाद में वोटर बनाया गया। अब वोटर लिस्ट में बने रहने के लिए वही मुस्लिम घुसपैठिए सारे इस्लामिक उपदेश ताक पर रख कर हिंदू नाम अपना रहे हैं। इस हथकंडे पर न फतवाधारी मौलाना कुछ बोल रहे हैं और न दुर्गतिगामी प्रगतिशील चिहुंक रहे हैं। सब तरफ शातिराना सन्नाटा तना हुआ है। इस समाचार प्रस्तुति को विस्तार से सुनें तो आपको गंभीरता और तुष्टिकरण की वीभत्सता का सही अंदाजा लगेगा...


Saturday, 15 November 2025

‘सेंटिमेंटैलिटी’ ने तय कर दी ‘पॉलिटिकैलिटी’


सेंटिमेंटैलिटी ने तय कर दी पॉलिटिकैलिटी

बिहार विधानसभा के चुनाव परिणामों को लेकर आपने तमाम विद्वतजनों के विचार सुने... वास्तविकता की जमीन साध कर चलने वाले आम लोगों की प्रतिध्वनि भी तो सुनें..! उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार कुमार रवि ने प्रभात रंजन दीन को कुरेदा तो शायद कुछ मतलब की बात निकली। बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों ने एक साथ कई व्याख्याएं देश और समाज के सामने रख दी हैं। इस पर मंथन करना समय की मांग है। इसे सुनें... और न केवल सुनें, बल्कि सकारात्मक विमर्श भी करें, ताकि आगे का रास्ता साफ-साफ दिख सके और तय हो सके। खास तौर पर नई पौध के लिए, जिन्हें भविष्य की लंबी यात्रा सुनिश्चित करनी है...

Friday, 15 August 2025

भारत के टुकड़े खाने की भूख जारी है... (लेखन, स्वर, वीडियो-संपादन एवं प्र...


हर साल 14 और 15 अगस्त दिमाग के रेशे-रेशे में तनाव भर देता है। हम आजादी की खुशियां बनाने का प्रहसन खेलने में उस यथार्थ को भूलने का प्रयास करते हैं कि हमारा ही घर टुकड़ों में तोड़ कर हमें यह कैसी आजादी मिली? यह आजादी हमने स्वीकार क्यों की? हमारे मौलिक अखंड भारत को फिर से पाने का सपना संजोए महापुरुषों ने फांसी पर झूलते हुए भी यही सोचा होगा कि हमारी पीढ़ियां अखंड भारत में विचरण करेंगी। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उन्हीं के बीच खंड खंड पाखंड से भरे लोभी लोग हैं जो सत्ता भोग के लिए देश को टुकड़े करने पर आमादा हैं... सत्ता लोभियों ने क्रांतिकारियों को फांसी पर झूलने दिया, रास्ते से हटने दिया... फिर जो किया, वह हमारे सामने है। हम स्वतंत्रता दिवस पर उन त्रासदियों को एक पल तो याद कर लिया करें, जो हमारे पुरखों ने झेला और भोगा..! उसी प्रयास की यह प्रस्तुति है... कृपया सुनें...

Saturday, 3 May 2025

ममता बनर्जी 302 की मुजरिम है...

देश की धड़कन के साथ जिस नागरिक का हृदय स्पंदित होता है... देश की दुर्दशा पर उसी नागरिक का हृदय दुखता भी है। ये जो 'प्रतिष्ठित' नागरिक बने सफेदपोश, भगवापोश, हरितपोश और नकाबपोश लोग मंचों पर या सड़कों पर दिखते हैं... उनसे सावधान रहें। वह नेता हो सकता है, पंडा हो सकता है, मुल्ला हो सकता है, धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील हो सकता है। वह जज भी हो सकता है। सतर्क रहें...

आप अपने हृदय की धड़कन से तय करें... फिर चाहें तो यह छोटी सी प्रस्तुति देखें और अपने विवेक के सूक्ष्म और विस्तार के प्रिज्म से देश की दशा-दिशा का अवलोकन करें, चिंतन करें और निर्णय करें... शुभकामनाएं


Saturday, 22 February 2025

'बौना' उत्तर प्रदेश..?


हम देश की आने वाली पीढ़ियों के साथ गंभीर और अक्षम्य अपराध कर रहे हैं। हम कमजोर, कुपोषित और बौनी नस्लों की पीढ़ी दर पीढ़ी तैयार करते चले जा रहे हैं। बौनी पीढ़ी के बूते हम भविष्य में विश्वगुरु बनेंगे। बौने लोगों के बूते हम आसमान छूएंगे। बौने लोगों की भीड़ लेकर हम संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाएंगे। बौने लोग ही संसद और विधानसभाओं में बैठेंगे। बौने लोग ही हमारे महान भारत देश के नीति-नियंता बनेंगे। आपसे आग्रह है, यह समाचार-कार्यक्रम देखें और स्थिति की भयावहता का अंदाजा लगाएं...


Sunday, 16 February 2025

विधानसभा में सरकार कहेगी... ना

भारत का लोकतंत्र अजब-गजब प्रकार का है। भारत में सरकार किसी भी पार्टी की हो, चाल-चलन एक जैसा ही रहता है। सरकार आम नागरिक को महज एक गिनती समझती है। वोट देने के अलावा आम आदमी की कोई औकात नहीं। जॉर्ज ऑरवेल का प्रसिद्ध उपन्यास 'एनिमल फार्म' भारत की राजनीतिक-सामाजिक स्थितियों को देख कर ही लिखा गया होगा। बिहार के मोतीहारी में पैदा हुए उस अंग्रेज लेखक पर भारतीय चाल-चरित्र का कितना असर था, यह 'एनिमल फार्म' पढ़ कर समझ में आता है। ...अब आप 'एनिमल फार्म' को ध्यान में रख कर यह छोटी सी खबर देखिए और सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की लोकतांत्रिक सरकार की लोकतांत्रिक-वास्तविकता का अंदाजा लगाइये...

Wednesday, 29 January 2025

राम मंदिर की जय में सीता मंदिर का क्षय क्यों?

पूरे देश में राम राम की गूंज है। पूरा देश आध्यात्मिकता में सराबोर है। राम राम के प्रायोजित शोर में मंदिरों मठों की अकूत सम्पत्तियों का वारा-न्यारा हो रहा है। अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में ही महात्म्य और महत्व से परिपूर्ण सीता की रसोई मंदिर, मठ और उसकी सम्पत्ति राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने अपने कब्जे में ले ली है। ऐतिहासिक एवं पौराणिक सीता की रसोई मंदिर ध्वस्त कर उसे राम मंदिर निर्माण की मिट्टी में विलीन कर दिया गया। सीता की रसोई मंदिर में रखी पौराणिक मूर्तियां गायब हैं। राम राम के शोर में सीता माता गायब हैं। इसके पीछे गहरी षडयंत्र-कथा है। इस कार्यक्रम के जरिए इस कथा पर थोड़ी रौशनी डालने की कोशिश की गई है। षडयंत्र के कुछ सूत्र खोलने की कोशिश की गई है। सीता की रसोई का उत्तराधिकारी होने का दावा करने वाले संतोष दास की बातें भी इस सार्वजनिक फोरम पर रख दी गई हैं। आप देखें, तय करें और अपना मंतव्य दें...