Monday 13 August 2018

गंदगी और गड्ढ़ों से भरे लखनऊ में सत्ता ने मनाया ‘स्मार्ट-सिटी’ महोत्सव

प्रभात रंजन दीन
बदसूरती पर पर्दा डाल कर मनाया गया सौंदर्य का सियासी उत्सव
शहर के बजाय आरोपों की सफाई, चुनाव के पहले निवेश-धुन बजाई
मोदी के स्वागत में योगी ने झोंक दिया सरकार का खजाना
मेहमानों के लिए फर्राटा भर रही थीं दो सौ लक्ज़री गाड़ियां
लखनऊ के सभी स्टार होटल पहले से बुक कर लिए गए थे
एयरपोर्ट से आयोजन स्थल तक थी वीवीआईपी शादी जैसी सजावट
वीआईपी इलाकों में दो दिन मनती रही दीवाली, बाकी डूबे रहे अंधेरे में
पीएम के चार बार आने-जाने के कारण शहर के आम लोग त्रस्त रहे

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपना बंगला सजाने-संवारने में लगे रहे और उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी के लिए चमकदार पर्दे से राजधानी लखनऊ की असलियत को ढांकने का काम करते रहे. प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रमुख उद्योपतियों की लखनऊ निवेश-यात्रा की दूसरी किस्त को लेकर आम नागरिकों की राय यही थी. मोदी ने इस बार कहा कि पिछली सरकार के अलमबरदार का ‘वन पॉइंट प्रोग्राम’ था, अपना बंगला संवारना. मोदी ने ऐसे समय यह बात कही, जब बजबजाते लखनऊ की जगमग पर्देदारी के सत्ताई-कृत्य को लोग अपनी आंखों से देख रहे थे. उद्योगपतियों के शाहंशाहाना स्वागत की दूसरी किस्त अभी जुलाई महीने में हुई, उसका पहला एपिसोड फरवरी में प्रदर्शित हो चुका है. पहले खेप का नाम ‘इन्वेस्टर्स समिट’ रखा गया था. दूसरे एपिसोड का नाम ‘ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी’ रखा गया. आयोजनस्थल इंदिरा प्रतिष्ठान के चारों तरफ का रास्ता पुलिस ने सील कर रखा था. आम लोगों के लिए विकास के प्रदर्शन का आयोजन आम लोगों के देखने के लिए नहीं था. आम लोग शहर के विभिन्न नुक्कड़ों चौराहों पर जाम में फंसे ‘ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी’ का हूबहू हिंदी अनुवाद कर मजे ले रहे थे और समय काट रहे थे. ‘भूमि ध्वंस समारोह’ के जरिए विकास की कितनी मीनारें खड़ी हो पाएंगी, उसका आकलन सरकारों की पिछली करतूतों और अभी तक के अनुभवों से किया जा सकता है. दो दिवसीय आयोजन के बाद आयोजन स्थल के इर्द-गिर्द और मोदी के गुजरने वाले रास्ते से जब चमक-धमक हटाई जा रही थी और असलियत उघाड़ हो रही थी, तब आम लोगों को वोट के बाद के नेताओं के उघाड़-रवैये बेसाख्ता याद आ रहे थे. दो दिवसीय ‘ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी’ के आयोजन में प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना, अमृत योजना और स्मार्ट सिटी मिशन की तीसरी वर्षगांठ का उत्सव समाहित था. ‘उत्सव’ 28 जुलाई को मना और ‘सेरेमनी’ 29 जुलाई को मनी.
उत्तर प्रदेश के ‘विकास-निवेश-महोत्सव’ के दूसरे अध्याय ‘ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी’ के लिए योगी सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी और आगत अतिथियों के स्वागत में किस तरह खजाना खोल दिया, उसका थोड़ा जायजा लेते चलें. आयोजन स्थल तक आने-जाने के रास्ते और आसपास को शादी-ब्याह के मौके पर होने वाली साज-सज्जा के तर्ज पर झालर-बत्तियों से ढांप दिया गया था. पूरी लखनऊ पुलिस, पूरा नगर निगम, पूरा जिला प्रशासन आयोजन के बंदोबस्त में ही संलग्न था. राजधानी लखनऊ के सभी आलीशान सितारा होटल बुक कर लिए गए थे. शासन के निर्देश पर लखनऊ नगर निगम ने अतिथियों की अगवानी के लिए आलीशान किस्म की करीब दो सौ गाड़ियां किराए पर ले रखी थीं. इन गाड़ियों में इनोवा, फॉर्चुनर, हौंडा सिटी, सियाज से लेकर मर्सिडीज़ गाड़ियां तक शामिल हैं. इसके अलावा और ऊपर स्तर की 10 मर्सिडीज़ और 25 फॉर्चुनर गाड़ियां अलग से ली गई थीं जो थोड़ा और ऊपर के स्तर वाली ‘वीआईपी’ हस्तियों को ढो रही थीं. ये गाड़ियां 26 जुलाई को ही बुक कर ली गई थीं. जबकि आयोजन 28 और 29 जुलाई को था. मुख्यमंत्री आवास से लेकर आयोजन स्थल विभूति खंड तक धो-पोंछ कर बिजली-बत्ती-झालर से चकमका दिया गया था. इसी साल फरवरी महीने में हुए ‘इन्वेस्टर्स समिट’ के दौरान भी लखनऊ की सड़कों को सजाया गया था, लेकिन इस बार ‘ढांपने’ पर कुछ अधिक ही ध्यान दिया गया. आयोजन की खासियत यह भी रही कि जहां-जहां से प्रधानमंत्री और ‘वीआईपी’ हस्तियों का काफिला गुजरना था, वहां के खास-खास स्थानों पर अलग-अलग किस्म के सांस्कृतिक प्रदर्शन भी दिखाए जाते रहे. राज्य सरकार ने इस आयोजन पर धन झोंक दिया था और प्रधानमंत्री भी सरकारी धन पर खूब दरियादिली दिखा रहे थे. लखनऊ में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम दो-दिवसीय था, लेकिन नरेंद्र मोदी को ‘खूबसूरत’ और ‘स्मार्ट-सिटी’ लखनऊ में रात्रि विश्राम करना गवारा नहीं हुआ. 28 जुलाई को प्रधानमंत्री का विशेष विमान लखनऊ आया. लखनऊ के पश्चिमी छोर पर स्थित हवाई अड्डे से लेकर लखनऊ के पूरबी छोर पर स्थित आयोजन स्थल तक पूरा शहर रुका रहा. प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए हवाई अड्डा जाने वाले राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई मंत्रियों, नौकरशाहों और खास सियासी ‘लग्गुओं-भग्गुओं‘ के काफिले के लिए काफी पहले से ट्रैफिक रोक दिया गया था. प्रधानमंत्री के काफिले की लंबी कतार के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान तक पहुंचने का रास्ता पूरी तरह सील कर दिया गया था. 28 जुलाई को प्रधानमंत्री को लेकर विशेष विमान अमौसी हवाई अड्डे उतरा. फिर उसी दिन शाम को विमान उन्हें लेकर दिल्ली गया. 29 जुलाई को फिर मोदी को लेकर विशेष विमान लखनऊ आया और फिर शाम को रवाना हुआ. इस दरम्यान जितनी बार प्रधानमंत्री का काफिला और उनके पीछे लगी मुख्यमंत्री, राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री, अन्य मंत्रियों और नौकरशाहों की गाड़ियां आती-जाती रहीं, रास्ता नागरिक-आवागमन के लिए पूरी तरह बंद रहा. प्रधानमंत्री के दो दिन में चार बार लखनऊ आने-जाने को लेकर नागरिकों को हुई परेशानी और सरकारी खजाने के खर्चे के औचित्य पर आम लोगों में सवाल उठ रहे हैं. इन चर्चाओं में फरवरी महीने में हुए ‘इन्वेस्टर्स समिट’ के दौरान हुए एलईडी लाइट घोटाले की भी खास चर्चा रही. इस बार भी खास इलाके एलआईडी लाइटों से जगमगाते रहे. नागरिकों की सेवा में आर्थिक किल्लत का रोना रोने वाले नगर निगम की ‘ग्राउंड ब्रेकिंग’ दरियादिली देखते ही बन रही थी. शहर की जर्जर हालत, गड्ढों से भरी लखनऊ की सड़कें, गंदगी से बजबजाते मोहल्ले, उसी स्मार्ट सिटी की असलियत हैं, जिस पर मोदी और योगी मंच से इतरा रहे थे. राजधानी के आम नागरिकों के साथ-साथ प्रमुख बुद्धिजीवियों और ईमानदार छवि वाले नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री के स्वागत में आम लोगों का धन इस तरह बर्बाद करना बिल्कुल अनुचित और अवांछनीय है. इस पैसे का इस्तेमाल शहर की गंदगी दूर करने में, सड़कों का गड्ढा भरने में, दूषित जलापूर्ति ठीक करने में, जल भराव हटाने और बिजली समस्या दूर करने में किया जा सकता था. उल्लेखनीय है कि दो दिवसीय सरकारी आयोजन की चकाचौंध में इतनी बिजली जलाई गई कि शहर के कई इलाकों मसलन, चिनहट, गोमतीनगर विस्तार, खुर्रम नगर, कुर्सी रोड, सरोजनी नगर, कृष्णानगर, अमौसी, बिजनौर जैसे इलाकों में रात-रात भर बिजली सप्लाई बंद रही. यह चर्चा का हिस्सा नहीं, बल्कि आधिकारिक तथ्य है.
बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी’ का उद्घाटन कांग्रेस पर सीधे प्रहार से किया. कहा, ‘मेरे ऊपर इल्जाम लगाया गया कि मैं भागीदार हूं. लेकिन मैं इसे इल्जाम नहीं, इनाम मानता हूं. मैं भागीदार हूं. मैं उस कोशिश का भागीदार हूं, जो गरीबों के सिर पर छत मुहैया करवाए. मैं बीमारी से जूझ रहे लोगों के इलाज का भागीदार हूं. पीने के लिए साफ पानी देने की कोशिशों का भागीदार हूं. मैं भागीदार हूं बेरोजगारों की मदद करने का. मैं भागीदार हूं उस मां की पीड़ा का जो चूल्हे से आंखें खराब कर लेती है. मैं उस चूल्हे को बदलने का भागीदार हूं. मैं उस किसान का भागीदार हूं, जिसकी फसल खराब हो जाती है. उस फौजी का भागीदार हूं, जो विपरीत परिस्थितियों में देश की रक्षा करता है.’ इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के ठीक बगल में स्थित लोहिया अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले बीमार लोगों की ‘सील्ड’ सड़कों पर अटकी पड़ी भीड़ प्रधानमंत्री के डायलॉग के यथार्थ से रूबरू हो रही थी. नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लखनऊ को सुधार की प्रयोगशाला बनाने का श्रेय दिया और कहा कि लखनऊ उनकी कर्मभूमि है. मोदी ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर भी कटाक्ष किया और कहा कि अपना बंगला सजाना-संवारना ही उनका ‘वन पॉइंट प्रोग्राम’ था. प्रधानमंत्री ने यूपी के लिए आवास, पेयजल और बुनियादी सुविधाओं की 3397 करोड़ रुपए की 99 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया और यह वादा किया कि वर्ष 2022 तक हर व्यक्ति के सिर पर छत होगी. मोदी ने कहा कि आजादी के बाद से देश के शहरों को भविष्य की आवश्यकताओं के हिसाब से विकसित नहीं किया गया. शहर बेतरतीब और अव्यवस्थित तरीके से फैले. इसका बुरा असर शहरवासी भुगत रहा है. देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में शहरों की 65 प्रतिशत हिस्सेदारी है. लिहाजा, शहर अव्यवस्थित और अविकसित रहेंगे तो विकास बाधित होगा और ऐसी स्थिति में 21वीं सदी का भारत पारिभाषित नहीं किया जा सकेगा. इसी सोच के तहत भारत के सौ शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन के लिए चयनित किया गया, जिन्हें विकसित करने के लिए दो लाख करोड़ रुपए के निवेश की योजनाएं बनी हैं. मोदी ने कहा कि स्मार्ट सिटी सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि देश को बदलने का मिशन है. चयनित सौ शहरों में से 11 ने काम करना शुरू कर दिया है. अगले कुछ महीनों में 50 शहरों में किए जा रहे कार्यों के परिणाम मिलने लगेंगे. शहरों में न सिर्फ नई व्यवस्था का निर्माण हो रहा है, बल्कि वैकल्पिक फंडिंग के तहत पुणे, हैदराबाद और इंदौर में म्युनिसिपल बॉन्ड के जरिए करीब 550 करोड़ रुपए जुटाए गए हैं. उत्तर प्रदेश के लखनऊ और गाजियाबाद शहर भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और आने वाले समय में फंडिंग की वैकल्पिक व्यवस्था म्युनिसिपल बॉन्ड के माध्यम से की जाएगी. मोदी ने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत देशभर में सात हजार करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं का काम पूरा हो चुका है. 52 हजार करोड़ रुपए की योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है. वर्ष 2022 तक भारत की आजादी के 75 वर्ष होने पर प्रत्येक व्यक्ति के सिर पर छत होगी. बीते तीन वर्षों में शहरों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत 54 लाख आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं. सिर्फ शहरों में ही नहीं, गांवों में भी एक करोड़ से अधिक आवास जनता को दिए जा चुके हैं. मोदी बोले कि ये आवास महिलाओं के सशक्तिकरण का भी सबूत हैं. बीते तीन वर्षों में 87 लाख महिलाओं के नाम या उनके साथ साझेदारी पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उपलब्ध कराए गए आवास की रजिस्ट्री की जा चुकी है.
इस मौके पर मोदी ने प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत ऋण प्रदान करने में अच्छा काम करने वाले एचडीएफसी और एसबीआई बैंकों को पुरस्कृत किया. पुणे, हैदराबाद और इंदौर को म्युनिसिपल बॉन्ड द्वारा फंडिंग का इंतजाम करने के लिए पुरस्कृत किया गया. पुणे को गुड गवर्नेंस के लिए पुरस्कार दिया गया. अहमदाबाद और भोपाल को इन्नोवेटिव आइडिया के लिए बेस्ट इन्नोवेटिव अवार्ड से पुरस्कृत किया गया. स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सूरत को बेस्ट परफॉर्मिंग सिटी का अवार्ड दिया गया. प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के यूपी के 60 हजार 426 लाभार्थियों के बैंक खाते में 606.85 करोड़ रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर भी किए गए.
आयोजन के दूसरे दिन ‘ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी’ में प्रधानमंत्री ने 60 हजार करोड़ रुपए के 81 निवेश की परियोजनाओं की शुरुआत की और कहा कि यह उत्तर प्रदेश सरकार के लिए अद्भुत और अभूतपूर्व उपलब्धि है. मोदी ने सफाई भी दी कि अगर नीयत साफ हो तो उद्योगपतियों के साथ खड़े होने से दाग नहीं लगते. मोदी इसी मंच के जरिए उन आरोपों का खंडन प्रस्तुत कर रहे थे, जिसमें उन्हें उद्योगपतियों को बेजा लाभ पहुंचाने की शिकायतों में घेरा जाता है. मोदी ने कहा, 'हम उन लोगों में से नहीं हैं, जो उद्योगपतियों के साथ खड़े होने या फोटो खिंचवाने से डरते हैं. ऐसे भी लोग हैं, जिनकी उद्योगपतियों के साथ तस्वीरें तो नहीं हैं, लेकिन ऐसा कोई उद्योगपति नहीं, जिसने उनके घर पर साष्टांग दंडवत न किया हो.' मोदी ने समारोह में उपस्थित पूर्व सपा नेता अमर सिंह का जिक्र किया और कहा, 'अमर सिंह यहीं बैठे हैं, ये नेताओं के यहां दंडवत करने वाले सारे पूंजीपतियों की हिस्ट्री निकाल कर रख देंगे.' मोदी ने कहा कि बापू को बिड़ला के यहां रहने में कभी संकोच नहीं हुआ, क्योंकि उनकी नीयत साफ थी. जब नीयत साफ हो, इरादे नेक हों तो किसी के भी साथ खड़े होने से दाग नहीं लगते. जिस तरह देश को बनाने में किसान, मजदूर, कारीगर, सरकारी कर्मचारी, बैंकर की मेहनत होती है. वैसे ही देश को बनाने में उद्योगपतियों की भी मेहनत है. हम उन्हें चोर-लुटेरा कहेंगे, उन्हें अपमानित करेंगे? यह कौन सा तरीका है, लेकिन अगर कोई कुछ गलत करेगा, उसे या तो देश छोड़कर भागना पड़ेगा या फिर जेल जाना पड़ेगा. पहले ऐसा नहीं होता था क्योंकि बहुत कुछ परदे के पीछे होता था. कौन किसके जहाज में बैठता था, पता नहीं है क्या? मोदी ने कहा, ‘कुछ लोग हमारे पीछे पड़े हैं. जो लोग मेरे खिलाफ मामले ढूंढ रहे हैं. उनके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले निकलेंगे. मेरे खाते में तो बस चार साल हैं, जबकि उनके खाते में तो 70 साल हैं.’
मोदी ने फरवरी महीने में आयोजित हुए ‘इन्वेस्टर्स समिट’ का संदर्भ लेते हुए कहा कि उस आयोजन के महज पांच महीने के अंदर 60 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं को धरातल पर उतारने का प्रयास सराहनीय होने के साथ-साथ आश्चर्यचकित करने वाला भी है. प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खूब प्रशंसा की. फरवरी 2018 में आयोजित ‘इन्वेस्टर्स समिट’ में लगभग सवा चार लाख करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव आया था. पांच महीने में इनमें से 60 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाएं कार्यरूप में धरातल पर उतरीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके और मंच का पूरा फायदा उठाया और विकास के तमाम जुमले, मसलन, ‘होलिस्टिक विजन’, ‘इन्क्लूसिव एक्शन’, न्यू इंडिया, इंटेलीजेंट अर्बन सेंटर्स, इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर, म्युनिसिपल बॉन्ड, ईज़ ऑफ लिविंग, ‘ईज़ ऑफ गेटिंग इलेक्ट्रिसिटी’, ‘इन्टेन्ट एंड इन्वेस्टमेंट’,  जैसी अनगिनत शब्दावलियां उछालकर लोगों को सियासी-जादू दिखाते रहे. बिजली-पानी-गंदगी-गड्ढों में फंसी हुई यूपी की आम जनता चकाचौंध भरे दो दिवसीय आयोजन के समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उन भारी-भारी जुमलों का जमीनी अर्थ और औचित्य तलाशने में लगी हुई है.
‘ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अच्छी सड़कों को विकास की मुख्य शर्त और कारक बता रहे थे तो आयोजन में मौजूद लखनऊ के जानकार लोग और पत्रकार मुस्कुरा रहे थे और लखनऊ की गड्ढों से भरी सड़कों को लेकर हास-परिहास कर रहे थे. कई लोगों ने यह कल्पना भी कर डाली कि लखनऊ की पर्देदारी से अलग वाली सड़कों के औचक निरीक्षण पर प्रधानमंत्री अचानक निकल पड़ें तो योगी सरकार को गड्ढे में धकेलने वाले उपमुख्यमंत्री और सड़क की मरम्मत के जिम्मेदार विभाग पीडब्लूडी के मंत्री केशव प्रसाद मौर्य का क्या होगा! खैर, प्रधानमंत्री भी चमक-दमक के प्रायोजन से वाकिफ हैं, इसलिए औचक निरीक्षण की बातें तो आम नागरिक की आम कल्पना ही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना, अमृत योजना और स्मार्ट सिटी मिशन की तीसरी वर्षगांठ के आयोजन के लिए लखनऊ को चुने जाने पर प्रधानमंत्री के प्रति आभार जताया और कहा कि इन योजनाओं की सफलता में उत्तर प्रदेश की बड़ी भूमिका है. उत्तर प्रदेश की 21 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करती है. देशभर में सबसे अधिक 653 नगर निकाय उत्तर प्रदेश में हैं. योगी ने दावा किया कि यूपी के शहरी लोगों को योजना से लाभ मिल है. योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत पिछले एक वर्ष में चार लाख 32 हजार आवास दिए गए. योगी ने यह भी कहा कि स्वच्छ भारत मिशन पर भी उत्तर प्रदेश में तेजी से काम हो रहा है. योगी की इस बात पर लखनऊ शहर की गंदगी पर सरकार के नाकारेपन के खिलाफ अभियान चलाने वाले विजय गुप्ता कहते हैं, ‘उन्हें कहने दीजिए. कहने में क्या हर्ज है! राजनीति में सच का क्या स्थान! नेताओं को वास्तविकता से क्या लेना-देना है इसे सब जानते हैं!
मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 जुलाई 2018 से प्रदेश में 50 माइक्रॉन से कम की पॉलिथीन के इस्तेमाल  पर पाबंदी लगाई जा चुकी है और आने वाले समय में प्लास्टिक के कप और प्लेटों को भी प्रतिबंधित किया जाएगा. स्मार्ट सिटी के तहत सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को सुधारा जा रहा है. तीन शहरों में मेट्रो रेल का संचालन हो रहा है. आने वाले समय में मेट्रो रेल के संचालन का काम अन्य शहरों के लिए भी किया जा रहा है. योगी ने कहा कि छह लाख 35 हजार एलईडी स्ट्रीट लाइटों को नगर निकायों में बदला गया है जिनसे 115 करोड़ रुपए की बचत हुई है. प्रदेश के 10 शहर स्मार्ट सिटी के लिए चयनित किए गए हैं, जिनके विकास का कार्य चल रहा है. पूरी प्रतिबद्धता के साथ शहरों का नियोजित और व्यवस्थित विकास किया जा रहा है. प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटित परियोजनाओं की जिलावार हिस्सेदारी का ब्यौरा देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्रवार ढंग से इन परियोजनाओं की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश, 22 प्रतिशत पूर्वी उत्तर प्रदेश, 23 प्रतिशत केंद्रीय उत्तर प्रदेश और चार प्रतिशत बुंदेलखंड में है. निवेश का विश्लेषण यह है कि खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में 17 प्रतिशत निवेश हुआ है. जबकि भारी उद्योग में 30 प्रतिशत निवेश आया है. सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योग के क्षेत्र में महज 6.2 प्रतिशत, डेयरी क्षेत्र में मात्र पांच प्रतिशत और पशुपालन के क्षेत्र में मात्र चार प्रतिशत का निवेश आया है.
योगी ने कहा कि पहले जो निवेशक प्रदेश से बाहर जाना चाहते थे, अब वे बाहर नहीं जाना चाहते, बल्कि अपनी परियोजनाओं का विस्तार कर रहे हैं. पहले प्रदेश में ऐसा निराशापूर्ण माहौल था कि कोई निवेशक आने को तैयार नहीं था. योगी ने कहा कि अभी 60 हजार करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ. इसके अलावा 50 हजार करोड़ की परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं. इन परियोजनाओं को भी जल्द जमीन पर उतारा जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री आवास योजना, अमृत योजना और स्मार्ट सिटी मिशन की तीसरी वर्षगांठ को विकास पर्व बताया और कहा कि वर्ष 2022 तक नए भारत के निर्माण का सपना पूरा होगा. केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक करोड़ आवास बनाए जाएंगे, जिनमें से 54 लाख स्वीकृत किए जा चुके हैं, इससे वर्ष 2022 तक हर परिवार को छत मिलने का सपना साकार होगा. इस दो दिवसीय आयोजन में प्रधानमंत्री के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा, नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना समेत कई मंत्री, अधिकारी, कई शहरों के महापौर और प्रमुख उद्योगपति शरीक हुए. कार्यक्रम को उद्योगपति कुमार मंगलम बिरला, गौतम अडानी, सुभाष चन्द्रा, संजीव पुरी, युसुफ अली और बीआर शेट्टी ने भी सम्बोधित किया.

यूपी वालों को नहीं मिला कोई ईनाम
प्रधानमंत्री की तमाम योजनाओं की उत्तर प्रदेश में कामयाबी के तो बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन किए गए काम पर पुरस्कृत करने और इनाम देने का समय आया तो उत्तर प्रदेश से कोई विभाग या की अधिकारी नहीं चुना गया. समारोह में ईडब्ल्यूएस क्रेडिट स्कीम में सबसे अच्छा प्रदर्शन के लिए एचडीएफसी बैंक को पुरस्कृत किया गया. एमआईजी के लिए लोन देने में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए एसबीआई को पुरस्कृत किया गया. अमृत योजना के तहत म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने के लिए पुणे, हैदराबाद और इंदौर को पुरस्कृत किया गया. स्मार्ट सिटी में गुड गवर्नेंस के लिए पुणे को सम्मानित किया गया. स्मार्ट सिटी में इनोवेटिव आइडिया के लिए भोपाल और अहमदाबाद को सम्मानित किया गया. स्मार्ट सिटी में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सूरत को सम्मानित किया गया. लखनऊ या यूपी का कोई भी शहर ठनठन-गोपाल ही रह गया.

आयोजन पर बेपनाह खर्च, शासन ने चुप्पी साधी
लखनऊ में फरवरी महीने में हुए ‘इन्वेस्टर्स समिट’ के सजावट पर आधिकारिक तौर पर 65 करोड़ 15 लाख रुपए खर्च हुए थे. इसमें सबसे अधिक खर्च लखनऊ नगर निगम ने किया था. आम नागरिकों की सेवा के नाम पर आर्थिक बदहाली का रोना रोने वाले लखनऊ नगर निगम ने ‘इन्वेस्टर्स समिट’ की साज-सज्जा पर 24 करोड़ 25 लाख रुपए खर्च किए थे. इस बार के दो दिवसीय आयोजन पर नगर निगम ने कितना धन न्यौछावर किया, इसका हिसाब आना अभी बाकी है. ‘इन्वेस्टर्स समिट’ के नाम पर पीडब्लूडी ने 12.5 करोड़ खर्च रुपए किए थे. लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने 13 करोड़ आठ लाख रुपए खर्च किए थे. इस बार के आयोजन पर हुए खर्च पर सरकार और नौकरशाह फिलहाल चुप्पी साधे बैठे हैं. जबकि जानकारों का कहना है कि इस बार का खर्च पिछले आयोजन की तुलना में बहुत अधिक है.

अमर सिंह की मौजूदगी और मोदी की तवज्जो
लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिवसीय कार्यक्रम में पूर्व सपा नेता अमर सिंह की मौजूदगी और मोदी की तवज्जो खास तौर पर चर्चा में रही. अपने भाषण में मोदी ने अमर सिंह का जिक्र करते हुए यहां तक कह दिया कि कौन-कौन पूंजपति किन-किन नेताओं के यहां दंडवत होते हैं, इसका पूरा कच्चा चिट्ठा अमर सिंह के पास है. फिर क्या था, भाजपा मंडली में भी चारो तरफ अमर सिंह छा गए. दो दिवसीय आयोजन के पहले 23 जुलाई को भी अमर सिंह की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मुलाकात हुई थी. लेकिन तब इतनी चर्चा सरगर्म नहीं हुई. जब मोदी की सभा में अमर सिंह की प्रभावशाली मौजूदगी दर्ज हुई और मोदी ने उनकी चर्चा की तब जाकर भाजपाइयों को लगा कि मामला तो सीरियस है. इसके बाद ही अमर सिंह के भाजपा में शामिल होने, आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ने जैसी तमाम बातें हवा में तैरने लगीं. योगी से अदावत रखने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता और प्रदेश सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने फौरन ही अमर सिंह के लिए अपनी पार्टी से टिकट देने का प्रस्ताव भी उछाल मारा. लेकिन अमर सिंह ने इस सारे कयासों को रोकते हुए भाजपा में शामिल होने से लेकर आजमगढ़ से चुनाव लड़ने तक की बात को नकार दिया. अमर सिंह ने कहा कि वे मोदी और योगी के लिए चुनाव में काम करेंगे और बुआ-बबुआ (मायावती-अखिलेश) को धूल चटाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देंगे. अमर सिंह ने कहा, ‘मैं भाजपा में शामिल होने का प्रयास नहीं कर रहा हूं. मैं मोदी जी को पसंद करता हूं और उनके समर्थन में खड़ा हूं. मैं अमर सिंह हूं और मेरे नाम की जो भी हैसियत है, वह योगी और मोदी के लिए है न कि बुआ-बबुआ  के लिए.’

मोदी-अमर निवेश-उत्सव में खो गया सपा सम्मेलन
राजधानी लखनऊ में जिस समय निवेश उत्सव मनाया जा रहा था और मोदी-अमर उवाच चल रहा था, उसी समय समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सम्मेलन भी चल रहा था. लेकिन सपा के सम्मेलन की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया और न उसे अखबारों में प्रमुखता मिली. सपा नेतृत्व ने कोई उल्लेखनीय सार्थक कृत्य भी नहीं किया. सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुलायम सिंह यादव को आमंत्रित नहीं किया जाना अशोभनीय कृत्य माना जा रहा है. इसी तरह सपा नेता आजम खान और शिवपाल यादव को भी बैठक में नहीं बुलाया गया. इन नेताओं की अनुपस्थिति को लेकर पूछे गए सवाल पर रामगोपाल यादव ने गैर-राजनीतिक और गैर-मर्यादित रवैया अख्तियार करते हुए कहा, ‘जरूरी नहीं कि सब लोग आएं.’ सपा की कार्यकारिणी किसी तरह बैठक निपटा ली गई और सदस्यों ने चुनावी गठबंधन से लेकर सीटों के एडजस्टमेंट और तमाम अन्य मसलों पर फैसला लेने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष यानि, अखिलेश यादव को अधिकृत करने की रुटीन औपचारिकता निभा ली.

यूपी के किस हिस्से को किस प्रोजेक्ट का झुनझुना
पश्चिमी उत्तर प्रदेश : 81 में से 41 प्रोजेक्ट पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगाए जाएंगे. इसमें मुख्य रूप से टेग्ना इलेक्ट्रॉनिक्स, इन्फोसिस, टीसीएस, पतंजलि, लुलू ग्रुप जैसी मशहूर कंपनियां यूपी में काम करेंगी. इनमें ज्यादातर कंपनियां आईटी क्षेत्र हैं. इसके अलावा लुलू ग्रुप ने भविष्य में नोएडा और वाराणसी में भी मॉल बनाने की बात कही है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा स्थान पूर्वी उत्तर प्रदेश का है जहां विभिन्न कंपनियों ने निवेश करने में रुचि दिखाई है. 18 कंपनियों ने अपने प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की. इसमें गोरखपुर में स्टील प्लांट लगाया जाना है. इसके अलावा एम प्लस एनर्जी मीरजापुर में सोलर प्लांट लगाएगी. अग्रहरि फूड्स अमेठी में डेयरी प्लांट लगाएगा. इसके अलावा उबर वाराणसी, लखनऊ और गोरखपुर में उबर मोटो सर्विसेज की शुरुआत करेगी.
मध्य उत्तर प्रदेश : मध्य उत्तर प्रदेश में 16 विभिन्न कंपनियां निवेश करने जा रही हैं. इसमें स्पर्श इंडस्ट्रीज 600 करोड़ के निवेश से कानपुर देहात में सीपीपी फिल्म, अल्युमिनियम फॉयल और पॉलिस्टर फॉयल बनाने का प्लांट लगाएगी. इसके अलावा एसएलएमजी ब्रीवरेज लखनऊ में अपना बॉटलिंग प्लांट लगाएगी. ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज हरदोई में प्लाईवुड मैनुफैक्चरिंग प्लांट लगाएगी. इसमें कंपनी 500 करोड़ रुपए का निवेश करेगी.
बुंदेलखंड : बुंदेलखंड में मात्र दो कंपनियां निवेश कर रही हैं. इनमें इंडो गल्फ एक्सप्लोसिव्स झांसी में एक्सप्लोसिव मैनुफैक्चरिंग यूनिट लगाएगी. इसके अलावा आरएसपीएल डिटर्जेंट प्लांट लगाएगी.
लखनऊ को मिले सात प्रॉजेक्ट : लखनऊ के 1417.74 करोड़ की सात परियोजनाओं का भी शिलान्यास हुआ. इनमें पीटीसी इंडस्ट्रीज 205 करोड़, अनहिता हॉस्पिटैलिटी एलएलपी 75 करोड़, डेस्टिनी हॉस्पिटैलिटी सर्विस 800 करोड़, कैरा लाइसस्पेस 100 करोड़, श्री केएलएस मेमोरियल सोसाइटी 100 करोड़, पुरुषोत्तम राम फूड्स इंडस्ट्रीज 37.74 करोड़ और उबर 100 करोड़ रुपए का निवेश करेगी.
रायबरेली में मिल्क प्लांट : रायबरेली में एक लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता का मिल्क प्रॉसेसिंग प्लांट लगाया जाएगा. यह प्रोजेक्ट पीएचडी चैंबर के को-चेयरमैन मुकेश बहादुर सिंह की कंपनी एसबीएस प्रॉडक्ट्स एंड सर्विसेज लगा रही है.

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