Tuesday 24 May 2022

बुल्डोज़र की आड़ में, ईमानदारी गई भाड़ में

 
 

बुल्डोज़र बाबा योगी आदित्यनाथ की सरकार के नौकरशाह बुल्डोज़र की आड़ लेकर अपने मौलिक कृत्य में लगे हैं। विभाग दर विभाग भ्रष्टाचार के युग-धर्म में आकंठ लिप्त हैं। कोई कर्मचारी अपने वरिष्ठ अफसर के इशारे और संरक्षण के बगैर बड़े पैमाने का भ्रष्टाचार नहीं कर सकता। लेकिन उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद जैसे धन-सम्पन्न विभाग में चेयरमैन मुकुल सिंघल के निजी सचिव स्तर का मुलाजिम रहा विवेकानंद डोबरियाल जैसे ही रिटायर हुआ, उसके बड़े-बड़े घोटाले ऐसे खुलने लगे, जैसे बस उसके रिटायरमेंट का ही इंतजार था। सरकार में भी उसे गिरफ्तार करने की ऐसी आपाधापी मची कि यूपी पुलिस से लेकर स्पेशल टास्क फोर्स तक उस मुलाजिम के घर पर धावा बोलने के लिए भेज दी गई। पुलिस अधिकारियों ने भी सोचा कि ऊपर का आदेश है तो एफआईआर की जरूरत क्या है। सरकार को उस मुलाजिम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की सुध एक महीने बाद आई... यह 'सुध' सुनियोजित-सुध थी। महीनेभर में जब सारे छेद ढंक लिए गए, अपने अपने बचाव का सारा इंतजाम कर लिया गया, तब जाकर डोबरियाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। अभी तक निजी सचिव स्तर के उस मुलाजिम की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। सरकार उसे पकड़ने के लिए इनाम की राशि ताबड़तोड़ बढ़ा रही है। इनाम 25 हजार की घोषणा से शुरू हुआ, अब 50 हजार हो गया... हो सकता है जल्दी ही एक लाख हो जाए।
इस आतुरता के कारण सरकार खुद ब खुद एक्सपोज़ हो रही है। आम लोगों को भी पता लगने लगा है कि यह मामला महज एक कर्मचारी का नहीं है, बल्कि इस बेचैनी के पीछे बड़ी वजहें हैं। क्या हैं इसके पीछे की वजहें..? दरअसल, डोबरियाल का सूत्र पकड़ कर उसका दूसरा सिरा तलाशा जाए तो वह कई खूंटों से फंसा हुआ मिलेगा। धागे उधेड़ते जाएं तो आपको भू-राजस्व के बड़े-बड़े घोटाले मिलेंगे, विधानसभा में नियुक्तियों के गोरखधंधे में फंसे बड़े-बड़े नौकरशाहों, मुख्यमंत्री के खास अधिकारियों, विधि और विधायी विभाग से जुड़े बड़े अधिकारियों, पत्रकारों और सत्ता सामर्थ्यवानों के गंदे हाथ दिखाई पड़ेंगे। विधानसभा नियुक्ति घोटाले का केंद्र दिखाई देगी। डोबरियाल प्रकरण के धागे प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट डिफेंस कॉरीडोर में हो रहे घोटालों से लिपटे हुए दिखेंगे। एक तरफ सरकार भू माफियाओं पर बुल्डोजर चला कर उनके कब्जे से जमीनें छुड़ा रही है, लेकिन नौकरशाह, न्यायिक अधिकारी और नेता अगर नव-भूमाफिया की शक्ल ले ले तो योगी का बुल्डोजर क्या करे? सस्ते में जमीनें खरीद कर सरकार से महंगा मुआवजा वसूलने का धंधा भी यूपी में खूब चल रहा है। माफियाओं से खाली कराई गई जमीनें सरकारी अधिकारी ही कब्जा कराए दे रहे हैं, तो योगी का बुल्डोज़र क्या करे? आइये, धीरे धीरे धागे उधेड़ते हैं और आपको दिखाते हैं... यह लोकतांत्रिक दायित्व है, हम इससे पीछे क्यों रहें..!

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